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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Cost function
लागत फलन
स्थिर लागत और निर्गत की मात्रा के बीच संबंध दर्शाने वाला फलन। इसके कई स्वरूप होते हैं जैसे— (1) औसत लागत फलन (2) सीमांत लागत फलन (3) कुल लागत फलन

Couple-years of protection (CYP)
संरक्षण के दम्पति-वर्ष
दम्पति को किसी परिवार नियोजन उपाय द्वारा कितने वर्ष तक गर्भधान से संरक्षण प्राप्त हुआ व इस उपाय से कितने बच्चों के जन्म को रोका जा सका।
व्यावसायिक जनांकिकीविद् इस प्रकार के विश्लेषण में संरक्षण के दम्पति वर्ष का सूचकांक निकालने के लिए निम्नलिखित फार्मूला काम में लाते हैं।
CYPn = Cn/100+0.07690 on +(Vn + T∟n) 7.5 + 1n* 2.5 यहां Cn= कुल बाँटे गये रूढ़िगत गर्भनिरोधकों की संख्या, T∟n = स्त्रियों के आपरेशनों की संख्या Vn = पुरूषों के आपरेशनों की संख्या On = बाँटी गई गोलियों की संख्या और In =लगाए गए लपों की संख्या।

Covariance
सहप्रसरण
यदि x₁ और x₂ सांख्यिकीय दृष्टि से स्वतंत्र पद हों और हम f(x₁, x₂) को दो एक-प्रसरणी बंटनों f₁(x₁), f₂(x₂) के गुणनफल के रूप में लिखें तो यह विविक्त अभिव्यक्ति दो योगों के गुणनफल द्वारा दर्शा सकते हैं जिनमें से प्रत्येक शून्य के बराबर होगा।
दो यादृच्छिक चरों के इस प्रकार के शून्य योगवाले प्रसरण को सहप्रसरण कहते हैं।

Cross section models
अनुप्रस्थ मॉडल
अनुप्रस्थ मॉँडल का तात्पर्य ऐसी समीकरण प्रणाली से है जो एक समय पर बिना किसी परिवर्तन के सभी इकाइयों पर समान रूप से लागू होती है।
इसमें कम से कम एक समीकरण ऐसा होता है जो विभिन्न फर्मों, उपभोक्ताओं अथवा क्षेत्रों में से एक के लिए अवश्य मान्य होता है। इस समीकरण का प्रयोग किसी फर्म, उपभोक्ता अथवा क्षेत्र की आर्थिक विशेषताओं को बताने के लिए समीचीन ढंग से किया जा सकता है जैसे नीचे दिया गया मॉडल:— Ci=αyi+γ+εi, i=1 .. .. .. M yi=ki^' r,+xi, i=1 .. .. .. M y=c+z c = ∝y+Mγ y=kr^'+x

Cumulative frequency curve
संचयी बारंबारता वक्र
संचयी बारंबारता वक्र विभिन्न वर्गों की बारंबारताओं के ग्राफ से तैयार किया जाता है।
यदि यह ज्ञात करना हो कि कितने पद ऐसे हैं जिनका मान एक कथित मान से कम या बराबर है तो संचयी बारंबारता वक्र का प्रयोग किया जाता है। इसे तोरण भी कहा जाता है।
ग्राफ द्वारा निरूपण की इस विधि में वर्ग अंतरालों की उपरि-सीमाओं को क्षैतिज अक्ष पर अंकित किया जाता है और इनकी संचयी बारंबारता को कोट्याक्ष पर आलेखित किया जाता है।
बारंबारता वर्ग बिन्दुओं को मुक्त हस्त वक्र द्वारा मिलाने से यह वक्र तैयार होता है। ऐसे एक वक्र का चित्र का नीचे दिया जाता है:— (DIAGRAM)

curve
वक्र
एक समतल में किसी फलनीय संबंध द्वारा व्यक्त निर्देशांकों या बिन्दुओं का रेखापथ।
भिन्न-भिन्न शक्लों के वक्रों की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं जिनके अनुसार उनके फलन ज्ञात किए जा सकते हैं। इनकी आकृतियों के अनुसार वक्रों के नाम भिन्न-भिन्न होते हैं।

Curve fitting
वक्र आसंजन
वक्र आसंजन से अभिप्राय उस समीकरण को ज्ञात करना है जो दो चरों के संबंध को अच्छी तरह व्यक्त करे।
दो चरों को बीच संबंध को एक बीजीय व्यंजक द्वारा निरूपण करने को वक्र आसंजन कहा जाता है।
यदि वक्र एक सरल रेखा हो, तो यह एकघाती समीकरण द्वारा निरूपित होगा जैसे:— y=a+bx
वक्र सरल रेखा के समीकरण का मानक रूप है।
यदि वक्र परवलय हो तो द्विघाती या त्रिघाती समीकरण इसका निरूपण करेंगे जैसे y=a+bx+〖cx〗^2 या y=a+bx+〖cx〗^2+〖dx〗^3

Cyclical fluctuations
उच्चावचन
ऐसी व्यापारिक स्थितियाँ या काल-श्रेणियाँ जिनके मान चरम सीमा पर पहुँच कर कुछ समय बाद निम्नतम सीमा पर पहुँच जाते हैं और फिर बढ़ने लगते हैं।
इस प्रकार के उच्चावचन चक्रीय उच्चावचन कहलाते हैं तथा दीर्धकालीन और मौसमी विचरणों से भिन्न होते हैं।
ऐसे उच्चावचन व्यापारिक श्रेणियों में नियमित रूप से पाये जाते हैं।

Damped oscillations
अवमंदित दोलन
अवमंदित दोलन का तात्पर्य ऐसे दोलन से है जो किसी दोलायमान आश्रित चर को कालान्तर में एक मान की ओर उन्मुख करता है।
व्यवसाय चक्रों में स्थिर संवृद्धि संबंधी व्याख्या में इनका बहुधा प्रयोग किया जाता है।

Data collection
समंक संग्रह
आँकड़े या समंक अन्वेषण का आधार होते हैं। मात्रक अन्वेषण के लिए आँकड़ों का संग्रह मुख्य एवं मूल कार्य है। अंक संग्रह किसी भी अन्वेषण का प्रथम चरण माना जाता है।
संग्रह करने योग्य आँकड़े दो प्रकार के होते हैं:— (1) प्राथमिक आँकड़े (2) द्वितीयक आँकड़े
आँकड़ों का संग्रह करने में जो विधियाँ काम में लाई जाती हैं उनमें प्रमुख है:— (1) साक्षात्कार की विधि, (2) डाक द्वारा प्रश्नावली भेजने की विधि, (3)अनुसूची की विधि, आदि ।
आँकड़े या तो प्रतिदर्श सर्वेक्षण की सहायता से संगृहीत किए जाते हैं या पूर्ण गणना द्वारा, जैसे जनगणना के समय।


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