logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z

Circular function
वृत्तीय फलन
ऐसा फलन जो किसी चर की आवधिक घट-बढ़ से इस प्रकार संबंधित होता है कि वह घड़ी की सुइयों की तरह समय पथ पर बार-बार दोहराने की प्रक्रिया में चक्रीय प्रकार की आकृति का निर्माण करता है।

Circular test
वृत्तीय परीक्षण
यह परीक्षण वास्तव में काल-उत्क्रमण परीक्षण का ही विस्तार तथा वहाँ लागू किया जाता है जहाँ दो से अधिक वर्षों के सूचकांक दिए हों।
वृत्तीय परीक्षण के अनुसार— I_(0,1 )×I_(1,2)×I_(2,3)×…….I_(n, 0)=1 या I_(0,1 )×I_(1,2)×I_(2,3)×…….I_(n-1, n)=1/I_(n,0) =I_(o,n)
वृत्तीय परीक्षण की उक्त शर्त तभी पूरी होती है, जब सूचकांकों की गणना सरल ज्यामितीय माध्य के रूप में की गई हो।

Classical model
संस्थापक मॉडल
संस्थापक अर्थशास्त्रियों द्वारा प्रतिपादित अर्थव्यवस्था का मॉडल। इसमें प्राकृतिक साधनों की तुलना में जनसंख्या को बहुत छोटा माना जाता है और लाभ, संचय की दर तथा वेतन इन तीनों की स्थिति बड़ी ऊँची होती है।
इसमें कुल शुद्ध उत्पादन को यों दिखाया जाता है:— Pt= f(R_t) यहां pt= कुल उत्पादन और Rt=कार्यरत जनसंख्या है। इस मॉडल में यह कल्पना की गई है कि जनसंख्या बाजार वेतनों के स्तरों के अनुरूप शीध्रता से समंजन स्थापित करती रहती है अर्थात्:— Pt = Rt+1.S यहाँ S= निर्वाह मजदूरी दर है।
इस मॉडल में प्रारंभिक संतुलन की स्थिति निम्नलिखित चित्र द्वारा दर्शायी जा सकती है। (DIAGRAM)
माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत, ह्रासमान प्रतिफलन नियम, संचय के लिए प्रोत्साहन की प्रवृत्ति, मजदूरी का निर्वाह मात्रा नियम इस मॉडल की कुछ विशेषताएं हैं।
इस मॉडल की सहायता से उत्पादन और आबादी के स्तर तथा समय परिपथ में होने वाले उतार-चढ़ाव के अनुसार इनके संतुलन की स्थिति का अध्ययन किया जाता है।

Classification
वर्गीकरण
वर्गीकरण वह प्रविधि है जिसके द्वारा व्यक्तियों, वस्तुओं या मदों को उनके सादृश्य के अनुसार वर्गों में क्रमबद्ध किया जाता है।
यह ऐसी प्रविधि है जिसके द्वारा समरूप व असमरूप तथ्यों को क्रमबद्ध एवं तर्कसंगत ढंग से अलग-अलग वर्गों में समाहित किया जाता है।
वर्गीकरण से आँकड़ों के स्वरूप के बारे में स्पष्ट तथा यथार्थ निर्णय करने में सहायता मिलती है।
भौगोलिक, कालानुक्रमिक, गुणात्मक या संख्यात्मक अभिलक्षणों के आधार पर वर्गीकरण को निम्न चार प्रकार से विभाजित किया जा सकता है:— 1. भौगोलिक वर्गीकरण 2. कालानुक्रिमक वर्गीकरण 3. गुणात्मक अथवा गुणानुसार वर्गीकरण 4. मात्रात्मक अथवा संख्यात्मक वर्गीकरण

Cluster
गुच्छ
विश्लेषण के लिए परस्पर संबंधित प्रतिचयन इकाइयों या किसी सांख्यिकीय समष्टि का समीपस्थ अवयव समूह, जैसे किसी खण्डक के सारे आवासगृह या एक ही मकान में रहने वाले सारे लोग एक गुच्छ के रूप माने जा सकते हैं।

Clustering effect
गुच्छ प्रभाव
दे∘ cluster sampling

Cluster sampling
गुच्छ प्रतिचयन
जब किसी समष्टि की प्रतिचयन इकाई समूह या गुच्छ हो तब प्रतिदर्श का चुनाव भी गुच्छों के रूप में किया जाता है इसे गुच्छ प्रतिचयन कहते हैं।
गुच्छ प्रतिचयन में किसी समष्टि के अवयवों को एक-एक करके नहीं चुना जाता बल्कि उन्हें वर्ग या समूह बताकर एक गुच्छे के रूप में चुना जाता है।
एक ऐसे प्रतिदर्श के प्रसरण में तथा उसी आकार के सरल प्रतिचयन द्वारा चुने गए प्रतिदर्श के प्रसरण में जो अनुपात होता है उसे गुच्छ प्रभाव कहा जाता है।

Coale & Demeny method
कोल तथा डेमे विधि
कोल तथा डेमे द्वारा तैयार की गई 326 जीवन-सारणियों के सामंजस्य को क्षेत्रीय आधार पर पूर्वी, पश्चिमी उत्तरी तथा दक्षिणी—4 भागों में विभक्त करके विभिन्न आंतरिक वृद्धि दरों और मर्त्यता स्तरों के अनुसार स्थिर जनसंख्याओं और जीवन-सारणियों की गणना की विधि।
इसमें यह माना जाता है कि कुल जनसंख्या का मॉडल स्थिर प्रकार का है।
इस विधि की सहायता से किसी जनसंख्या के आयु बंटन के आधार पर उस जनसंख्या की जैव दरों की गणना भी की जा सकती है ।
इस विधि में मुख्य समस्या यह रहती है कि किसी विशेष देश के लिए कौन-सी क्षेत्रीय जीवन सारणी का प्रयोग किया जाए।

Cobb-Douglas production function
कॉब-डगलस उत्पादन फलन
उत्पादन सिद्धांत में किसी फर्म का निर्गत उसके उत्पादन कारकों के आगत से संबद्ध होता है।
इस फलनीय संबंध को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है— q=q (x1, x2…….χm यहाँ q किसी समय विशेष पर उत्पादन की मात्रा को प्रगट करता है और χ1 से χm तक m उत्पादन कारकों की मात्राएं हैं।
कॉब डगलस ने एक निजी फर्म या सम्पूर्ण उद्योग के लिए इस उत्पादन फलन को सरल रूप में निम्नलिखित समीकरण से व्यक्त किया है:— αβ q=ALK इस सूत्र में α + β =1 और Ο < α, β < 1 होता है।

Cobweb model
मकड़जाल मॉडल
इस मॉडल में पूर्ति और माँग के संबंध को कीमत के परिप्रेक्ष्य में दिखाया जाता है। जैसे नीचे के चित्र में दिया गया है। (DIAGRAM)
इसके पीछे दो सामान्य मान्यताओं को स्वीकार किया जाता है कि माँग वक्र अधोमुखी होता है और पूर्ति वक्रि ऊर्ध्वमुखी।
इस मॉडल में यह भी माना जाता है कि यदि किसी वस्तु की कीमत बढ़ती है तो यह प्रत्याशा होती है कि कीमत बढ़ेगी और इसलिए उत्पादन बढ़ता है। अतः कीमतों तथा कीमतों की परिवर्तन दर दोनों को उत्पादन का निर्धारक माना जाता है।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण कृषि के क्षेत्र में देखा जाता है जहाँ पर एक साल की फसल की उपज पिछले वर्ष की कीमतों पर निर्भर करती है और इसी प्रकार पिछले वर्ष का उत्पादन उससे पिछले वर्ष की कीमतों पर। इस मॉडल को हम निम्नलिखित रूप में दे सकंते हैं :— 〖qt〗^d=a+bpt 〖qt〗^s=c+dpt-1 〖qt〗^d=〖qt〗^s


logo