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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Coefficient
गुणांक
ऐसे स्थिरांक जिन्हें समीकरण में चरों के साथ लिखा जाता है यथा :— ax + by + c = 0 में a, b तथा c गुणांक है।

Coefficient of association
साहचर्य गुणांक
दो गुणों में परस्पर संबंधता या संयोग को जानने के लिए साहचर्य गुणांक का परिकलन किया जाता है। साहचर्य गुणांक को Q द्वारा सूचित किया जाता है।
यह गुणांक गुणों के स्वातंत्र्य के इस सूत्र पर आधारित होता है : (AB)(αβ)=(Aβ)(αB) Q=((AB)(αβ)-(Aβ)(αB))/((AB)(αβ)+(Aβ)(αB)) यदि Q = 0, तो गुण एक दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। यदि Q =1, तो गुणों में पूर्ण धन साहचर्य होता है। यदि Q = -1, तो गुणों में पूर्ण ऋण साहचर्य होता है।

Coefficient of collignation
संबंधन गुणांक
संबंधन गुणांक साहचर्य का एक प्रकार है।
यह गुणांक γ द्वारा सूचित किया जाता है और साहचर्य गुणांक Q से संबंधित होता है।
संबंधन गुणांक की वही विशेषताएं हैं जो साहचर्य गुणांक की। इसका परिकलन निम्न सूत्र की सहायता से किया जाता है :— y=((1-√((Aβ)(αB) ))/(AB)(αβ) )/(1+(Aβ)(αβ)/√((AB)(αβ) ))
संबंधन गुणांक तथा साहचर्य गुणांक परस्पर निम्न सूत्र द्वारा संबंधित होते है : Q= 2γ/〖1+γ〗^2

Coefficient of correlation
सहसंबंध गुणांक
सहसंबंध गुणांक दो श्रेणियों के बीच सहसंबंध का संख्यात्मक माप होता है तथा γ द्वारा सूचित किया जाता है।
यह दो चरों के बीच सहसंबंध की मात्रा की संख्यात्मक अभिव्यक्ति है। सहसंबंध गुणांक को निम्नलिखित सूत्र की सहायता से परिकलित किया जा सकता है :— γ=(Σ(x-x)(γ-γ))/√(Σ〖(x-x〗^2)Σ〖(γ-γ)〗^2 )
सहसंबंध गुणांक γ का मान +1 और -1 के बीच रहता है अर्थात् γ का मान +1 से अधिक तथा -1 से कम नहीं हो सकता। यदि γ = +1 हो, तो सहसंबंध पूर्ण तथा घनात्मक होता है। यदि γ = -1 हो, तो सहसंबंध पूर्ण तथा ऋणात्मक होता है। यदि γ = 0 हो, तो काई भी सहसंबंध नहीं है, अर्थात् चर स्वतन्त्र हैं।

Coefficient of determination
निर्धारण गुणांक
सहसंबंध गुणांक का वर्ग। इसे R² या r² द्वारा व्यक्त किया जाता है।
तुल० दे० coefficient of correlation

Coefficient of dispersion
विक्षेपण गुणांक
विक्षेपण का आपेक्षिक माप। यह किसी निरपेक्ष माप तथा उचित माध्य के बीच होता है तथा प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसके चार प्रकार होते हैं:— (1) परिसर का विक्षेपण गुणांक= (परिसर ×100)/(उच्चतम मान+निम्नतम मान) (2) चतुर्थक विचलन गुणांक =(Q3-Q1)/(Q3+Q1)×100 (3) माध्य विचलन गुणांक=(माध्य विचलन×100)/(माध्यिका (या माध्य)) (4) मानक विचलन गुणांक=(मानक विचलन)/(माध्य)×100
मानक विचलन गुणांक को विचरण गुणांक भी कहते हैं। इस प्रकार; विचरण गुणांक= (मानक विचलन)/(माध्य)×100 अथवा σ/x×100

Cofactor
सहगुणन खंड
एक पूर्वगुणक या पश्चगुणक अथवा किसी आव्यूह के प्रदत अवयव का उपसारणिक का (-1 का गुणनफल जिसका घात उपसारणिक की पंक्ति तथा स्तंभ के जोड़ के बराबर होता है। जैसे किसी आव्यूह Aij द्वारा व्यक्त किसी अवयव aij का सहगुणनखंड (-1) i + j द्वारा एक ऐसे सारणिक को गुणा करके निकाला जा सकता है जिसमें हम मैट्रिक्स A की i वीं पंक्ति और j वें स्तंभ को छोड़ देते हैं।

Cohort
सहगण
सहगण जनसमष्टि का वह समूह है जो जीवन के किसी अनुभव से एक साथ गुजरते हैं। उदाहरणार्थ, एक ही वर्ष में जन्म लेने वाले सभी बच्चों का समुच्चय 'जन्म सहगण' और एक ही वर्ष में विवाह करने वाले स्त्री-पुरूषों का समुच्चय 'विवाह सहगण' कहलाते हैं।

Cohort Analysis
सहगण विश्लेषण
सहगण विश्लेषण से अभिप्राय एक ऐसी विधि से है जिसमें व्यक्ति के सहगणों का अध्ययन प्रजनन दर, विवाह, मृत्यु दर अथवा सामाजिक राजनीतिक दृष्टि , उनके सम्पूर्ण जीवन काल या किसी विशिष्ट अवधि तक के लिए किया जाता है।
दे. cohort

Compensated demand function
प्रतिपूरित माँग फलन
प्रतिपूरित माँग फलन द्वारा हम यह निश्चय करते हैं कि कोई उपभोक्ता किसी वस्तु पर कर लगाने या आर्थिक सहायता देने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में उस हेतु की कितनी मात्रा खरीदेगा।
इस फलन में यह पूर्वधारणा की जाती है कि उपयोगिता का स्तर निश्चित रहता है और दूसरी शर्त यह होती है कि उपभोक्ता अपने व्यय को न्यूनतम रखना चाहता है :—
इस फलन के अनुसार उपभोक्ता के व्यवहार को अथवा वह प्रत्येक वस्तु की कितनी मात्रा खरीदेगा इस बात को निम्नलिखित समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है : q1= √(U^0 P_2 )/P_1 q_2= √(U^0 P_1 )/P_2 यहाँ q1, q2 वस्तुओं की खरीदी जाने वाली मात्रा है, Uº उपयोगिता का निश्चित स्तर है, P2 दूसरी वस्तु की कीमत है और P1 पहली वस्तु की कीमत है।


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