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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Abortion
गर्भपात
गर्भ के असमय (प्रथम 12 सप्ताह के भीतर) नष्ट होने की क्रिया को गर्भपात कहते हैं। यह कई बार स्वतः या नैसर्गिक रूप से होता है और कई बार इसे किसी इरादे से किया जाता है। परिवार नियोजन की एक विधि के रूप में भारत में एक अधिनियम (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971) के द्वारा विशेष परिस्थितियों में इसे कानूनी मान्यता प्रदान की गई है।
तीसरे और सातवें महीने के बीच भ्रूण के निष्कासन को गर्भस्राव कहा जाता है।

Abscissa
भुज
1. क्रमित युग्म का पहला अवयव
2. किसी बिंदु का x निर्देशांक (coordinate)

Absolute value
निरपक्ष मान
बीजीय चिन्हों के बिना किसी पद या संख्या का मान उसका निरपेक्ष मान कहलाता है। इसका दूसरा नाम मापांक है, जैसे - n का निरपेक्ष मान अथवा मापांक n होगा तथा + p का निरपेक्ष मान अथवा मापांक p होगा। इस प्रकार + 5 का और -5 दोनों का निरपेक्ष मान 5 होगा। निरपेक्ष मान अथवा मापांक का प्रयोग उच्चतर कोटि संबंधों (Higher Order relations) और साध्यों के लिए किया जाता है। इसका चिन्ह दो समांतर खड़ी रेखाएं ।। हैं।

Abstinence
संयम/परिवर्जन
कुछ काल या समय के लिए पति-पत्नी का एक दूसरे से यौन संबंध से परहेज।
यह संयम धार्मिक, व्यक्तिगत अथवा स्वास्थ्य के कारणों से किया जाता है।
कभी-कभी ऐसा परिवर्जन परिवार नियोजन की दृष्टि से भी किया जाता है।

Acceleration incentive
त्वरण प्रोत्साहन
किसी निर्णायक या कार्यकर्ता को उसके योगदान के अनुसार दी जाने वाली आर्थिक रकम।
जब यह राशि उसकी उपलब्धि की वृद्धि के दर पर निर्भर करती है तब इसे स्तर को ऊँचा करने वाली अभिप्रेरणा भी कहा जाता है।

Acceleration principle
त्वरण सिद्धांत s ---Y(t) =Y(t) -- Y(t-1) g यहां s =बचत, g = अतिरिक्त आय और t =संमय । इस सिद्धांत से चार निष्कर्ष निकलते हैं :— (1) पूंजी निवेश की मांग अंशतः त्वरण सिद्धांत पर निर्भर करती है, (2) बचत आय के स्तर पर निर्भर करती है, (3) यथार्थ तथा वांछित बचत सदैव एक समान होती है, (4) अभीष्ट संवृद्धि और उसके परिणामों से होने वाले विचलन स्वयंपोषी होते हैं।
किसी प्रदत्त समय पर पूँजी निवेश की मात्रा अथवा माँग व उत्पादन वृद्धि की दर का परस्पर संबंध बताने वाला सिद्धांत जिसे हम हेरड द्वारा दिए गए निम्नलिखित समीकरण या मॉडल के रूप में व्यक्त कर सकते हैं:-
I(t) = g[Y (t)—Y (t-1)] जहाँ I=निवेश, Y=आय, t=काल और g=अतिरिक्त आय का स्थिरांक।
इस सिद्धांत की दो मान्यताएं हैं। पहली यह कि यथार्थ में किया जाने वाला इच्छित पूँजी निवेश वास्तविक बचत के बराबर होता है और वास्तविक तथा अभिप्रेत बचत दोनों अलग-अलग होते हैं।
दूसरी मान्यता यह है कि पूँजी-स्टाक, और पूँजी प्रवाह ये दोनों संकल्पनाएं भिन्न-भिन्न हैं। जब आय की संवृद्धि का उल्लेख अपेक्षित दर से करते हैं, तो इसे अभीष्ट संवृद्धि कहा जाता है। इसे हम निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त कर सकते हैं :— s/g Y(t)=Y(t)-Y(t-1) यहाँ s = बचत, g = अतिरिक्त आय और t = समय ।
इस सिद्धांत से चार निष्कर्ष निकलते हैं :— (1) पूँजी निवेश की माँग अंशतः त्वरण सिद्धांत पर निर्भर करती है, (2) बचत आय के स्तर पर निर्भर करती है, (3) यथार्थ तथा वांछित बचत सदैव एक समान होती है, (4)अभीष्ट संवृद्धि दर और उसके परिणामों से होने वाले विचलन स्वयंपोशी होते हैं।

Acceptance region
स्वीकरण क्षेत्र
प्रतिदर्श आँकड़ों की समष्टि में बिन्दु माध्य के अक्ष के आस-पास ऐसा नियत क्षेत्र जिसमें से अज्ञात प्राचलों की सूचना प्राप्त करने के लिए बिन्दु आकल स्वीकार किए जा सकते हैं।
यदि ये बिंदु माध्य के अक्ष से एक नियत क्षेत्र के भीतर हों तब इन्हें स्वीकार किया जाता है और यदि ये बाहर हों तो इन्हें अस्वीकार कर दिया जाता है।
यह आवश्यक नहीं कि इस प्रकार का क्षेत्र माध्य रेखा से दोनों ओर समान अंतर पर हो। कभी-कभी यह पूरे का पूरा इस रेखा के एक ओर भी हो सकता है।
इस संकल्पना का प्रयोग प्रायः परिकल्पना परीक्षण में किया जाता है।

Accumulation
संचयन
संचयन का अर्थ है जमा करना। किसी वस्तु का संचय भविष्य में उसकी खपत के लिए भी किया जा सकता है या फिर उत्पादन के साधनों की वृद्धि के लिए भी किया जा सकता है। इस प्रकार संचयन के दो उद्देश्य हो सकते हैं, खपत तथा निवेश। संचयन का एक और सीमित अर्थ है उत्पादन और खपत के बीच का अंतर। सीनियर (Senior) संचयन का अर्थ उपरति अथवा स्थगन मानते हैं। संचयन की दर लाभ की दर पर निर्भर करती हैं। वेतन तथा कीमतें अधिकांशतः संचयन के स्तर पर निर्भर करती हैं। मार्क्स और शुमपीटर का आर्थिक विश्लेषण तथा सिद्धांत इस प्रवृत्ति के इर्दगिर्द घूमते हैं। लाभ तथा संचयन की यह प्रवृत्ति पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता है।

Action programme
क्रियात्मक कार्यक्रम
ऐसी कार्यप्रधान योजना। जिसके जरिए किसी समाज या वर्ग में किसी समस्या के हल के लिए उसमें कोई गुणात्मक परिवर्तन लाने की चेष्टा की जाती है जैसे, परिवार के आकार में परिवर्तन लाना या परिवार नियोजन की तकनीकों का प्रचार तथा प्रवसन एवं नगरीकरण, साक्षरता या पर्यावरण को सुन्दर बनाने अथवा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व पौष्टिकता संबंधी कार्यक्रम आदि।

Action research
क्रियानिष्ठ अनुसंधान
किसी सामाजिक कार्यक्रम के लिए जब आवश्यक तथ्य प्रामाणिक और नियमित आधार पर उपलब्ध नहीं होते तब उसे क्षेत्र में क्रियानिष्ठ अनुसंधान की आवश्यकता होती है। इसके अंतर्गत हम उस समस्या से संबंधित विशिष्ट अध्ययनों तथा विशेष शैक्षणिक एवं तकनीकी विकास के कार्यक्रमों और जनता तक पहुँचाने के लिए व्यापक संचार साधनों व उपयुक्त माध्यमों की खोज को सम्मिलित करते हैं।


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