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Hindu Dharmakosh (Hindi-Hindi)

व्यञ्जनों का पन्द्रहवाँ तथा टवर्ग का पञ्चम अक्षर। कामधेनुतन्त्र में इसके स्वरूप का निम्नांकित वर्णन है :
णकारं परमेशानि या स्वयं परकुण्डली। पीतविद्युल्लताकारं पञ्चदेवमयं सदा।। पञ्चप्राणमयं देवि सदा त्रिगुणसंयुतम्। आत्मादितत्त्वसंयुक्तं महामोहप्रदायकम्।। तन्त्रशास्त्र में इसके चौबीस नामों का उल्लेख पाया जाता है :
णो निर्गुणं रतिर्ज्ञानं जम्भनः पक्षिवाहनः। जया शम्भो नरकजित् निष्कला योगिनीप्रियः।। द्विमुखं कोटवी श्रोत्रं समृद्धिर्बोधिनी मता। त्रिनेत्रो मानुषी व्योमदक्ष पादाङ्गुलेर्मुखः।। माधवः शङ्खिनी वीरो नारायणश्च निर्णयः।।

णत्वदर्पण
तृतीय श्रीनिवास पण्डित द्वारा रचित ग्रन्थों में एक कृति। इसमें विशिष्टाद्वैत मत का समर्थन तथा अन्य मतों का खण्डन है। रचनाकाल अठारहवीं शती वि० का उत्तरार्ध है।


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