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Hindu Dharmakosh (Hindi-Hindi)

व्यञ्जन वर्णों के चवर्ग का पञ्चम अक्षर। कामधेनुतन्त्र में इसके स्वरूप का निम्नांकित वर्णन है :
सदा ईश्वरसंयुक्तं ञकारं श्रृणु सुन्दरि। रक्तविद्युल्लताकारं या स्वयं परकुण्डली।। पञ्चदेवमयं वर्णं पञ्च प्राणात्मकं सदा। त्रिशक्तिसहितं वर्णं त्रिबिन्दुसहितं सदा।।
तन्त्रशास्त्र में इनके अनेक नाम बतलाये गये हैं :
ञकारों बोधनी विश्वा कुण्डली वियत्। कौमारी नागविज्ञानी सव्याङ्गुलं मखो वकः।। सर्वेशचूर्णिता बुद्धिः स्वर्गात्मा घर्घरध्वनिः। धर्मैकपादः सुमुखो विरजा चन्दनेश्वरी।। गायनः पुष्पधन्वा च रागात्मा च वराक्षिणी।।
एकाक्षरकोष में इसका अर्थ 'घर्घर ध्वनि' है। परन्तु मेदिनीकोष के अनुसार इसका अर्थ 'शुक्र' अथवा 'वामगति' है।


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