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Hindu Dharmakosh (Hindi-Hindi)

नारायणबलि
रोग आदि की दुर्दशा या दुर्घटना में मृत् व्यक्तियों की सद्गति के लिए किया जानेवाला विशेष पितृकर्म, जिसके अन्तर्गत प्रेत के साथ कई देवता पूजे जाते हैं और नारायण (शालग्राम) का पूजन, अभिषेक एवं होम संपादित होता है।

नारायणमन्त्रार्थ
यह आचार्य रामानुजरचित एक ग्रन्थ है।

नारायण विष्णु
श्रीवैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायी श्री अथवा लक्ष्मी एवं विष्णु के अतिरिक्त किसी अन्य देव की भक्ति या पूजा नहीं करते हैं। इनके आराध्यदेव हैं नारायण, विष्णु। दे० 'नारायण'।

नारायण सरस्वती
योगदर्शन के एक व्याख्याकार, जो गोविन्दानन्द सरस्वती के शिष्य थे तथा 'मणिप्रभा' टीका के रचयिता रामानन्द सरस्वती के समकालीन थे। इन्होंने 1649 वि० में योगशास्त्र का एक ग्रन्थ लिखा।

नारायणसंहिता
मध्व ने अपने भाष्य में ऋग्वेद, उपनिषद् तथा गीता के अतिरिक्त कुछ पुराणों एवं वैष्णव संहिताओं का भी उद्धरण दिया है। इन संहिताओं में 'नारायण संहिता' भी एक है।

नारायण उपनिषद् (नारायणोपनिषद्)
इस उपनिषद् में प्रसिद्ध नारायणमन्त्र 'ओम् नमो नारायणाय' की व्याख्या की गयी है।

नारायणीय उपाख्यान
महाभारत के शान्तिपर्व, मोक्षधर्म प्रकरण में नारायणीय उपाख्यान वर्णित है। दे० 'नारायण'।

नारायणीयोपनिषद्
तैत्तिरीय आरण्यक का दसवाँ प्रपाठक 'याज्ञिकी' अथवा 'नारायणीयोपनिषद्' के नाम से विख्‍यात है। इसमें मूर्तिमान् ब्रह्मतत्त्व का निरूपण है। शङ्कराचार्य ने इसका भाष्य लिखा है।

नारायणेन्द्र सरस्वती
सायणाचार्य के ऐतरेय तथा कौषीतकि आरणअयकों के भाष्यों पर अनेक टीकाएँ रची गयी हैं। नारायणेन्द्र सरस्वती की भी एक टीका उक्त भाष्यों पर है।

नालायिर प्रबन्धम्
नाथ मुनि (यामुनाचार्य के पितामह तथा रामानुज सम्प्रदाय के पूर्वाचार्य) ने नम्माल्वार तथा अन्य आलवारों की रचनाओं का संग्रह किया तथा उसका नाम रखा 'नालायिर प्रबन्धम्' अथवा 'चार सहस्र गीतों का संग्रह।' इस पर अनेक भाष्य रचे गये हैं। नाथ मुनि ने इस ग्रन्थ के गीतों का पाठ तथा गान करना अपने अनुयायियों का दैनिक कार्यक्रम बना दिया।


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