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Definitional Dictionary of Surgical Terms (English-Hindi)
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Actinium
एक्टीनियम
एक्टीनियम नामक रासायनिक तत्व, जिसका रासायनिक सूत्र ए सी (Ac) है एवं परमाणु भार 89 है। इसे डेबिर्ने (Debierne) ने खोजा था।

Actinomycosis
एक्टिनोमाइसीजता
जो मुख गुहा (oral cavity) में एक सामान्य परोपजीवी (commensal) है। फंगस या कवक-ऐक्टिनोमाइसीज इजरायली के जरिए उत्पन्न ऊतकों (tissues) की खास तौर की सूजन। इस संक्रमण से एक ठोस मजबूत पिण्ड बनता है जो बाद में टूट जाता है और उसमें कई नाड़ीव्रण (sinuses) बन जाते हैं। आमतौर पर यह बीमारी मुँह, ग्रीवा, वक्ष तथा उदर में होती है। इसमें से कणिकामय पूय (रवेदार पीप) निकलता है और उसी की परीक्षा करके इस बीमारी का पता लगाया लिया जाता है। इस बीमारी में प्रतिजीवी औषधियाँ (antibiotics) दी जाती हैं। यदि जरूरत हो तो शस्त्रकर्म भी किया जाता है।

Acupressure
आक्यूप्रेसर/विदुदाव
एक विशेष चिकित्सा पद्धति जिसमें रोगों का इलाज शरीर के विशेष हिस्सों में उचित रूप से दाब देकर किया जाता है। यह विधि कुछ किस्म के दर्द के लिये उपयोगी है। इस में उंगलियों या भोंथरे सिरे वाले (blunt ended) यंत्रों का उपयोग किया जाता है। इसी से मिलती एक अन्य चिकित्सा पद्धति को एक्यूपंचर कहते हैं जिसमें तरह-तरह की सुइयों का प्रयोग किया जाता है। एक्यूप्रेशर विधि को प्राकृतिक चिकित्सा (Naturopathy) का एक रूप माना जा सकता है।

Acupressure Forceps
सूचीदाब संदंश/सूची दाब पूलिका
एक्यूप्रेशर में प्रयुक्त संदेशयन्त्र।

Acus
सूची
सूचि अथवा सूचीवत् तीक्ष्णशस्त्र।

Acusection
सूचीपरिच्छेद
वैद्युत शल्य सूची द्वारा परिच्छेदन (काटना-section) करना।

Acute
तीव्र, तीक्ष्ण
तीव्र शब्द रोग की विशेष अवस्था का सूचक है, जो गम्भीर रूप से एवं अल्प काल में उत्पन्न होता है। तीक्ष्णाग्र भाग।

Acute Abdomen
तीव्र उदर
उदर की एक तीव्र अवस्था, जो उदर के भीतर सूजन य रक्त की नलियों के रुक जाने के कारण पैदा होती है। यदि उसका जल्दी से इलाज न किया जाय, तो रोगी में स्तब्धता (सदमे) के चिह्न, जैसे नाड़ी का तेज चलना,रक्त का दबाव कम हो जाना आदि देखने को मिलते हैं। इसलिए ऐसे रोगियों का निदान और इलाज जल्दी से जल्दी करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह रोग बहुत ही खतरनाक रूप धारण कर सकता है।

Acute Abscess
तीव्र विद्रधि
जो विद्रधि अल्पावधि में उत्पन्न हो और उसमें तीव्र पीड़ा, स्थानिक शोथ, उत्सेध एवं ज्वर आदि लक्षण उपस्थित हों।

Acute Appendicitis
तीव्र उण्डुकपुच्छशोथ
यह दो प्रकार का होता है (1) रोधज (obstructive) जहां उण्डूकपुच्छ की अवकाशिका (lumen) सख्त विष्ठा से रुक जाए (मलाश्मरी-), (2) अरोधज अनवरुद्ध (non-obstructive) जहां अवकाशिका में कोई रुकावट नहीं होती। इस रोग का विशिष्ट (खास) लक्षण नामि (टूटी) के चारों तरफ आरम्भ होता हुआ दर्द है। यह दर्द बाद में श्रोणि खात (iliac fossa) की तरफ जाता है। वमन होता है तथा बुखार बढ़ जाता है। यदि फोड़ा नहीं बना हो तो ज्वर 1010F से आगे नहीं जाता। उण्डुक-पुच्छोच्छेदन (Appendicectomy) करके रोगग्रस्त उण्डुक को निकाल दिया जाता है। यदि तीव्र अवस्था सुधर रही है या (पिण्ड) लम्प (conservative treatment) बन गया हो, तो शल्यकर्म नहीं किया जाता। इस प्रकार के रोगियों को साधारण या रूढ़ चिकित्सा (conservative treatment) द्वारा ठीक किया जाता है। कालान्तर में उण्डुकपुच्छोच्छेद किया जाता है।


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