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Definitional Dictionary of Surgical Terms (English-Hindi)
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Apinealism
अपिनियता
पिनियल ग्रंथि के अभाव अथवा उसकी क्रिया हनिता से उत्पन्न लक्षण। पिनियल ग्रंथि के अभाव अथवा उसकी क्रियाहीनता से निमन कशेरुकियों में, जो कि एक विशेष मौसम में प्रजनन करते हैं प्रजननेच्छा कम होती है पीनियल ग्रंथि मिलैटोनिन नामक हारमोन स्रावित करती है, जिसका प्रमुख कार्य प्रजनन इच्छा व त्वचा-वर्णक निर्माण (Skin Pigmentation) में होता है। मानव में पीनियल ग्रंथि का कार्य अब तक ज्ञात नहीं है अतः इसकी अनुपस्थिति से शरीर-क्रिया पर संभवतः कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है।

Apituitarism
अपियूषग्रंथिता
पियूष ग्रन्थि के अभाव अथवा उसकी क्रिया हीनता से उत्पन्न लक्षण। इस ग्रंथि को सभी अंतस्रावी ग्रंथियों का प्रधान (Master of Endocrine Orchestra) कहते हैं क्योंकि इस ग्रंथि द्वारा ही अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों के उत्प्रेरकों का (Tropic hormones of other endocrine glands) स्रावण होता है। अतः इस ग्रंथि की क्रियाहीनता से शरीर के संपूर्ण अंतःस्रावी ग्रंथियों के स्रावण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। कुछ प्रमुख प्रभावित अंतःस्रावी ग्रंथियां हैं- थायरायड (Hypothyroidism) एड्रीनल (Hypoadrenalism), जनन ग्रंथियां (Hypogonadism)। इस ग्रंथि के अभव के कई कारण हो सकते हैं- बच्चा पैदा होने के समय कुछ स्त्रियों में इस ग्रंथि में रक्त-स्राव (Pitutary apobiexy), इस ग्रंथि के अर्बुद होने पर इस ग्रंथि को शल्य-कर्म द्वारा निकाल देना आदि।

Apocope
उच्छेदन
शरीर के किसी अंग को काटकर निकालना।

Apocoptic
अंगोच्छेदन संबंधी
शरीर के किसी अंग के काट देने के बाद की स्थिति।

Aponeurectomy
कंण्डराकला उच्छेदन
शल्यकर्म द्वारा कण्डरा कला को काटकर निकालना इस प्रक्रिया का उपयोग मुख्यतः कण्डराकलाओं की असामान्य सिकुड़न (Cctracture of Aponeurosis) को दूर करने के लिये किया जाता है। उदा, के लिए वृद्धावस्था में हथेली में होने (Dupuytren's Contracture) के लिये कण्डराकला उच्छेदन।

Aponeurotomy
कण्डराकला छेदन
शस्त्रकर्म द्वारा कंडरा कला का छेदन करना।

Apotripsis
अव्रणशुक्लकार्निया निर्हरण
कृष्णमण्डलश्रित अव्रणशुल्क को निकालना।

Appendectomy & Appendicectomy
उण्डुक पुच्छोच्छेदन
उण्डुक पुच्छ (Vermiform Appendix) को शल्य-कर्म द्वारा काटकर बाहर निकालना। यह प्रक्रिया उण्डुक पुच्छ में तीव्र पदाह होने (Acute Inflammation) पर, जिसे उण्डुक पुच्छ शोथ (Acute Appendicitis) कहते हैं, की जाती है। इस शल्य-कर्म के पहले यह ध्यान देना जरूरी है कि उण्डुक पुच्छ फट न गयी है (No rupture in appendix) और उदर कला शोथ (Peritonitis) न हो गयी है। उण्डुक पुच्छ उदर के दाहिने निचली ओर स्थित होता है अतः चीरा (Incision) उदर की दीवार (Abdominal Wall) के दाहिने निचली ओर (Rt. Lower-Quadrant) में लगाते हैं। साधारण परिस्थिति में शल्य-कर्म पश्चात् देखभाल (Post Operation Care) अन्य उदरीय शल्य-कर्मों के समान होती है किंतु जटिलता (Rupture & Peritonitis) होने की दशा में चीरे में एक नलिका (Drain) लगा देते हैं तथा घाव की पट्टी (Dressing) बार-बार बदलते हैं। इस समय अन्य उदरीय शल्य-कर्मों के साथ (Prophylactically) उण्डुक पुच्छ को नहीं निकालते हैं क्योंकि इसका इस्तेमाल भविष्य में सूत्रसंस्थान के शल्य-कर्मों (Urological Surgery) में किया जा सक्रता है। शल्य-कर्म पश्चात् देखभाल (Other Post-Operative Care) में अंतःशिरीय द्रवों (Intrarenous Fluid) के माध्यम से प्रतिजैविक औषधियों (Antibiotics), पीड़ानाशक (Analgesics) व विद्युत-योजी तत्वों (Electrolytes) को दिया जाता है जिससे संक्रमण व पीड़ा शीघ्र कम हो जाये।

Appendicitis
आंत्रपुच्छ उण्डुकपुच्छशोथ
इस अवस्था में उण्डुकपुच्छ में सूजन (inflammation) हो जाती है। यह रोग मांसाहारी व्यक्तियों में अधिक होता है। तीन महीने की आयु से पहले यह बीमारी अक्सर नहीं होती है। इसके बाद यह किसी भी उम्र में हो सकती है। नैदानिक रूप से यह दो प्रकार की होती है (1) तीव्र उण्डुकपुच्छशोथ तथा (2) पुनः (recurrent) उण्डुकपुच्छशोथ।

Appendicolysis
आन्त्रपुच्छ पृथकन
आन्त्रपुच्छ को संलग्न भागों से शस्त्रकर्म द्वारा पृथक करना।


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