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Definitional Dictionary of Surgical Terms (English-Hindi)
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Ulcer
व्रण
शरीर के किसी भी हिस्से में चोट लगने से क्षत (घाव) हो सकता है। इसमें त्वचा तथा श्लेष्मिक कला (झिल्ली) का फट जाना (चाहे संक्रमण सहित अथवा उसके बिना) व्रण कहलाता है। व्रण सालान्यतः चोट, संक्रसण और अर्बुदों (tumours) के कारण होते हैं। व्रण में किनारे (margins) और भूमि (floor) या आधार (base) होते हैं। घाव की पहचान उसके आकार आदि से की जा साकती है। व्रण का सही कारण जानकर उसका ठीक इलाज कीया जा सकता है।

Ulcerative Colitis
व्रणीय वृहदांत्र शोथ
यह बड़ी आंतों की व्रणीय अवस्था है।इस रोग के कारणों का ठीक से ज्ञान नहीं है। कुछ अंशो में ईस बीमारी को मनःकायिक रोग(psychosomatic disease) भी माना जाता है। यह दो प्रकार का होता है।(1) तीव्र तथा (2)चिरकारी या पुराना। बीमारी के पुराने होने पर बहुत से उपद्रव (complication) पैदा हो जाते हैं। सबसे भयंकर उपद्रव कार्सिनोमा का विकास है। रोगी को खून और आंव के दस्त लग जाता है और वह कमजोर हो जाता है। अरम्भ में चिकित्सा औषधियों दारा की जाती हैं और जब इससे रोग ठीक नहीं होता तब आपॅरेशन से बडी आंत तथा मलाशय को निकाल देते हैं और शेषान्त्र-छिद्रीकरण (ileostomy) की व्यवस्था कर दी जाती है।

Ulcerative Stomatitis
सव्रण मुखपाक
जिह्ना के ऊपर घाव या व्रण (ulcer) का बन जाना। इसे बोलचाल की भाषा में “मुंह आ जाना” कहते हैं। इसके साथ ही प्रायः कपोल तथा ओठों (lips) में भी व्रण आदि हो जाते हैं। इस रोग का कारण अभिघात(trauma) या संक्रमण (infection) हो सकता है। यह विशिष्ट (specific) या अविशिष्ट (non-specific) हो सकता है।

Ulna
अन्तःप्रकोष्ठिका, अल्ना
कशेरुकियों में अग्रबहु की भीतरी या अक्षपक्षीय ( छोटी अगुंलि की ओर स्थित में उससे जुड़ी होती है।

Ulnar Neuritis
अन्तःप्रकोष्ठिका तंत्रिकाशोथ
यह अवस्था उस समय उत्पन्न होती है जब बच्चे में प्रगंडिकास्थि (humerus) के पार्श्व स्थूलक (lateral condyl) के पुराने अस्थिभंग (fracture) के बाद बहिर्नत प्रकोष्ठ (cubitus valgus) करने पर तंत्रिका के खिंचने (stretching) के तंत्रिका विधान (nerve sheath) में पुराना क्षोभ (chronic irritation) होता है। रोगी अन्तः प्रकोष्ठिका की तरफ की दो अगुंलियों में झनझनाहट तथा सुई के चुभने जैसी संवेदना (sensation) तथा कमजोरी आने की शिकायत करता है। इस रोग की चिकित्सा में तंत्रिका का अग्र स्थिति अन्तरण अर्थात् सामने को ओर फैलाना, (anterior transposition) लाभदायक सिद्ध हुआ है।

Ultra-Short Wave
अतिलघु तरंग डायाथर्मी
(1) लघुतरंग डायाथर्मी का एक प्रकार जिसमें प्रयोग में आने वाली तरंग (wave) की लम्बाई 10 मीटर से कम होती है।
(2) एक रज्जु जो गर्भस्थ शिशु को (Foetus) अपरा (Placenta) के साथ रक्त संवहन स्थापित करता है। जिसमें सम्मिलित है। (Umblical artery & Umblical veins)

Umbilical Cord
नांभि रज्जु
संवहनी स्तनियों में गर्भस्थ भ्रूण को अपना तक लाने ले जाने के लिए रूधिर वाहिकाएं होती हैं।

Umbilical Hernia
नाभि-हर्निया
कमजोर नाभि-व्रणचिह्न (umbilical scar) से आंत का बहिःसरण (बाहर निकलना)। यह अवस्था आमतौर पर शिशुओं एवं बालकों में देखी जाती है और जन्मजात होती है। इसके वयस्क प्रकार को परानाभि-हर्निया (para umbilical hernia) कहते हैं जहां पर बहिःसरण नाभि के ऊपर या नीचे की तरफ से कमजोर उदर मध्य रेखा (linea alba) के जरिए होता है। बच्चों में इसकी चिकित्सा पट्टी चिपकाना (strapping) तथा वयस्कों में ञपरेशन है। वक्षण हर्निया की तरह इस प्रकार की हर्निया में भी उपद्रव (complication) होने की सम्भावना रहती है।

Umbilicus
नाभि, पिच्छछिद
स्तनियों में उदर के मध्य भाग पर नाभि रज्जु के जुड़ने के स्थल पर बना गच्र अथवा प्राणियों मे ऐसी ही कोई संरचना।

Undescended Testes
अनवतीर्ण वृषण
वृषण का साधारण तरीके से अपने कोश में (वृषणकोश -scrotum) न आ पाना। यह पाना। यह अवस्था एक तरफ या दोनों तरफ हो सकती है वृषण के अपने कोश में न आने का कारण उसके अपने रास्ते में कहीं कोई रुकावट (arrest) हो सकती है। ऑपरेशन के जरिए रुकावट दूर कर दी जाती है।


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