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Definitional Dictionary of Surgical Terms (English-Hindi)
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Back-Ache
पृष्ठवेदना
शरीर के पृष्ठ पीड़ा की शायद ही कोई ऐसा मनुष्य होगा जिसने अपने जीवन में पृष्ठ-पीड़ा (Back ache) का अनुभव कभी न किया हो। यह पीड़ा शरीर पृष्ठ के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है किंतु सामान्यतः पीठ के निचले हिस्से (Lower thoracic region) व कमर दर्द (Lumbar pain) को ही पृष्ठ पीड़ा के रूप में समझा जाता है। मानव विज्ञानियों (Physical & Medical anthropologists) के अनुसार मनुष्यों में पृष्ठ पीड़ा वास्तव में उनके द्विपदगामी होने की कीमत (The price of being bipedal) मात्र है। उनके अनुसार कूल्हों के ऊपर का शरीर का पूरा भार कमर की कशेरुकाओं (Lumber vertebral) में टिका होता है क्योंकि इस भाग में अन्य कंकाली सहारा (Skeletal support) नहीं होते केवल मांसपेशियां ही होती हैं। अतः इस भाग में तनाव अत्यधिक होता है। इस तनाव को कुछ विशेष परिस्थितियां और बढ़ा देती हैं उदाहरण गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में, अत्यधिक झुककर कार्य करने से, यहां की कशेरुकाओं के कुछ रोग (eg. T. B.) या चोट आदि। इस वजह से कशेरुकाओं, उनके बीच की उपास्थि (intervertebral disk) व अस्थिबंधक तंतुओं (vertebral ligaments) में छीजन व नषअटीकरण (Degeneration) बढ़ जाता है। इसके अलावा वृद्धावस्था में (osteoporotic) या किसी भी अवस्था में कैल्सियम की कमी से भी कशेरुकाये कमजोर हो जाती हैं जिसकी परिणिति पृष्ठ पीड़ा के रूप में होती है। इन परिस्थितियों में कभी-कभी कशेरुकाओं के सिरे बढ़ (osteoporotic growth) जाने से संबंधित तंत्रिका (corresponding spinal nerve) में नुकसान शरीर की भंगिमा को सही रखकर (correct postural positions) इसकी तीव्रता को कम किया जा सकता है। अन्य उपचार कारणानुसार किया जाता है तथा चिकित्सीय व्यायाम (physiotherapy) से विशेष फायदा मिलता है।

Back-Bone
रीढ़, पृष्ठकंकाल
शरीर के पृष्ठ भाग में स्थित एक खोखली नली (Hollow tubular) के आकार की संरचना जो कई हड्डियों से मिलकर बनी होती है। इन हड्डियों को कशेरुकायें (vertebral) रहते हैं अतः इस पूरी संरचना को कशेरुकी-स्तंभ (vertebral) कहते हैं। यह संरचना मेरुरज्जु (spinal cord) को ढककर रखती है। कशेरुकी प्राणियों (chordates) में पृष्ठ भाग को सहारा देने के लिये पृष्ठ- अस्थि (Back-bone) का होना एक विशिषअट लक्षण है। निम्न कशेरुकियों (Lower hordates) में एक ठोस नली (Notochord) तथा उच्च कशेरुकियों (higher chordates) में कशेरुकी-स्तंभ (Vertebral column) पाया जाता है। एक विकसित मनुष्य (Adult man) में इकतीस (31) कशेरुकायें होती हैं। शरीर के अलग-अलग भाग की कशेरुकाओं को अलग-अलग नाम दिया जाता है उदाहरण ग्रीवीय (Cervical vertebrale) वक्षीय (Thoracic) कमर (Lumber) कमर के नीचे (Sacrococcygeal vertebrale) । इन सभी में आपस में एक मूलभूत समानता होते हुये भी क्षेत्रीय रचनात्मक विशेषताओं (Regional anatomical characteristics) की वजह से कुछ अंतर भी होते हैं। उदाहरण के लिये वक्षीय कशेरुकाओं के दोनों ओर एक एक लंबी चपटी हड्डियाँ-पसलियां (Ribs) निकली होती हैं। सभी पसलियां मिलकर वक्षीय पिंजड़ (Thoracic cage) बनाती है जिसमें फेफड़े व्यवस्थित होते हैं। पृष्ठ हड्डी वक्षीय कंकाल (Throcacic skeleton) का एक प्रमुख भाग बनाती है।

Backbone (Verterbral Column)
पृष्ठास्थि
पीठ में स्थित अनेक छोटी-छोटी हड्डियों से बनी एक खोखली संरचना, जो मेरुरज्जु को ढ़क कर सुरक्षित रखती है। यह कशेरुकाओं का विशिष्ट लक्षण है।

Bacterial
जीवाणुज
जीवाणु से सम्बन्धित।

Bactriochlorophyll
जीवाणुपर्णहरित
कुछ जीवाणुओं द्वारा बनाया जाने वाला एक प्रकार का पर्णहरित रसायन एवं प्रकाश-संश्लेषण-क्षमता-युक्त।

Balanitis
शिश्नमुंडशोथ
शिश्न के मुंड (glans penis) में सूजन का हो जाना। ऐसी हालत में सुपाड़ी को ढकने वाली खाल (शिश्न मुंडच्छद) भी सूज जाती है। तब उस दशा को शिश्नमुंड-मुंडच्छद शोथ (balano posthitis) कहते हैं। यह अवस्था उन लोगों में मिलती हैं, जिनको शिश्न के आगे की काल (त्वचा) बढ़ी हुई होती है। खाल की तथा उसके आसपास की सफाई अच्छी तरह न रखने या गर्मी, सूजाक आदि रतिज रोगों (venereal diseases) और कभी-कभी कैंसर के भी कारण यह बीमारी पैदा हो जाती है। इसकी चिकित्सा शस्त्रकर्म है जिसमें पुनःस्थापन (reduction) तथा सुन्नत या खतना (circumcision) करना पड़ता है।

Balano Posthits
शिश्नमुण्डच्छद शोथ
शिश्नमुंड (Glans penis) एवं शिश्न मुंडच्छद (prepuce) का एक साथ शोथ (Inflammation)। आरंभिक अवस्था में कुछ जलन या स्राव हो सकता है किंतु तीव्र शोथ (Severe inflammation) में ये दोनों प्रभावित भाग लाल व मवाद स्रावित करने वाले (Red & Pus discharging) हो सकते हैं। सामान्यतः यह दशा शिश्न की उचित सफाई के अभाव में होती है। इसके अलावा निम्नलिखित अन्य रोग भी संबंधित हो सकते हैं। सामान्यतः यह दशा शिश्न की उचित सफाई के अभाव में होती है। इसके अलावा निम्नलिखित अन्य रोग भी संबंधित हो सकते हैं- मधुमेह, लिंग के अग्रचमड़ी की सिकुड़न (Phimosis) शिश्न दुर्दमता (Penile cancer) आदि इन दशाओं में सामान्यतः जीवाणुवीय (Bacterial) या कवकीय (Fungal mainly candidial) संक्रमण होते हैं। जिनके लिये उचित प्रतिजैविक औषधियों (Broad spectrum anbibiotic) तथा मूल रोग का उचित इलाज किया जाता है।

Balanocele
शिश्न-मुण्डावरण-थैली
विदीर्ण शिश्नमुंडच्छद से शिश्नमुंड का बाहर निकालकर थैली की तरह होना।

Balanoplasty
शिश्न-मुण्ड-संधानकर्म
शिश्नमुण्ड का संधानकर्म।

Balance'S Sign
वैलेन्स चिह्न
प्लीहा विदार की पुष्टि में यह एक सहायक चिह्न है। रोगी की दक्षिण कुक्षि (right flank) में स्थान परिवर्ती मन्दस्वनता (shifting dullness) उपस्थित होगी, परन्तु वाम कुक्षि में मन्दस्वनता का स्थान परिवर्तन नहीं हो सकता, क्योंकि रक्त प्लीहा-वृक्क स्नायु (Splenorenalligament) के अन्दर ही इकट्ठा होता है और शीघ्र ही जम जाता है।


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