logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Chhattisgarhi Kahawat Kosh

Please click here to read PDF file Chhattisgarhi Kahawat Kosh

अपन करनी करै, दूसर ला दोस दै।
स्वयं करतूत करना तथा दूसरे पर दोष मढ़ना।
व्यक्ति कार्य तो स्वयं करता है, जब परिणाम पक्ष में नहीं होते तो दूसरों पर दोष डालने की कोशिश की जाती है।
ऐसे व्यक्ति जो स्वयं गलत काम कर के उस के परिणाम का भागी दूसरों को बताते हैं, उन के लिए यह लोकोक्ति प्रयुक्त होती है।
अपन-अपना, करनी-कार्य, दूसर-दूसरा, ला-को दोस-दोष, दै-देना

अपन कुरिया घी के पुरिया।
अपना घर घी की पुड़िया के समान होता है।
शारीरिक शक्ति की अभिवृद्धि के लिए घी का विशेष महत्व है। घी मूल्यवान होने से हर किसी के लिए सहज ही सुलभ नहीं होता।
स्वयं का घर भी घी के समान मूल्यवान होता है, क्योंक्ति अपने घर में व्यक्ति स्वतंत्रतापूर्वक रह सकता है। अपनी सामान्य वस्तु भी अपने लिए उपयोगी होने के कारण घी के समान मूल्यवान होती है।
अपन-अपना, कुरिया-कमरा, पुरिया-पुड़िया

अपन फूला ला देखे नहिं, दूसर के टेटरा ला हाँसै।
अपना फूला न देखकर, दूसरों की टेंट को हँसना।
स्वयं का दोष न देखकर, दूसरों की त्रुटि पर हँसना।
अपनी आँख का 'फूला' न देखकर दूसरे की टेंट पर हँसना उसी प्रकार है, जिस प्रकार अपने दोष को न देखकर दूसरे के उससे कम दोष पर हँसना।
फूला-आँख पर उभरा हुआ सफेद धब्बा, जो चोट लगने से, चेचक से या आँख की एक बीमारी से पैदा हो जाता है, दूसर-दूसरा, ला-को, टेटर-आँख पर का उभरा हुआ माँस-पिंड, हांसै-हंसना

अपन मराय, काला बताय।
अपनी मराई, किसे बताएं।
अपनी संभोग-संबंधी बातें किसी दूसरे को कैसे बताए। जिस व्यक्ति ने किसी से अवांछनीय मैथुन-कार्य कराया हो, वह अपने इस कार्य को किसे बताए। इसे बताने पर उसकी निंदा होगी।
जब अपने द्वारा कोई हानि का काम हो गया हो, तब उस हानि के संबंध में पूछे जाने पर हानि उठाने वाले के द्वारा यह कहावत कही जाती है।
अपन-अपना, मराय-संभोग कार्य, किसी कार्य में पिस जाना, काला-किसे, बताय-बताना।

अपन मरे बिन सरग नई दिखै।
अपने मरे बिना स्वर्ग दिखाई नहीं देता।
अपना काम स्वयं करने से ही पूर्ण होता है।
जब कोई व्यक्ति अपना कार्य किसी अन्य को करने के लिए कहता है और वह व्यक्ति उसे नहीं कर पाता, तब वह काम उसे स्वयं हाथ में लेकर पूरा करना पड़ता है, ऐसी स्थिति में यह कहावत कही जाती है।
अपन-अपना, मरे-मरना, बिन-बिना, सरग-स्वर्ग, नई-नहीं, दिखै-दिखे

अपन ला तोपै, दूसर के ला उघारे।
अपना छिपाना और दूसरों का प्रकट करना।
कोई व्यक्ति अपनी किसी खराबी को छिपा लेता है तथा दूसरे की वैसे ही खराबी को प्रकट कर देता है।
स्वयं की काली-करतूतों को ढकने के लिए जब कोई व्यक्ति दूसरों की बुराइयों को प्रकट करने लगता है, तब उस व्यक्ति के लिए यह कहावत कही जाती है।
अपन-अपना, तोपै-ढकना, दूसर-दूसरा, उघारे-उघाड़ना

अपन हाथ, जगन्नाथ।
अपना हाथ, जगन्नाथ।
यदि अपने हाथ से किसी वस्तु को लेना हो तो जितनी चाहो ले लो, ईश्वर से उसे माँगने की क्या आवश्यकता।
किसी वस्तु को चाहने वाला व्यक्ति यदि उसे दूसरे से न पाकर स्वयं ही ले ले, तो वह उसे मन माफिक ले लेता है। इच्छित वस्तु मनचाही मात्रा में मिलने पर यह कहावत कही जाती है।
अपन-अपना

अम्मठ ले निकल के चुर्रूक माँ पड़ गे।
खट्टे से निकलकर अधिक खट्टे में पड़ गया।
जब कोई व्यक्ति किसी सामान्य मुसीबत से मुक्त होकर बड़ी मुसीबत में फँस जाए तो उसका ऐसा फँसना खट्टे से निकलकर अधिक खट्टे में फँसने के समान है।
किसी एक छोटी सी मुसीबत से निकलकर बड़ी मुसीबत में पड़ जाने वाले व्यक्ति के परिपेक्ष्य में यह बात कही जाती है।
अम्मठ -खट्टा, चुरूर्क-अधिक खट्टा

अरोसी सीख परोसी घर सीख जेठानी।
बाहर अड़ोस-पड़ोस से तथा घर में जेठानी से शीखना।
ऐसी स्त्री जो पड़ोस की बातें मानती है तथा घर में जेठानी की बातों को सुनती है, सही मार्ग पर नहीं चलती। वस्तुतः उसे घर में सास की बातों को सुनना चाहिए।
अपने शुभचिंतकों की बातों को न मानकर औरों के बहकावे में आकर तदनुकूल करने वालों के लिए यह कहावत कही जाती है।
अरोसी-अड़ोस, सीख-सीखना, परोसी-पड़ोस, ले-उनसे

अलकर के घाव, अउ कुराससुर के बैदइ।
कुठौर में फोड़ा और ज्येष्ठ का इलाज।
किसी लज्जाजनक बात को किसी के आगे प्रकट न किया जा सके, जिससे कष्ट सहना पड़ता है।
छोटे भाई की पत्नी ज्येष्ठ से पर्दा करती है। ज्येष्ठ वैद्य है, जिन्हें गुप्त स्थान का फोड़ा इलाज करने के लिए कैसे दिखाया जा कसता है।
अलकर-कुठौर, कुराससुर-ज्येष्ठ


logo