एक घूँट पीए तो भी मतवाले, दो घूँट पीए तो भी मतवाले।
कोई व्यक्ति शराब चाहे थोड़ी पीए या ज्यादा, देखने वाले तो उसे शराबी ही कहेंगे। उन्हें इससे क्या मतलब कि उसने शराब कितनी पी है?
जब कोई व्यक्ति उदाहरणार्थ यह कहता है कि उसने तो एकाध बार ही झगड़ा किया है, तब भी लोग उसे झगड़ालू कहते हैं। किसी भी कुकर्म का थोड़ा भी किया जाना आदमी को कुकर्मी बना देता है।
छाक-घूंट, पिइस-पीना, मतवार-शराबी, दू-दो
एक जंगल माँ दू ठिन बघवा नइ रहै।
एक जंगल में दो बाघ नहीं रहते।
दो शक्तिशाली आपस में मिलकर नहीं रह सकते। प्रत्येक एक दूसरे को समाप्त कर देने का प्रयत्न करता है, ताकि उसकी ही अधिकार रहे।
दो शक्तिशाली लोगों के विरोध को देखकर यह कहावत कही जाती है।
दू-दो, ठिन-नग, बघवा-बाघ, नइ-नहीं, रहै-रहना
एक ठन लइका, गांव भर टोनही।
अकेला बच्चा और गाँव भर जादूगरनी।
किसी एक बच्चे का नुकसान करने वाली अनेक जादूगरनियाँ हैं।
जब किसी एक वस्तु के अनेक ग्राहक हों, तब यह कहावत कही जाती है।
टोनही-जादूगरनी, ठन-नग, लइका-बच्चा, गांव भर-पूरे गांव में
एक ठन हर्रा गाँव भर खोंखी।
एक हर्रा, गाँव भर खाँसी।
एक वस्तु के अनेक ग्राहक।
जब किसी एक वस्तु को चाहने वाले अनेक लोग हो जाते हैं, तब यह कहावत कही जाती है। इसका आशय 'एक अनार, सौ बीमार'वाला है।
खोंखी-खाँसी, ठन-नग, गांव भर-पूरे गांव में
एक तो अइसने भैरी, तउन माँ बाजा बाजै।
एक तो ऐसे ही बहरी, ऊपर से बाजा बज रहा है।
बहरी स्त्री के कुछ न सुनने पर बाजा पर बाजा बजने का बहाना मिल जाए, उसी प्रकार स्वभाव से अकर्मण्य व्यक्ति को यदि कोई बहाना मिल जाए, तो फिर क्या कहना।
बहाना खोज लेने वाले कामचोर लोगों के लिए यह कहावत कही जाती है।