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Chhattisgarhi Kahawat Kosh

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झन साँप मरै, झन लाठी टूटै।
न साँप मरे, न लाठी टूटे।
न काम बिगड़ने पाए और न किसी प्रकार की हानि सहनी पड़े।
हिंदी में इस के विपरीत साँप मर जाए और लाठी न टूटे कहावत मिलती है, जिसका अर्थ है 'काम बन जाए और लाठी न टूटे'। छतीसगढ़ी में साँप न मरना काम का न बिगड़ना अर्थात् काम का बनना है।
झन-मत

झाँठ उखाने ले, मुर्दा हरू नइ होय।
झाँट उखाड़ने से मुर्दा हल्का नहीं होता।
छोटी-सी कमी करने से भार हल्का नहीं होता। नाम मात्र के सहारे से कोई बड़ा काम पूरा नहीं होता।
इस कहावत का प्रयोग ऐसे अवसरों पर होता है, जब कोई व्यक्ति किसी कार्य के लिए नाम मात्र का सहयोग प्रदान करता है।
झाँठ-जननेन्द्रिय के ऊपर उगने वाले बाल, उखाने-उखाड़ना, हरू-हल्का, नइ-नहीं, होय-होना

झोली माँ झांठ नहिं, सराय माँ डेरा।
झोली में झाँट नहीं, सराय में डेरा।
यदि सराय में निवास करने के इच्छुक व्यक्ति की झोली में कुछ न हो, तो वह सराय में ठहरने के लिए किराया क्या देगा?
ऐसा व्यक्ति जिसके पास पैसे न हो और वह किसी बड़े कार्य का बीड़ा उठाना चाहता है, उसके लिए यह कहावत कही जाती है।
झाँठ-जननेन्द्रिय के ऊपर उगने वाले बाल, नहिं-नहीं


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