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Chhattisgarhi Kahawat Kosh

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औंघात रहे जठना पागे।
ऊँघ रहा था, बिस्तर पा गया।
अनुकूल परिस्थिति अनायास ही मिल गई।
किसी व्यक्ति की इच्छा जिस काम को पूरा करने की हो, उस के लिए उसे यदि अनुकूल या उपयुक्त अवसर और साधन उपलब्ध हो जाए, तब यह कहावत कही जाती है।
जठना-बिस्तर औंघात-उंघना, पागे-पा लिया


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