1. जीविका उपार्जन के लिए किया जाने वाला कार्य। (काम-धंधा, रोजगार, पेशा) 2. व्यवसाय या कारोबार (उद् योग-धंधा)
धँसना अ.कि.
(i) अपने लिए जगह बनाते हुए अंदर घुसना। उदा. रेत में पैर धँसना। (ii) दबाव पड़ने पर नुकीला होने के कारण अंदर घुसना। उदा. काँटा धँसना। (iii) नींव के आस पास की जमीन पोली हो जाने के कारण किसी भवन का ज़मीन में घुसते जाना। उदा. हवेली धँसती जा रही है।
धँसान [धँस+आन]
1. धँसने की क्रिया, भाव या ढंग। 2. वह जगह जिस पर कोई चीज धँसे। 3. ऊपर से नीचे की ओर जाने वाला मार्ग अर्थात ऊँचे स्थान से नीचे स्थान की ओर जाने का रास्ता। उदा. पथिक! सावधान, आगे धँसान है। पर्या. ढलान। विलो. चढ़ान।
धक
(अनु.) भय, अप्रिय घटना आदि के कारण हृदय के सामान्य गति से अधिक तेजी से धडक़ने की स्पष्ट सुनाई पड़ने वाली ध्वनि। मुहा. 1. धक-धक करना=मित्र की आकस्मिक मृत्यु का समाचार सुन मेरा दिल धक-धक करने लगा। 2. धक से रह जाना=दिल के धडक़ने की ध्वनि का स्तब्ध-सा हो जाना। उदा. मित्र की दुर्घटना में मृत्यु का समाचार सुन मेरा दिल धक से रह गया।
धकधकी
(अनुर.) हृदय के धकधक करने की क्रिया। उदा. मुझे धकधकी लगी है कि मेरा बेटा साक्षात्कार में सफलता प्राप्त करेगा या नहीं।
धकापेल
(<धक्का+पेलना) शा.अर्थ धक्का देकर आगे बढ़ाना, धकेलना।, भीड़ में आदमियों का एक-दूसरे को धकेलने की स्थिति, धक्कमधक्का। जैसे: श्रीनाथजी के दर्शन के लिए भक्तगणों में धकापेल मचती है।
धकियाना स.क्रि.
दे. धकेलना।
धकेलना स.क्रि.
(धका-धक्का-धकेलना) 1. बलपूर्वक दबाव देकर किसी व्यक्ति या वस्तु को आगे की ओर सरकाना, खिसकाना या बढ़ाना। पर्या. ढकेलना।
धक्का
<अनु.धम) 1. एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ वेग से टकराना, टक्कर। 2. धकेलने की क्रिया या भाव। 3. ला.अर्थ अकस्मात, उपस्थिति विपत्ति, हानि इत्यादि से मन पर पहुँची चोट।