[फूल+तेल] ऐसा तेल जिसमें फूलों की सुगंध आती हो। पर्या. इत्र, अतर। उदा. करि फुलेल को आचमन, मीठो कहत सराहि। रे गंधी मतिमंद तू, अतर दिखावत काहि।।
फुसफुसाना
स.क्रि. (अनुर.) 1. बहुत ही धीमे स्वर में दूसरे के काम में कुछ कहना ताकि तीसरा कोई सुन न सके। 2. कानाफूसी करना। उदा. तुम दोनों आपस में क्या फुसफुसा रहे हो?
फुसफुसाहट
फुसफुसाने की क्रिया या भाव। कक्षा में पास बैठे दो छात्रों की फुसफुसाहट सुनकर अध्यापिका ने उन्हें पढ़ाई में ध्यान लगाने के लिए (आगाह किया) कहा।
फुसलाना स.क्रि.
मीठी, मधुर बात कह कर या लालच दे कर किसी को कुछ करने के लिए तैयार करना; भुलावा देना; बहकाना जैसे: (रूठे) बच्चे को फुसलाना।
फुहार
आकाश से या किसी पानी छिडक़ने के यंत्र से गिरने वाली पानी की बहुत बारीक बूँदों का सिलसिला (की धारा)। हल्की वारिस।
फूँकना सक्रि.
(फूँक) 1. होंठों को थोड़ा खोल कर मुँह से हवा निकालना। 2. शंख, बाँसुरी आदि को फूँक कर बजाना। 3. किसी के कान में गोपनीय ढंग से अपनी बात कहना। 4. फूँक कर चूल्हे आदि में आग प्रज्वलित करना। ला.अर्थ अपनी संपत्ति को नष्ट कर देना। मुहा. फूँक-फूँक कर पाँव रखना= किसी काम को करते समय बहुत सावधानी बरतना। कान फँकना-किसी को मँत्र देना या शिष्य बनाना।
फूट
1. परस्पर विरोध की स्थिति; विचारों का न मिलना। जैसे: उनके दल में फूट पड़ गई या आपस में फूट पड़ने के कारण ही हम हार गए। विलो. एका, एकता मुहा. 1. फूट के बीज बोना/फूट डालना=आपस में वैमनस्य पैदा करना। 2. फूट पड़ना= विचारों में मतभेद के फलस्वरूप विरोध की स्थिति पैदा हो जाना।
फूफा
नाते रिश्तेदारी में बुआ के पति या कहें पिता के बहनोई। स्त्री. फूफी=बुआ, पिता की बहिन)
फूल
तद् (स.फुल्ल) 1. खिली हुई कली पर्या. पुष्प, कुसुम, सुमन आदि। आयु. ऋतुमती स्त्री का रज। वन. पादप का वह अंग जिससे बीज और फल विकसित होता है और आरंभ में जिसकी पंखुड़ियाँ चमकीली और प्राय: रंगीन होती हैं। 2. कान में पहनने का एक गहना जो पुष्प से मिलता-जुलता लगता है। 3. शवदाह के पश्चात् बची हुई हड्डियों के टुकड़े, जिन्हें चुनकर गंगा; जल में प्रवाहित कर देने की प्रथा हिंदुओं में प्रचलित है।
फूलझाडू
सरकंड़े, कांस आदि की सींकों से बना झाडू जिससे महीन धूल बुहारी जाती है।