मनुष्य के हाथों और पैरों में आगे की ओर निकले हुए छोटे (प्रवर्ध) हिस्से जो सामान्यत: प्रत्येक हाथ और पैरों में पाँच-पाँच होते हैं और जिनसे मनुष्य मुख्यत: पकड़ने का काम करता है। (इनके नाम क्रमश: कनिष्का, अनामिका, मध्यमा, तर्जनी और अंगुष्ठ (अँगूठा) हैं। मुहा. 1. उँगली उठाना=(किसी पर) आक्षेप करना। 2. उँगली पर नचाना=दूसरों से इच्छानुसार कार्य करवाना।
उ द् ध त
व्यु.अर्थ ऊपर उठाया हुआ। सा.अर्थ ऐसा व्यक्ति जिसका स्वभाव यह प्रकट करे कि वह दूसरों से श्रेष्ठ है और किसी का भी अपमान कर देने में कोई बुराई नहीं है। पर्या. घमंडी, ढीठ।
उऋण
[उद् गत+ऋण] जो ऋण (कर्ज) से मुक्त हो चुका हो, जिसने लिया हुआ कर्ज चुकता कर दिया हो। पर्या. ऋणमुक्त। ला. प्रयोग- जिसने किसी के उपकार के बदले में अपनी ओर से लगभग वैसा ही काम कर दिया हो।
उकताना अ.क्रि.
वह मानसिक दशा जब कोई व्यक्ति बिना काम के बैठे रहकर या एक ही काम को बार-बार अथवा देर तक करते-करते धैर्य खो देता है। पर्या. ऊबना।
उकताहट
ऊब जाने अर्थात धैर्य खो देने की स्थिति। पर्या. बोरियत। दे. उकताना।
उकसाना स.कि.
अन्य व्यक्ति से कोई विशेष काम (विशेषत: गलत काम) करवाने के लिए उसे बार-बार उत्प्रेरित करना या उत्तेजित करना।
उकेरना सं.क्रि.
किसी शिलाखंड, धातु अथवा काष्ठपट्ट पर खोदकर छेनी से सावधानीपूर्वक बेलबूटे बनाना, नक्काशी करना।
उक्त
जो कहा गया हो, कहा हुआ, कथित। जैसे: वेदोक्त=जो वेद में कहा गया। शास्त्रोक्त=शास्त्रों में कहा/बताया गया।
उक्ति
1. परंपरागत या लोक में कहा जाने वाला कोई प्रसिद्ध कथन। 2. चमत्कारपूर्ण वचन। 3. अद्भुत किंतु अनुभव पर आधारित कोई वाक्य। जैसे: यह उक्ति अत्यंत प्रसिद्ध है-'बिनु भय होई न प्रीति।'