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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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acquisition of territory
प्रदेश अर्जन किसी राज्य द्वारा नए भूभागों को प्राप्त करके अपने प्रदेश का भाग बनाने की प्रक्रिया । इसके निम्नलिखित उपाय हैं :- (1) आधिपत्य: किसी स्वामीविहीन क्षेत्र में प्रवेश करके उस पर अपनी राजसत्ता स्थापित करना । (2) चिरभोग: दीर्घकाल तक ऐसे भूभाग पर अपनी वास्तविक प्रभुसत्ता बनाए रखना जिसके वैध स्वामी का पता न हो अथवा जिसके मूल स्वामी ने वहाँ स्थापित प्रभुसत्ता के विरूद्ध कोई आपत्ति न की हो अथवा दीर्घसमय से आपत्ति करना बंद कर दिया हो । समय के बीतने से वास्तविक प्रभुसत्ता वैध प्रभुसत्ता में परिवर्तित हो जाती है । (3) उपचय: प्राकृतिक कारणों से किसी राज्य के भूभाग में वृद्धि हो जाना । (4) अर्पण: एक राज्य द्वारा किसी प्रदेश पर विद्यमान अपना अधिकार किसी दूसरे राज्य को प्रदान कर देना । (5) विजय: युद्ध में सैनिक शक्ति द्वारा शत्रु को पराजित कर उसका प्रदेश अपनी प्रभुसत्ता में ले लेना ।

acquisitive prescription
अर्जनात्मक चिरभोगाधिकार कुछ अंतर्राष्ट्रीय विधिवेत्ताओं के अनुसार यदि कोई राज्य किसी अन्य संप्रभु राज्य के भूभाग पर अल्पावधि अथवा दीर्घावधि तक कोई प्रशासनिक या अन्य किसी प्रकार के कार्य करता रहता है और यदि मूल स्वामित्व वाला राज्य उस पर आपत्ति नहीं करता है तो ऐसे राज्य को अर्जनात्मक चिरभोगाधिकार प्राप्त हो जाता है । किन्तु किसी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय अथवा न्यायाधिकरण ने इस सिद्धांत को मान्यता देकर इसकी पुष्टि नहीं की है ।

acte finale (=final act)
वृत्तसार किसी अभिसमय के लिए बुलाए गए किसी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की अंतिम कार्यवाही का संक्षिप्त विवरण पत्र। इसमें सम्मेलन के विचारार्थ विषयों, भाग लेने वाले राज्यों या राज्याध्यक्षों तथा विचार - विमर्श में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों के नामों और सम्मेलन द्वारा अपनाए गए उन संकल्पों, घोषणाओं तथा सिफारिशों का उल्लेख होता है जिन्हें अभिसमय के उपबंधों के रूप में शामिल नहीं किया गया है । कभी - कभी इसमें स्वीकृत अभिसमय के प्रावधनों की व्याख्या भी दी गई होती है । वृत्तसार पर हस्ताक्षर तो होते हैं परन्तु प्रायः इनके अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होती । ऐसे उदाहरण भी है जहाँ ये वृत्तसार वास्तव में एक अंतर्राष्ट्रीय संधि का ही रूप बन गए जैसे अगस्त, 1933 में लंदन में हुए गेहूँ का आयात और निर्यात करने वाले देशों के सम्मेलन का वृत्तसार ।

action copy (=substantive copy)
मूल प्रतिलेख राजनयिक वाद -विवाद, चर्चा, वार्ता आदि का प्रतिलेख जिसमें चर्चित विषय पर सहमति - असहमति अथवा अन्य नीति विषयक बातों का उल्लेख होता है।

active nationality principle
सक्रिय राष्ट्रिकता सिद्धांत क्षेत्राधिकार के दो मूल सिद्धांत हैं यथा प्रादेशीयता सिद्धांत तथा राष्ट्रिकता सिद्धांत । राष्ट्रिकता सिद्धांत के भी दो भेद हैं सक्रिय राष्ट्रिकता सिद्धांत और परोक्ष राष्ट्रिकता सिद्धांत । सक्रिय राष्ट्रिकता सिद्धांत के अनुसार अपचारी व्यक्ति का राज्य उसकी नागरिकता के आधार पर क्षेत्राधिकार का दावा कर सकता है । परोक्ष राष्ट्रिकता सिद्धांत के अनुसार उसी घटना मे क्षतिग्रस्त व्यक्ति का राज्य भी अपने राष्ट्रिक की नागरिकता के आधार पर क्षेत्राधिकार का दावा कर सकता है । लोटस के मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने तुर्की के क्षेत्राधिकार के दावे को स्वीकार करने मे इसी सिद्धांत का सहारा लिया था ।

act of aggression
आक्रामक कार्य किसी राज्य द्वारा किसी दूसरे राज्य के विरूद्ध किया गया सशस्त्र सैनिक बल प्रयोग जिससे उसकी प्रादेशिक अखंडता या राजनैतिक स्वतंत्रता एवं संप्रभुता का हनन हो । वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार इस प्रकार का आक्रमण अवैध माना जाता है ।

act of belligerency
युद्धात्मक कार्य किसी राज्य द्वारा दूसरे राज्य के विरूद्ध सशस्त्र सैनिक बल प्रयोग जिससे युद्धावस्था उत्पन्न हो सकती है। कभी - कभी किसी देश मे गृह युद्ध की स्थिति में भी विद्रोह की कार्रवाइयों को युद्धात्मक कार्य के रूप में मान्यता दी जा सकती है ।

act of espionage
गुप्तचर कार्य किसी राज्य द्वारा किसी दूसरे राज्य के भेदों (मानचित्रों, प्रपत्रों आंकड़ों, योजनाओं आदि) को गुप्त रूप से विभिन्न वैध - अवैध युक्तियों द्वारा प्राप्त करने का कार्य ।

act of hostility
शत्रुतापूर्ण कार्य किसी राज्य द्वारा किसी दूसरे राज्य के प्रति किया गया आचरण जिसे दूसरा राज्य अवैध या अनुचित और अपने लिए हानिकारक मानता हो, जिसे वह उस राज्य के विरूद्ध बल - प्रयोग करने का पर्याप्त आधार मान सकता हो और जिसके फलस्वरूप दोनों के मध्य युद्ध की स्थिति हो सकती है ।

act of state
राज्य कृत्य किसी राज्य द्वारा किए गए ऐसे कार्य जिनकी वैधता को किसी अन्य राज्य के न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती क्योंकि ऐसा करना उस राज्य की प्रभुसत्ता पर प्रहार करना होगा। विदेशी संपत्ति के राष्ट्रीयकरण से क्षतिग्रस्त व्यक्तियों एवं निगमों द्वारा उठाए गए वादों पर न्यायालयों ने यह दृष्टिकोण अपनाया है कि वे किसी विदेशी सरकार द्वारा अपने प्रादेशिक क्षेत्राधिकार में किए गए कार्यों की वैधता की जाँच करने मे सक्षम नहीं हैं।


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