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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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Economic and Social Council
आर्थिक तथा सामाजिक परिषद् यह संयुक्त राषट्र के छह प्रधान अंगों में से एक है । इसका उद्देश्य सामाजिक तता आर्थिक उत्थान, मानवीय कल्याण की अभिवृद्धि तथा मानव अधिकार एवं स्वतंत्रताओं को लागू कराना है । प्रारंभ में इसके 18 सदस्य थे जो 1973 तक बढ़कर 54 हो गए थे । इनका चुनाव सं. रा. महासभा द्वारा तीन वर्ष के लिए होतै है और इसके एक तिहाई सदस्य प्रतिवर्ष सेवानिवृत्त हो जाते हैं । लेकिन सुरक्षा परिषद् के पाँचों स्थायी सदस्य इसके लगातार निर्वाचित सदस्य रहते हैं ।

economic sanctions
आर्थिक प्रतिबंध, आर्थिक शास्तियाँ चार्टर के अनुच्छेद 41 के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद द्वारा अपने निर्णयों को बाध्यकारी बनाने के उद्देश्य से अपनाए जाने वाले उपायों में से एक उपाय जिनका लक्ष्य अपचारी राज्य के विरूद्ध आर्थिक दबाव डालना होता है । इन प्रतिबंधों में राज्य के आयात - निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाना मुख्य रूप से महत्वपूर्ण है । इसका उद्देश्य राज्य के आयात - निर्यात व्यापार पर प्रतिबंध लगाकर उसे सुरक्षा परिषद् के निर्णयों को मानने के लिए विवश करना है । अगस्त, 1990 में सुरक्षा परिषद् के निर्देश पर हराक के विरूद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए थे जिनका लक्ष्य इराक को कुवैत से अपनी सेनाओं को हटा लेने के लइ विवश करना था । मई. 1992 में लीबिया के विरूद्ध भी आंशिक रूप से आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए । यह व्यवस्था कोई नई व्यवस्था नहीं है । राष्ट्र संघ () के काल में भी राष्ट्र संघ की परिषद् द्वारा राज्यों के विरूद्ध इस प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए थे ।

effective nationality
प्रभावी राष्ट्रिकता दोहरी राष्ट्रीयता वाले व्यक्त्यों के संबंध में 1930 के हेग सम्मेलन में अपनाए गए एक अभिसमय का वह नियम जिसके अनुसार ऐसे व्यक्ति को केवल उस देश का नागरिक माना जाएगा जहां वह स्वभावतः और मुख्यतः निवासि करता हो अथवा उसकी परिस्थितियों को देखते हुए जिस देश से वह घनिष्ठतम रूप से जुड़ा हो । ऐसे देश की नागरिकता ही उसकी प्रभावी नागरिकता समझी जाएगी ।

effective occupation
प्रभावी कब्जा, प्रभावी आधिपत्य किसी स्वामित्वहीन प्रदेश किसी राज्य के स्वामित्व का दावा उसी दशा में वैध माना जा सकता है जब उसका उस प्रदेश पर प्रभावकारी आधीपत्य हो जिसका अर्थ है उस प्रदेश में उसकी सत्ता का निर्बाध - निर्वारोध और निरंतर प्रदर्शन । दूसरे शब्दों में केवल शाब्दिक अथवा कागजी दावे से आधिपत्य प्रभावकारी नहीं माना जा सकता । आधिपत्य को प्रभावकारी बनाने के लिए उस प रदेश में आधिपत्यकर्ता राज्य द्वारा किसी न किसी मात्र मे शासन कार्यों का संपादन (जैसे कर - वसूली, पुलिस व्यवस्था ) भी आवश्यक है । अंतर्राष्ट्रीय विधि के अनुसार केवल प्रभावनी आधिपत्य ही वैध माना जाता है ।

embargo
घाटबंदी, व्यापार प्रतिषेध अंतर्राष्ट्रीय विधि में एक विशिष्ट प्रकार का प्रत्याघात जिसका तात्पर्य है पीड़ित राज्य द्वारा थथाकथित अपराधी राज्य के जहाज़ों को अपने बंदरगाहों में न तो प्रवेश करने देना और न ही वहाँ से प्रस्थान करने की अनुमति देना है । मूल रूप में इस प्रकार के प्रतिबंध केवल जलपोतों पर ही लगाए जाते थे किंतु वर्तमान में इसका विषयक्षेत्र विस्तृत हो गाय है और आयात -न र्यात पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध भी इसकी परिसीमा में माने जाते हैं जैसे शस्त्रों की बिक्री कर प्रतिबंध ।

émigré government
निर्वासित सरकार दे.

enclave
अंतस्थ क्षेत्र कीस राज्य के भूभाग का वह हिस्सा जो चारों ओर से किसी अन्य राज्य के भूभाग से पूर्णतया घिरा हुआ होता है । प्रायः साम्राज्यवादी प्रसार के फलस्वरूप ऐसा हुआ जिसका ज्वलंत उदाहरण है भारत में दादरा और नगरहवेली के पुर्तगाली उपनिवेश । भारत के स्वतंत्र होने के पश्चात जब इन उपनिवेशों में पुर्तगाली शासन के विरूद्ध विद्रोह हुए तो पुर्तगाल ने अपनी सेनाएँ भेजने के लिए भारत से पारगमन का अधिकार माँगा था जिसे भारत ने स्वीकारि नही किया था ।

enemy character
शत्रु स्वरूप युद्ध काल में युद्धरत राज्य एक दूसरे के शत्रु माने जाते हैं और उनके नागरिक तथा उनकी संपत्ति भी यही रूप धारण कर लेती है परंतु शत्रु स्वरूप निर्धारण करने के अंतर्राष्ट्रीय विधि में कुछ नियम हैं और इस संदर्भ में ब्रिटिश नियम और यूरोपीय महाद्वीपीय नियमों में अंतर था । ब्रिटेन में शुत्रु स्वरूप निवास से निर्धारिक होता था अर्थात् शत्रु प्रदेश मे निवास करने वाले सभी व्यक्ति चाहे वे शत्रु राज्य मे हों अथवा तटस्थ राज्य में सब श्तुर माने जाते थे । इसके विपरीत यूरोपीय महाद्वीपीय राज्य राष्ट्रीयता से शत्रु रूप निर्धारित करते रहे हैं । पिछले महायुद्धों में इन दोनों नियमों अर्थात् आवास एवं राष्ट्रीयता का कुछ सीमा तक सम्मिश्रण हो गया ताकि शत्रुराज्य की जनशक्ति और साधनों को अधिकाधिक सीमित और क्षीण काय जा सकें । व्यक्तियों के अतिरिक्त निगमों एवं जलपोतों को भी शत्रु रूपी घोषित किया जा सकता है, जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय विधि मे निश्चित नियम हैं ।

enemy property
शत्रु संपत्ति वह संप्त्ति जो किसी शत्रु व्यक्ति अथवा श्तुर राज्य की हो । अतः शत्रु संपत्ति का विभाजन दो भागों में किया जाता है - पहली राजकीय या सार्वजनिक संपत्ति और दूसरी वैयक्तिक संपत्ति । अंतर्राष्ट्रीय विधि वैयक्तिक संपत्ति को राजकीय संपत्ति से अधिक संरक्षण प्रदान करती है । उदाहरणार्थ शत्रु की राजकीय चल संपत्ति को हस्तगत किया झा सकता है और अचल संपत्ति का अधिग्रहण कर उपयोग मे लाया जा सकता है । इसी प्रकार युद्धोपोतों को हस्तगत कर उनका स्वामित्व हरण किया जा सकता है । इसके विपरीत वैयक्तिक संपत्ति का उपयोग करने के लिए मूल्यि चुकाकर अधिग्रहण किया जा सकता है और सैनिक आवश्यकता समाप्त हो जाने पर उसका उसके मूल स्वामी को लौटाया जाना आवश्यक है । इसके अतिरिक्त वैयक्तिक संपत्ति का उसी दशा में अधिग्रहण किया जा सकता है जब वह सैनिक प्रयोग के लिए आवश्यक हो ।

espionage
जासूसी, चार - कर्म युद्ध और शांति काल दोनों में राज्यों द्वारा दूसरे राज्यों के सैनिक और राजनीतिक महत्व के भेदों को एकत्रित करने का कार्य प्राचीन काल से ही होता आया है । वर्तमान काल मे यह कार्य और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गाय है और दरसंचार के साधनों में प्रगति एवं अंतरिक्ष मे उपग्रहों के प्रयोग के कारण यह अत्यधिक विशिष्ट और गंभीर स्वरूप धारण कर गाय है । युद्धकाल मे बी भेदियों, जिन्हें जासूस कहा जाता है, का प्रयोग युद्धकारियों द्वारा किया जात है । अंतर्राष्ट्रीय विधि जासूसों को कोई संरक्षण प्रदान नहीं करती । कोई भी राज्य अपने विरूद्ध जासूसी करने वाले, कीस भी व्यक्ति को पकड़ पाने पर उसे अपने राष्ट्रीय कानूनों के अनुसारि दंड दे सकता है । यहाँ तक कि आकाश मे बी इस प्रकार के कार्य मे लगे वायुयान को मार गिराया जा सकता है ।


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