logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z

damages
हर्जाना दे. Compensation.

declaration
घोषणा दो या अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा जारी औपचारिक वाक्तव्य । इस शब्द का चार अर्थों में प्रोयग किया जाता है :- 1. एक औपचारिक संधि जैसे 1856 की पेरिस घोषणा या 1966 की ताशकंद घोषणा । 2. किसी संधि या अभिसमय के साथ जोड़ा गया एक अनौपचारिक प्रलेख जिसमें उस संधि या अभिसमय के उपबंधों की व्याख्या की गई हो । 3. अल्प महत्व वाले किसी मामले के बारे में किया गाय अनौपचारिक समझौता । 4. किसी राजनयिक सम्मेलन द्वारा पारित कोई संकल्प जिसमें सभी राष्ट्रों से कुछ सिद्धांत अपनाने आदि के बारे में कहा गया हो जैसे संधियों के संपादन में आर्थिक, राजनीतिक या सैनिक दवाब के निषेध की घोषणा जो संधि- विधि विषयक वियना सम्मेलन (1968-69) द्वारा स्वीकृत की गई थी ।

Declaration of Paris
पेरिस घोषणा 1856 में समुद्र विधि विषयक प्रथम अंतर्राष्ट्रीय प्रयास जिसमें समुद्र विधि संबंधी अनेक नियमों का प्रतिपादन किया गया था । इस घोषणापत्र में सर्वप्रथम यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया कि केवल वही नाकाबंधी वैध मानी जाएगी जो प्रभावकारी होगी । इस घोषणापत्र के अनेक सिद्धांत कालांतर में सामान्य अंतर्राष्ट्रीय विधि के भाग बन गए ।

declaration of war
युद्ध की घोषणा प्राचीन काल से इस परंपरा का पालन होता आया है कि युद्ध प्रारंभ करने से पूर्व उसकी चेतावनी और तदुपरांत उसकी विधिवत घोषणा की जानी चाहिए । 1909 के दूसरे हेग सम्मेलन मे इस विषय पर एक अभिसमय भी स्वीकार किया गया था । प्रथम विश्वयुद्ध विधवत् घोषणा करके प्रारंभ हुआ था परंतु इसके उपरांत राज्य व्यवहार में एकरूपता नहीं रही और 1928 के बाद युद्ध की विधिवत् घोषणा का कोई भी दृष्टांत नही मिलता केवल ऐसे मामलों को छोड़कर जहाँ सशस्त्र कार्रवाई सामूहिक सुरक्षा के उपायों के रूप में की जा रही हो । संभवतः इसका कारण यह है कि 1928 के पेरिस समझौते के अंतर्गत राज्यों ने आक्रामक युद्ध के अधिकार का ही परित्याग कर दिया ।

declaratory theory of recognition (=evidentiary theory)
मान्यता का घोषणात्मक सिद्धांत (=साक्ष्य सिद्धांत) इस सिद्धांत के अनुसार राज्य का जन्म अथवा निर्माण मान्यता से भिन्न और स्वतंत्र है । अतः मान्यिता प्रदान करने का कार्य उसके राज्य होने की घोषणा अथवा उसके अस्तित्व की साक्ष्य मात्र है । मान्यता प्रदान करना एक राजनीतिक कार्य है और उसका उद्देश्य नए राज्य के साथ दैत्य संबंध स्थापित करना होता है । उदाहरणतः एक लंबे समयतक बहुत - से राज्यों ने साम्यवादी चीन को मान्यता प्रदान नहीं की थी तो इसका यह अर्थ नहीं है कि साम्यवादी चीन का कोई अस्तित्व ही नहीं था । इस सिद्धांत के मुख्य समर्थक पिट काब्वेट, हॉल, वैगनर, फिशर और बियर्ली हैं ।

defacto recognition
तथ्यतः मान्यता किसी राज्य अथवा सरकार के अस्तित्व की वैधता पर न जाकर उसके राजनीतिक अस्तित्व की वास्तविकता को स्वीकार करते हुए उसे अस्थायी मान्यता प्रदान करना । मान्यता देने वाला राज्य कालांतर मे इस मान्यता के विधितः मान्यता में परिणत करने का निर्णय कर सकता है और यह भी हो सकता है कि वह इस तथ्यतः मान्यता को निरस्त कर दें । ग्रेट ब्रिटेन ने सोवियत संघ में साम्यवादी शासन को 1921 मे तथ्य्तः मान्यता देने के तीन वर् पश्चात् 1924 में विधितः मान्यता दी थी और इथोपिया को 1936 में तथ्यातः मान्यिता देकर दो वर्ष पश्चात् 1938 में विधितः मान्यता दी थी । 1948 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने इज़रायल को पहले तथ्यतः मान्यता ही दी थी । संभवतः तथ्यतः मान्यता दिए जाने का यह अंतिम उदाहरण है । अधिकांश विद्वान् अब यह मानने लगे हैं कि राष्ट्रीय विधि की दृष्टि से तथ्यतः और विधितः मान्यता मे अब कोई भेद नही रह गया है ।

dejure recognition
विधितः मान्यता मान्यता साधारणतया विधितः मान्यता ही होती है जब तकत कि उसे तथ्यतः मान्यता न कहा गा हो । विधितः मान्यता का अर्थ है कि किसी राज्य अथवा सरकार को स्वीकार करना अर्थात् यह स्वीकृति देना कि संबंधित राज्य अथवा सरकार में अंतर्राष्ट्रीय विदि द्वारा निर्धारित सभी गुण विद्यमान हैं । मान्यता के उपरांत मान्यता - प्राप्त इकाई अंतरार्ष्ट्रीय व्यक्तित्व धारण कर लेती है और मान्यता प्रदान करने वाले राज्य अथवा शासन एव मान्यता प्राप्त राज्य अथवा शासन के पारस्परिक संबंध अंतर्राष्ट्रीय विधि से नियमित एवं नियंत्रित होने लगेत हैं । विधितः मान्यता की मुख्य विशएषता यह है कि एक बार मान्यता देने के पश्चात् इसे निरस्त नहीं काय जा सकता ।

delegation theory
प्रत्यायोजन सिद्धांत एकत्ववादियों के मतानुसार तर्राष्ट्रीय विधि और राष्ट्रीय विधि एक एकीकृत विधि व्यवस्था के भाग हैं । अंतर्राष्ट्रीय समाज राज्यों को यह दायित्व सौंपता है कि वे संधिगत अंतर्राष्ट्रीय विधि को अपने प्रादेशिक क्षेत्र में किस प्रकार लागू करें, अथवा कैसे उसे राष्ट्रीय विधि व्यवस्था का भाग बनाएँ । इस प्रकार यह दायित्व राज्यों को प्रत्यायोजित किया गया है । इस कारण इसे प्रत्यायोजन सिद्धांत कहा जाता है ।

delict jure gentium
अंतर्राष्ट्रीय विधि अपचार किसी व्यक्ति अथवा निकाय द्वारा किया गया वह कार्य जो अंतर्राष्ट्रीय विधि के विरूद्ध अपराध माना जाता है जैसे जल दस्युता या अधः समुद्री तारों को क्षति पहुँचाना ।

dilimitation treaty
सीमांकन संधि दो या अधिक राज्यों के बीच संपादितसंधि जिसके अनुसार उनके विवादास्पद प्रदेशों का स्पष्ट निर्धारण किया जाता है ।


logo