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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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imperfect neutralilty
अपूर्ण तटस्थता किसी राज्य का तटस्थ रहते हुए भी अपनी पूर्ववर्ती संधियों के अंतर्गत युद्धकारियों में से किसी एक युद्धकारी की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहायता करना । अठारहवीं शताब्दी में इस प्रकार का आचरण तटस्थता - विरोधी नहीं समझा जाता था । विम्बलडन के मामले में (1923) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने बी यह निर्णय दिया था कि जर्मनी की तटस्थ स्थिति से उत्पन्न दायित्वों की अपेक्षा उसके संधिगत दायित्वों को वरीयता दी जानी चाहिए । स्पष्टत ऐसी तटस्थता विशुद्ध अथवा पूर्ण तटस्थता की अवदारणा के अनुरूप नहीं है । परंतु यह उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता से उत्पन्न दायित्वों को देखते हुए अपूर्ण तटस्थता ही आज के परिप्रेक्ष्य में अधिक तर्कसंगत प्रतीत होती है ।

implied recognition
निहित मान्यता, अव्यक्त मान्यता किसी राज्य द्वारा किसी नए राज्य अथवा सरकार को स्पष्ट रूप से अर्थात् सार्वजनिक घोषणा करके मान्यता न देकर उसके साथ इस प्रकार का संबंध स्थापित करना अथवा आचरण करना (जैसे संधि करके, उसके वाणिज्यदूत को मान्यता देकर आदि) जिससे यह व्यक्त हो कि वह उसे राज्य या सरकार के रूप में स्वीकार करता है । इस प्रकार की स्वीकृति को निहित मान्यता कहते हैं ।

incorporation doctrine
समावेशन सिद्धांत, ब्लैकस्टोन - सिद्धांत दे. Blackstonian doctrine.

independence of states
राज्यों की स्वतंत्रता राज्य का वह गुण जिसके अंतर्गत वे अपने आंतरिक मामलों एवं बाह्य संबंधों को अपनी इच्छानुसार नियंत्रित और नियमित करने की क्षमता रखता है । परंतु व्यवहार में बाह्य संबंधों के समचालन में राज्य को अनेक मर्यादाओं का पालन करना पड़ता ह । जैसे - अंतर्राष्रीय विधि, अंतर्राष्ट्रीय संधियों तथा संयुक्त राष्र संघ के चार्टर से उत्पन्न दायित्वों का सद्बावनापूर्वक पालन करने का दायित्व । इसलिए जैसाकि स्टार्क का कहना है संभवतः आज यह कहना अधिक उचित होगा कि राज्यकी स्वतंत्रता अथवा संप्रभुता का अभिप्राय उस अवशिष्ट शक्ति से है जो राज्य को अंतर्राष्ट्रीय विधि द्वारा निर्धारित परिसीमाओं के भीतर प्राप्त होती है ।

indeterminate sovereignty
अनियत प्रभुसत्ता यह अवधारणा ऐसे भूभाग की प्रभुसत्ता के संदर्भ में प्रयुक्त होती है जो किसी राज्य से अलग होने की प्रक्रिया में हो और जिस पर मूल संप्रभु अपनी संप्रभुता का त्याग कर चुका हो परंतु नवीन संप्रभु पूर्णतया निश्चित न हो । ऐसा किसी प्रदेश के अर्पण की दशा में भी हो सकता है । अनियत परभुसत्ता का एक उदाहरण फार्मोसा है ।

inland waters
अंतरस्थलीय जलक्षेत्र, भूभागीय जलक्षेत्र समुद्री जल के वे भाग जो अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण तटवर्ती राज्य के प्रदेश के भाग माने जाते हैं । जैसे - खाड़ी बंदरगाह, मुहाने आदि । विदेशी जलपोतों को इनमें निर्देश गमन का अधिकार नहीं होता ।

innocent passage
निर्दोष गमन किसी तटवर्ती अथवा भूबद्ध राज्य के सैनिक अथवा व्यापारिक जलपोतों द्वारा किसी अन्य राज्य के भूभागीय समुद्र से होकर शांतिपूर्वक गुजरना । ह गमन तब तक शांतिपूर्ण माना जाता है जब तक जलपोत तटवर्ती राज्य की शांति तथा सुरक्षा भंग नहीं करते । यह गमन वैसे तो अविच्छिन्न होना चाहिए परंतु परिवहन की आवश्यकताओं अथवा किसी विपदा के कारण जलपोत का रूकना या लंगर जालना अवैध नीहं होगा । तटवर्ती राज्य शांतिपूर्ण गमन को रोकने का अधिकारि नहीं रखता परंतु यदि गमन शांतिपूर्ण नहीं है तो वह उसे अपनी सुरक्षा के हित में रोक सकता है । इस अधिकार का प्रयोग करते समय विदेशी राज्य के जलपोतों को तटवर्ती रजाय् के जहाजरानी तथा नौपरिवहन नियमों का अनुपालन करना पड़ता है ।

insurgency
विद्रोहकारिता किसी राज्य में सुस्थापित सरकार के विरूद्ध नागरिक विद्रोह जिसमें विद्रोहियों को अभी युद्धाकारियों की मान्यता प्राप्त न हुई हो । अन्य राज्य यदि चाहे तो इन विद्रोहकारियों को कुछ वशिष्ट युद्धकारी अधिकार तथा विशोषाधिकार प्रदान कर सकते हैं । अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत विद्रोहकारिता युद्ध या युद्धकारिता के तुल्य नहीं है । दे. भी ।

intellectual property right
बौद्धिक संपदा अधिकार 19 वीं शताब्दी मे बौद्धिक संपदा के रक्षार्थ अभिसमय स्वीकृत किए गये थे ये थे 1883 का पेरिस अभइसमय और दूसरा 1886 का बर्न अभइसमय । पेरिस अभिसमय के अंतर्गत औद्योगिक संपदा से संबंधित एकस्व अधिकार जैसे ट्रेडमार्क, पेटेंट आदि को संरक्षण देने का प्रयोजन था । बर्न अभिसमय के अंतर्गत साहित्य और कला के क्षेत्र में रचनाकारों और लेखकों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने का प्रयोजन था । 1967 में स्टाकहोम में एक अन्य अभिसमय पर हस्ताक्षर हूए जुसके अन्तर्गत विश्व वबौद्धिक संपदा संगठन स्थापित किया गया । यह अभिसमय 1 जनवरी, 1974 से लागू है । इसी वर्ष दिसंबर 1974 मे महासभा ने इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र संग में विशिष्ट अभिकरण के रूप में मान्यता दी । इसका मुख्य उद्देश्य स सार भर में बौद्धिक संपदा को संरक्षण प्रदान करना है और इस हेतु राज्यों का सहयोग जुटाना है ।

Intert - Governmental Maritime Consultative Organisation (IMCO)
अंतर - सरकारी समुद्री परामर्श संगठन यद्यपि इस संगठन का संविधान 1948 में स्वीकृत हो गया था परंतु इसकी स्थापना में 10 वर्ष लग गए और इस संगठन की सभा की प्रथम बैठक जनवरी, 1959 में ह ई । अब इसका नाम बदलकर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Martime Organisation) कर दिया गया है । इस संगठन का उद्देश्य राज्यों के मध्य नौ - परिवहन की सुरक्षा और कुशलता से संबंधित नियम एवं अधिनियम अपनाने तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लगे जलपोतों के तकनीकी मामलों से संबंधित नियमों, अधिनियमों के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं समन्वय को प्रोत्सहन देना है । परंतु इसका कार्य केवल परामर्शदात्री है और अब यह समुद्री प्रदूषण के नियंत्रण और उसकी रोक - थाम से संबंधित कार्यों का भी समन्वय करता है ।


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