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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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laissez - passer
निःशुल्क सीमा - प्रवेश पत्र किसी देश के राजनयिक अधिकारियों तथा कर्मचारियों को दी जाने वाली एक ऐसी सुविधा जिसके आधार पर वे अपनी नियुक्ति वाले देश में बिना की प्रवेश शुल्क दिए प्रवेश पाने के अधिकारी होते हैं । यह सुविधा सामान्य नागरिकों को प्रायः उपलब्ध नहीं होती ।

land - locked states
भूबद्ध राज्य ये वे राज्य हं जो चारों ओर से किसी न किसी देश की भूभागीय सीमा से घिरे हुए हैं अर्थात् जिनका अपना कोई समुद्र तट नहीं है, जैसे नेपाल, अफगानिस्तान, स्विट़ज़रलैंड, आस्ट्रिया आदि । ऐसे राज्यों की कुल संख्या इस समय 31 है । इन देशओं की सदैव ह माँग रही ह कि महासमुद्र में परिवहन एवं व्यापार का उन्हें भी अधिकार होना चाहिए और इस हेतु संलग्न तटवर्ती राज्य अथवा राज्यों को इन्हें आवश्यक पारगमन - सुविधा प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय - विधि द्वारा बाध्य किया जाना चाहिए । इस हेतु सन् 1965 में न्यूयार्क में एक संयुक्त राष्ट्र संघ सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें 58 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया । इस सम्मेलन में भूबद्ध राज्यों के परिवहन - व्यापार पर एक अभिसमय ग्रहण किया गया । इस अभिसमय की व्यवस्था 10 दिसंबर, 1982 की समुद्र - विधि पर संयक्त राष्ट्र संघ अभिसमय के भाग 10 में रूपांतरित हुई । इसके अनुसारि भूबदध राज्यों को समुद्र तक जाने और वहाँ से आने का अधिकार होगा जिसके लिए संबंधित राज्य अथवा राज्यों को इन्हें आवागमन का विशेष अधिकार देना होगा । परंतु आवागमन अधिकार की शर्तें और इससे इससे संबंधित विस्त व्यवस्था पारस्परिक समझौते से तय करनी होगी ।

land warfare
स्थल युद्ध युद्ध संबंधी वे संक्रियाएँ जिसका क्षेत्र भूमि - प्रदेश होता है । प्रारंभ में युद्ध स्थलीय ही होता था और नौ - सैनिक युद्ध गौण था । कुछ समय पश्चात् नौसैनिक युद्ध का महत्व बढ़ने लगा और प्रथम महायुद्ध से वायु - युद्ध सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक हो गाय । स्थल युद्ध विधि अपेक्षाकृत अधिक सुनिश्चित संहिताबद्ध और सुदृढ़ है । इनमें सबसे निर्बल और अविकसित वायु - युद्ध विधि है ।

lawful combatant
वैध संयोधी दे. Combatant.

law making treaties
विधि निर्मात्री संधियाँ विधि निर्मात्री संधियों से तात्पर्य उन संधियों से है जो राज्यों के परस्पर संबंधों को नियमित अथवा नियंत्रित करने के उद्देश्य से आचरण के नए नियमों का प्रतिपादन अथवा प्रचलित नियमों का संशोधन अथवा उन्हें निरस्त करती हैं । इनका विषय कोई अंतर्राष्ट्रीय संगठन, संस्था, अभिकरण या विधान भी हो सकता है । विधि निर्मात्री संधियाँ प्रायः बहुपक्षीय संधियाँ होती हैं यद्यपि अपवादस्वरूप कुछ द्विपक्षीय एवं सर्वदेशीय विदि निर्मात्री संधियों के भी नाम लिए जा सकते हैं । विधि निर्मात्री संधियों का प्रारंभ मूलतः 19 वीं शताब्दी के मध्य से होता है और बीसीं शताब्दी के आते - आते इन संधियों नें अतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में उस व्वस्था को जन्म दिया जिसे अंतर्राष्ट्रिय विधि निर्माण कहा जाता है । इन संधियों की विशेषता यह है कि ये अंतर्राष्ट्रीय विधि का प्रत्यक्ष स्रोत होती है ।

law of peace
शांति विधि अंतर्राष्ट्रीय विधि का वह भाग जो राज्यों के शांतिकालीन संबंधों अथवा आचरण को नियंत्रित एवं नियमित करता है । वर्तमान काल में शांतिकालीन विधि का दो भागों में वर्गीकरण किया जाता है :- 1. वे विषय जिनका संबंध राज्य के अस्तित्व से है जैसे राज्य का प्रदेश, प्रदेश - प्राप्ति के साधन, मान्यता, क्षेत्राधिकार, राजदूत का अधिकार आदि । 2. वे विषय जिनका संबंध राज्यों के पारस्परिक संबंध और सहयोग से है जैसे प्रत्यर्पण, राज्य उत्तरदायित्व वं अंतर्राष्ट्रीय दावे, संधियाँ, आर्थिक संबंध तथा अन्य क्षेत्र जैसे सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, सुरक्षा संबंधी, पर्यावरण संबंधी, निःशसत्रीकरण संबंधी क्षेत्र जिनमें राज्यों के पारस्परिक सहयोग की आवश्यकताएँ और संभावनाएँ उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही हैं ।

laws of the sea
समुद्र विधि, समूद्री कानून समुद्री व्यवस्था एवं समुद्र के उपयोग संबंधी कानून व नियम, जिनका निरूपण समय - समय पर स्वीकृत अंतर्राष्ट्रीय नुबंधों में किया गया है । ये अति प्राचीन काल से राज्यों के पारस्परिक व्यवहार में विकसित होते रहे हैं और इनका संहिताकरण करे में संयुक्त राष्ट्र को सर्वाधिक सफलता प्राप्त हुई है । 1958 के चार जेनेवा अभिसमय और 10 दिसंबर, 1982 को तृतीय समुद्र विधि सम्मेलन त्वारा पारित अभिसमय इसके प्रमाण है ।

law of the space
अंतरिक्ष विधि अंतर्राष्ट्रीय विदि का यह क अपेक्षाकृत नया विषय है । इसका प्रारंभ 1957 में अंतरिक्ष में प्रथम सोवियत स्पुतनिक छोड़े जाने से होता ह । इस घटना से अंतरिक्ष की वैधिक स्थिति और उसके उपयोग में राज्यों के अधिकारों और कर्तव्यों को लेकर अनेक प्रश्न उठ खड़े हुए जिनके समाधान के लिए अनेक संधि, समझौते आदि संपादित किए गए । इनमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण हैं :- 1. 20 दिसंबर, 1961 का महासभा का प्रस्ताव 2. 13 दिसंबर, 1963 का महासभा का एक अन्य प्रस्ताव । इसमें अंतरिक्ष संबंधी कुछ सामान्य सिद्धांतों की घोषणा की गई थी 3. सन् 1967 की अंतरिक्ष संधि 4. सन् 1968 का अंतरिक्ष यात्रियों संबंदी समझौता और 5. सन् 1972 का अभिसमय जिसमें अंतरिक्ष में प्रक्षेपित वस्तुओं से हुई हानि के लिए अंतर्राष्ट्रीय दायित्व के सिद्धांतों का निरूपण किया गया था । इन सब प्रस्तावों , संधियों, समझौतों, अभइसमयों के परिणामस्वरूप एक विस्तृत नियमावली का विकास हुआ है जिसे सामूहिक रूप से अंतरिक्ष विधि का नाम दिया जाता है । इस विधि का केंद्रभूत आधार यह है कि अंतरिक्ष और चंद्रमा सहित सभी खगोल पिंड संपूर्ण मानव जाति की संपदा हैं । कोई भी राज्य किसी भी प्रकार से इनका स्वामित्वहरण नीहं कर सकता । इनका गवेषण और उपयोग संपूर्ण मानव जाति के हित में और उसेक लाभ के लिए किया जाना चाहिए ।

laws of war
युद्ध विधि अंतर्राष्ट्रीय विधि का वह भाग जो राज्यों के मध्य युद्ध छिड़ने पर उनके पारस्परिक संबंधों अर्थात उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों को निर्धारित करता है । इस विधि के तीन भाग हैं 1. स्थल युद्ध विधि 2. समुद्री युद्ध विधि और 3. वाया युद्ध विधि ।

League of Nations
राष्ट्रसंघ प्रथम विश्व युद्ध के पश्चा सन् 1920 में गठित राज्यों का पहला अंतर्राष्ट्रीय संघठन जिसका मुख्यालय जेनेवा में था । इसके दो प्रमुख उद्देश्य थे () युद्ध को रोकना तात अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों का शांतिपूर्ण निपटारा, तथा (2) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना का विस्तार जिससे सदस्य - राष्ट्रों की भौतिक तथा नैतिक उन्नति हो सके और मानव समाज का भी कल्याण हो । इसके तीन प्रमुक अंग थे - सभा, परिषद् और स्थायी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय । 1939 मे द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ होने पर यह संगठन भंग हो गया ।


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