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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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Hague Codification Conference
हेग संहिताकरण सम्मेलन इस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्र संघ के तत्वावधान में 1930 में किया गया था । दीर्घ तैयारी के उपरांत इसके विचारार्थ तीन विषय रखे गए थे ताकि इनसे संबंधित अंतर्राष्ट्रीय विधि के नियम लिपिबद्ध किए जा सकें । ये विषय थे 1. राष्ट्रीयता 2. भूभागीय समुद्र और 3. राज्योत्त्र उत्तरदायित्व । यह सम्मेलन राष्ट्रीयता के प्रश्न पर दो उपसंधियाँ स्वीकृत करने मे सफल रहा परंतु अन्य दो विषयों में उसे कोई सफलता नहीं मिल सकी । कुल मिलाकर सम्मेलन अपने उद्देश्य मे असफल रहा ।

Hague Conference, 1899
हेग सम्मेलन, 1899 अंतर्रष्ट्रीय विधि के क्षेत्र में सम्मेलनों के द्वारा विधि - निर्माण का प्रथम प्रयास सन् 1899 के हेग सम्मेलन द्वारा काय गया था । इस विश्व का प्रथम शांति सम्मेलन भी कहा जा सकताहै । यह सम्मेन रूस के ज़ार के उपक्रम से आयोजित किया गया था । इसमें 26 राज्यों ने भाग लिया था । इसका मुख्य उद्देश्य विश्व में स्थायी शांति स्थापित करने हेतु सुझाव देना था ताकि शस्त्रों के निर्माण और विकास पर होने वाले व्यय को सीमित किया जा सके । इस सम्मेलन में तीन अभिसमयों पर हस्ताक्षर हुए । प्रथम अभिसमय में, अंत्रारष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण उपायों का वर्णन किया गया । दूसरे अभइसमय में, सन् 1864 की जेनेवा अभिसमय के नियमों को समुद्री युद्ध की स्थिति में रूपांतरित किया गया । तीसरे अभिसमय में स्थल युद्ध संबंधी नियमों का विस्तृत वर्णन किया गया ।

Hague Conference, 1907
हेग सम्मेलन, 1907 इस सम्मेलन को बुलाने क श्रेय अमेरिका के राष्ट्परित थियोडोर रूज़वेल्ट को है । इसमें 44 राज्यों के 356 प्रतिनिधियों ने भागि लिया था । इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रथम हेग सम्मेलन, 1899 के कार्य का पुनरीक्षण करना और युद्ध एवं तटस्थता संबंधी नियमों का निरूपण एवं संहिताकरण करना था । कुल मिलाकर इस सम्मेलन में 13 अभिसमयों पर हस्ताक्षर किए गए । इनमेंसे तीन अभिसमयों का उद्देश्य प्रथम हेग सम्मेलन के अभिसमयों का पुनरीक्षण और सुधार करना था । एक अभिसमय द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय नौजित माल न्यायालय स्थापित करने का सुझाव दिया गया था । दो अन्य अभिसमयों द्वारा स्थल और समुद्री युद्ध में तटस्त राज्यों के अधिकारों और कर्तव्यों की व्यवस्था की गई थी । अन्यि अभिसमय युद्ध संबंधी विदि के अनेक विषयों से संबंधित थे । सम्मेलन के अंत में यह निश्चय व्यक्त किया गया था कि 10 वर्ष में एक तीसरा सम्मेलन बुलाय जाएगा परंतु 1914 में पहला विश्व - युद्द छिड़ जाने से ऐसा नहीं हो सका ।

Hague Convention, 1970
हेग अभिसमय, 1970 1960 के दशक में विमान अपहरण की घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही थीं और यह लगने लगा था कि इन्हें रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है । इस दृष्टि से 1970 में हेग अभइसमय संपन्न किया गया, जिस पर 48 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए । इस अभिसमय में उस व्यक्ति को अपराधी माना गया है जो गैर कानूनी तरीक से या शक्ति के प्रयोग की धमकी से विमान पर अपना अधिकार या नियंत्रण प्राप्त कर लेता है (अनुच्छेद 1) इस अभिसमय की अन्य व्ववस्थाएँ इस प्रकार हैं :- 1. प्रत्येक हस्ताक्षरकर्ता राज्य विमान अपहरण को अपराध मानकर उसके लिए भारी दंड की व्यवस्था करेगा 2. वह विमान अपहरण अथवा विमान पर यात्रियों व कर्मियों के विरूर्ध हिंसात्मक कार्य करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई कर सकने में समक्ष होगा यिदि अपराध उसी राज्य में पंजीकृत विमा पर हुआ है अथवा जिस विमान पर अपराध हुआ है वह अपराधी उसी राज्य के प्रदेश में उतरता हैं । 3. प्रत्येक हस्ताक्षरकर्ता राज्य अपराधी को उसके प्रदेश में विद्यामान होने की दशा में स्वयं दंड देगा अथवा उसके प्रत्यर्पण की व्यवस्था करेगा और 4. विमान अपहरण को प्रत्यप्रणीय अपराध माना जाएगा और प्रत्यर्ण संबंधी संधियों में प्रत्यर्पणीय अपराधों की सूची में सको भी सम्मिलित किया जाएगा ।

Hay - Varilia Treaty
हे - वरिल्ला संधि यह संधि सन् 1903 में संयुक्त राज्य अमेरिका और पनामा गणराज्य के बीच संपन्न हुई थी । इसके अंतर्गत पनामा नहर के प्रबंध और पनामा नहर क्षेत्र में प्रशासन का अधिकार अनिश्चित काल के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को सौंपा गया था । उसी समय से संयुक्त राज्य अमेरिका हस क्षेत्र में वस्तुतः सार्वभौमिक अधिकार का उपभोग करता रहा । पिछले 10 वर्षों में इस स्थिति से पनामा गणराज्य में बड़ा असंतोष और रोष व्यक्त किया गया । इसको देखते हुए इस संधि का पुनरीक्षण किया गया और दोनों देशों के बीच एक नया समजौता हुआ है । इसके अंतरग्त पनामा नहर क्षेत्र से संयुक्त राज्य अमेरिका का नियंत्रण और प्रशासन इस शाताब्दी के अंत तक पूरी तरह समाप्त हो जाएगा ।

head of mission
मिशन प्रमुख वह राजनयिक प्रतिनिधि जो राजदूतावास का वरिष्ठतम अधिकारी होने के कारण राजदूतावास का प्रधान माना जाता है । राजनयिक प्रतिनिधियों की चार श्रेणियाँ होती हैं :- 1. राजदूत अथवा उच्चायुक्त अथवा पोप के प्रतिनिदि, जिन्हें नसियो कहा जाता है 2. दूत एवं मंत्री 3. निवासी मंत्री और 4. कार्यदूत । किसी समय दूतावास में जो बी वरिष्ठतम राजनयिक अधइकारी नियुक्त हो उसे ही राजनयिक दूतावास का प्रमुख माना जाता है । प्रायः राजदूत ही मिशन प्रमुख होते हैं । इसी प्रकार अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं संगठनों और सम्मेलनों को भेज जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के प्रधान को भी मिशन प्रमुख कहा जाता हैं ।

Helsinki Declaration
हैलसिंकी घोषणा 1. अगस्त, 1975 को यूरोप में सुरक्षा तथा सहयोग सम्मेलन में 30 यूरोपीय देशओं, होली सी, कनाडा तथा से. रा. अमेरिका द्वारा हेलसिंकी में की गई घोषणा जिसके अनुसार उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय विधि द्वारा ज्ञापित दायित्वों को सदाशयता के साथ पूरा करने का संकल्प लिया और मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्राताओं और ल्पसंख्यकों के विधि के समक्ष समानता के अधिकारों को सम्मान प्रदान करने तथा संयुक्त एवं अलग - अलग रूप से और संयुक्त राष्ट्र संघ के सहयोग से इस प्रकार के अधिकारों और स्वतंत्रताओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के प्रयास करने का संकल्प लिया ।

high commissioner
उच्चायुक्त राष्ट्रमंडल के सदस्य - राज्यों द्वारा एक - दूसरे के यहाँ प्रत्यायित राजनयिक प्रतिनिधि को राजदूत न कहकर उच्चायुक्त कहां जाता है । ऐसा ऐतिहासिक कारणों से है क्योंकि प्रारंभ में राष्ट्रमंडल के विनिन्न सदस्य - राज्य पूर्ण स्वतंत्र नहीं थे और इसलिए उनके मध्य राजदूत नियुक्त नहीं किए जा सकते थे । अतः उनके प्रतिनिधियों को उच्चायुक्त कहा जाता था । सन् 1931 के वेस्टमिन्स्टर अधिनियम के उपरांत राष्ट्रमंजल के सदस्य - राज्यों को स्वायत्ता प्राप्त हो गई । परन्तु उच्चायुक्त का पद बना रहा और इन सदस्य - राज्यों के पूर्ण स्वतंत्र हो जाने, यहाँ तक कि इनके गणराज्यों में परिवर्तित हो जाने के उपरांत भी उच्चायुक्त का पद बना रहा और इन सदस्य - राज्यों के पूर्ण स्वतंत्र हो जाने , यहाँ तक कि इनके गणराज्यों में परिवर्तित हो जाने के उपरांत भी उच्चायुक्त का पद बना रहा । एक प्रकार से यह पद आज भी राष्ट्रमंडल की सदस्यता का प्रतीक बना हुआ है । अतर्राष्ट्रीय विधि की दृष्टि से उच्चायुक्त की स्थिति, अधिकार एवं उन्मुक्तियाँ राजूदतों के समान ही हैं ।

high sea
महासमुद्र, खुला समुद्र तटवर्ती राज्यों के भूभागीय समुद्र की समुद्रवर्ती सीमा से परे का समुद्र भाग जो सभी राज्यों के उपयोग के लिए खुला होता है और जिसके किसी भाग पर किसी राष्ट्र द्वारा स्वामित्व स्थापित नहीं किया जा सकता । इसे महासमुद्र कहते हैं । इसके प्रयोग में सब राष्ट्रों को समान अधिकार प्राप्त होते ह । इन अधिकारों को महासमुद्री स्वतंत्रताएँ कहा जाता है । दे. feeedoms of the high sea भी ।

hijacking
विमान अपहरण किसी उड़ते हुए या उड़ान के लिए तत्पर वायुयान के कर्मदिल को डरा - धमकाकर अथवा किसी अन्यि प्रकार की शक्ति, बाध्यता या भय का प्रयोग कर उसे उसके गंतव्य स्थान से अन्यत्र ले जाना तथा उस प र अपना अधिकार स्थापित करन अथवा ऐसा करने का प्रयत्न करना वीमान अपहरण कहलाता है । ऐसा प्रायः राजनीतिक कारणों से किया जाता हैं । बहुधा विमान अपहरण करने वाले विदेशी नागरिक होते है और विमान का अपहरण करके वे उसे ऐसे देश मे ले जाते हैं जो उनके प्रति राजनीतिक सहानुभूति रखता है । अतः इन अपराधियों को दंडित करने में अनेक अंतर्राट्रीय बाधाएँ सामने आती हैं । इनको दूर करने के लिए कई अभिसमय अंगीकार किए जा सचुके हैं । सर्वप्रथम, 1963 के टोकियो अभिसमय के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई कि विमानों पर हुए अपराधों के लिए दंड की समुचित व्यवस्था हो ताकि क्षेत्राधिकार के अभाव में कोई अपराधी दंड से बच न सके । सन् 1970 के हेग अभिसमय ने इस व्यवस्था को और प्रभावशाली बनाने का प्रयत्न किया । सन् 1971 के मांट्रियल अभिसमय के अंतर्गत विमान पर सवार व्यक्तियों और विमान तथा उड़ान की सुरक्षा के विरूद्ध किए गए हिंसात्मक कार्यों के लिए दंड देने और अपराधियों के अनिवार्य रूप से प्रत्यर्पण किए जाने की व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाया गया ।


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