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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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Atomic club (= Nuclear club)
परमाणु क्लब विश्व के परमाणु शक्ति के उत्पादक विभिन्न राज्यों जैसे, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस ब्रिटेन, फ्रांस और चीन का एक अनौपचारिक गुट जिसे परमाणु समूह भी कहा जाता है । ये शक्तियाँ परमाणु शक्ति पर अपना एकाधिकार मानती थी इस अभिप्राय से इन्होंने एक बहुराष्ट्रीय संधि का भी संपादन किया जिसे परमाणविक प्रसारण निरोधक संधि कहते हैं, और जिस पर लगभग सौ राज्यों ने हस्ताक्षर किए हैं, परन्तु अनेक राज्य जैसे भारत, पाकिस्तान आदि ने इस संधि को स्वीकार नहीं किया है ।

atomic energy control
परमाणु ऊर्जा - नियंत्रण परमाणु शक्ति के उत्पादक राष्ट्रों द्वारा प्रायोजित तथा अंतर्राष्ट्रीय समाज द्वारा सामान्य रूप से अनुमोदित ऐसे प्रतिबंध जिनसे परमाणु शक्ति के आविष्कार, उत्पादन, विकास और परमाणु अस्त्र - शस्त्रों के निर्माण पर नियंत्रण लगाने के प्रयत्न किए गए हैं । उनका उद्देश्य समस्त मानव जाति को परमाणु युद्ध के व्यापक विनाश अथवा विध्वंस से बचाना और परमाणु शक्ति का प्रयोग अधिकाधिक शांतिपूर्ण प्रयोजनों तथा कार्यों तक सीमित करना है ।

authoritative Interpretation
प्राधिकृत निर्वचन, प्रामाणिक व्याख्या संधि के हस्ताक्षरकर्ता पक्षकारों द्वारा पारस्परिक सहमति से की गी संधि के किसी विवादास्पद खंड की व्याख्या को प्रामाणिक व्याख्या कहते हैं ।

automatic renewal
स्वतः नवीकरण किन्ही दो अथवा अधिक राज्यों द्वारा किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए किए गए समझौते या संधि में निर्धारित अवधि के पश्चात् उसे स्वतः पूर्ववत् बनाए रखने के लिए दो प्रकार के उपाय किए जा सकते हं () संधि की अवधि समाप्त ह ने पर संबद्ध राष्टों के प्रतिनिधि औपचारिक रूप से इसका नवीकरण कर सकते हैं या () संधि पर हस्ताक्षर करते समय ही संबंधित पक्षों द्वारा ऐसी धारा का समावेश कर दिया जाता है जिसके अंतर्गत निश्चित अवधि समाप्त होने पर यदि कोई क पक्ष इसके विपरीत इच्छा व्यक्त न करे, तो उस संधि का नवीकरण स्वतः हो जाता है ।

award
पंचाट, अधिनिर्णय किसी पंच - न्यायालय या न्यायाधिकरण द्वारा दिया गया निर्णय ।

Axis Powers
धुरी राष्ट्र द्वितीय महायुद्धापूर्व जर्मनी, इटली और जापान के मध्य हुआ एक गठबंधन जिसका उद्देश्य इन राष्ट्रो की वैदेशिक और सैनिक नीतियों में समन्वय करना था । द्वितीय महायुद्ध में ये देश और इनके अन्य सहयोगी राज्य धुरी राष्ट्र कहलाए ।

Baghdad Pact
बगदाद समझौता मध्य पूर्व के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा संगठनों की श्रृंखला में संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रोत्साहन से निर्मित एक संगठन जिसका प्रादुर्भाव 24 फरवरी, 1955 को ईराक और तुर्की के मध्य एक परस्पर सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने से हुआ । अप्रैल, 1955 में ब्रिटेन, जुलाई में पाकिस्तान और नवंबर में ईरान इसके सदस्य बने । सुरक्षा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग, एक दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप न करना तथा अपने पारस्परिक विवादों को शआंतिमय उपायों से तय करना, इसके प्रमुख सिद्धांत थे । अप्रैल 1955 में ब्रिटेन से किए गए एक विशेष समझौते में, जिसमें ब्रिटेन बगदाद समझौते का एक सदस्य बन गाय ब्रिटेन ने ईराक पर क्रमण होने की दशा में ईराक सरकार के अनुरोध पर उसे हर प्रकार की सहायता, जिसमें सैनिक सहायता शामिल थी, देने का वचन दिया । इस क्षेत्रीय व्यवस्था में संयुक्त राज्य अमेरिका ने पूरा सहयोग काय और इन दोशों की प्रादेशिक अखंडता की गारंटी करने की भी घोषणा की । जुलाई, 1956 में स्वेज संकट से बगदाद समझौता भी संकटग्रस्त हो गया । जुलाई, 1958 में नूरी अल सईद को अपदस्थ कर जनरल कासिम ईराक में सत्तारूढ़ हुआ और उसने सत्ता में आते ही बगदाद समझौते को नकार दिया । 24 मार्च, 1959 को ईराक औपचारिक रूप से बगदाद समझौते से अलग हो गाय । बगदाद समझौते का मुख्यालय अक्टूबर, 1958 में स्थानांतरित कर दिया गया था । 21 अगस्त, 1959 को यह घोषणा की गई कि अब बगदाद समझौते को मध्यवर्ती संधि संगठन () के नाम से जाना जाएगा ।

Bandung Conference
बांहुंग सम्मेलन 29 देशों का यह सम्मेलन इंडोनेशिया के नगर बांडुंग में 29 अप्रैल, 1955 को संपन्न हुआ था । इसका उद्देश्य विश्व राजनीति में एशियाई - अफ्रीकी देशों को एक सुदृढ़ इकाई के रूप में प्रदर्शित करना था और विशअव राजनीति में उनके भावी महत्व को दर्शआना था । परंतु सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर मतैक्य की अपेक्षा मतभेद अधिक देखने में आए । इसमें विश्व राजनीति की अनेक समस्याओं पर विचार - विमर्श किया गया, जैसे क्षेत्रीय सुरक्षा संगठन, उपनिवेशवाद, संयुक्त राष्ट्र में साम्यवादी चीन का प्रतिनिधित्व चीन के संयुक्त राज्य अमेरिका तथा एशियाई देशों के साथ संबंध, प्रजातीय पृथक्करण और भेदभाव, निःशस्त्रीकरण, एशियाई - अफ्रीकी देशों में आर्थिक, सांस्कृतिक तथा तकनीकी मामलों में सहयोग की संभावनाएँ आदि सम्मेलन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में चीन के महत्व और उसकी भूमिका को मान्यता प्राप्त हुई । सम्मेलन ने विश्व शआंति व सहयोग के दस सिद्धांतों का भी प्रतिपादन किया , जो इस प्रकार हैं :- 1. संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों तथा मूल मानवीय अधिकारों के प्रति सम्मान 2. सब राष्ट्रों की संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता का सम्मान 3. सभी प्रजातियों और राष्ट्रों की समानता के सिद्धांत को मान्यता 4. दूसरे देशओं के मामलों में हस्तक्षेप न करना 5. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुरूप प्रत्येक देश का स्वयं अथवा सामूहिक रूप से अपनी रक्षा करने का अधिकार 6. किसी महाशक्ति की विशिषअट हितपूर्ति में निर्मित सामूहिक सुरक्षा संगठनों से दूर रहना 7. परस्पर आक्रमण न करना 8. अंतर्राष्ट्रीय विवादों को शांतिमय उपायों से तय करना 9. पारस्परिक सहयोग एवं हितों की अभिवृद्धि तथा 10. न्याय एवं अंतर्राषअट्रीय दायित्वों का सम्मान ।

Bangkok Conference
बैंकाक सम्मेलन 22 जुलाई, 1956 को बैंकाक में एक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें एशियाई देशओं के बीच अंतर्देशीय नौपरिवहन को सुकर बनाने के लिए एक अभिसमय स्वीकृत किया गया ।

base line
आधार रेखा समुद्री राज्यों की वह तटवर्ती रेखा जहाँ से उनके भूभागीय समुद्र की चौड़ाई मापी जाती है । इसके निरूपण के विस्तृत नियम 1956 के प्रथम जेनेवा कन्वेंशन में दिए गए हैं ।


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