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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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conference diplomacy
सम्मेलन राजनय राजनय का एक स्वरूप जिसमे पारस्परिक समस्याओं एवं समान हित के प्रश्नों का समाधान संबंधित राज्यों के सम्मेलन के माध्य से खोजने का प्रयत्न किया जाता है । इसका प्रारंभ 19 वीं शती के आरंभ से माना जाता है ।

conflict of laws (=private international law)
विधि वैष्म्य किसी व्यक्ति के अधिकारों को लेकर विभिन्न राज्यों अथवा क्षेत्रधिकारों में मतभेद को दूर करने वाली विधि । इसे वैयक्तिक (प्राइवेट) अंतर्राषअट्रीय विधि भी कहा जाता है ।

conquest
विजय प्रदेश प्राप्ति का एक बलकारी उपाय जिसके अंतर्गत सैनिक बल प्रयोग द्वारा किसी देश या प्रदेश को वशीभूत करके उसे अपने राज्य में मिला लिया जाता है । यह क्रिया एकपक्षीय घोषणा अथवा पारस्परिक संधि द्वारा भी संपन्न की जा सकती है । समामेलन से पूर्म संबंधित प्रदेश केवल शत्रु आधिपत्य अथवा सैनिक आधिपत्य में माना जाता है । वर्तमानकालीन अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत इस प्रकार की क्रिया पूर्णतः अवैध हो गई है ।

consensual theory
सहमति सिद्धांत इस सिद्धांत की मान्यता यह है कि अंतर्राष्ट्रीय विधि के नियम राज्यों की पारस्परिक सहमति से ही प्रतिपादित किए जा सकते ह और बिना राज्यों की सहमति के कोई भी नियम उन पर लागू नही किया जा सकता । इसका यह अर्थ नहीं है कि किसी नियम के बाध्यकारी होने के लिए प्रत्येक राज्य की सहमति उसके प्रति हो । इसका तात्पर्य केवल यह है कि जिन नियमों के प्रति राज्यों की सामान्य सहमति है उन नियमों को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सामान्यतः आध्यकारी माना जा सकता है । इस सिद्धांत के मानने वालों को यथार्थवादी () कहा जाता ह ।

consent post hoe
तद्नंतर सहमति विवादग्रस्त पक्षों के बीच किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समझौते के अंतर्गत किसी विवाद या उसके कुछ पहलुओं के निपटारे के लिए कीस एक पक्ष या दोनों पक्षों द्वारा वाद प्रारंभ होने के उपरांत अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को दी गई क्षेत्राधइकार संबंधी स्वीकृति ।

consortium
सहायता संघ किन्हीं विशिष्ट उद्देश्यों जैसे, व्यापार, उत्पादन, आर्थिक सहयोग अथवा अंतर्रष्ट्रीय सहायता आदि के लिए विभिन्न राष्ट्रों की साझेदारी । उदाहरणार्थ, तेल उत्पादक देशं का संगठन, भारत सहायता संघ आदि ।

Constansinople Convention, 1888
कांस्टेन्टीनोपल संविदा, 1888 इस संविदा से स्वनेज नहर का जो मिस्र राज्य का प्रादेशिक भाग है, अंतर्राष्ट्रीयकरण किया गाय था । इसके अंतर्गत यह तय किया गया था कि स्वेज नहर शांति और युद्ध काल में सदैव सब राष्टों के वणिक और युद्धपोतों के लिए खुली रहेगी, परंतु युद्धपोतों को नहर मार्ग से अविलंब गुजरना हागा और वे स्वेज और सईद बंदरगाहों में 24 घंटे से अधिक नहीं ठहर सकेंगे । सैनिक टुकड़ियाँ, अस्त्र - शास्त्र और अन्य युद्ध सामग्री नहर के भीतर अथवा इसके बंदरगाहों में न तो लादी जा सकेगी और न उतारी जा सकेगी । 1956 में मिस्र द्वारा स्वेज नहर कंपनी का, जो स्वेज नहर का प्रबंध करती थी, राष्ट्रीयकरण कर देने के उपरांत, संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् ने 13 अक्तूबर, 1956 को एक प्रस्ताव पारित करके स्वेज नहर संबंधी कुछ सिद्धांत घोषित किए जिनमें, स्वेज नहर मे आवागमन की स्वतंत्रता सब राष्ट्रों को बिना किसी भेदभाव के होगी और नहर को किसी भी देश की राजनीति से अलग रखा जाएगा, प्रमुख थे । स्वयं मिस्र ने 24 अप्रैल, 1957 की अपनी एकपक्षीय घोषमा में इस बात की संपुअषटि की कि वह 1888 के कांस्टेन्टीनोपल कन्वेशन की व्यवस्था और उसकी भावना का सम्मान करेगा ।

constitutive theory of recognition
मान्यता का निर्माणात्मक सिद्धांत इस सिद्धांत के अनुसार केवल मान्यता द्वारा ही कीस राज्य का जन्म अथवा निर्माण होता है क्योंकि जब तक किसी रजाय् को मान्यता नहीं मिल जाती तब तक उसका कोई अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व नहीं होता है । मान्यता प्राप्त कर लेने पर ही राज्य अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व को प्राप्त कर अंतर्राष्ट्रीय कानून का विषय हो सकता है । इस सिद्धांत के समर्थक जैलनिक, हॉलै और औपेनहायम आदि हैं ।

consul
वाणिज्य दूत, कांसुल राजनयिक प्रतिनिधि से भिन्न एक अधिकारी या प्रतिनिधि जिसकी नियुक्ति विदेश में नियुक्तिकर्ता रजाय् के अपने या अपने नागरिकों के वाणिज्यिक हितों की रहा के लिए की जाती है । उसके कुछ मुख्य कार्य विदेशियों को वीज़ा जारी करना, अपने राज्यों के जहाजों पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना, प्रमाणन संबंधित कार्यों का निष्पादन करना और व्यापारिक हितों का संरक्षण करना आदि हैं । इनके कार्यों एवं विशएषाधिकारों का संहिताकरण 24 अप्रैल, 1963 कि वियना कन्वेंशन द्वारा कर दिया गया है ।

consular court
वाणिज्यदूतीय न्यायालय, कांसुली न्यायालय वाणिज्यदूतीय संधि के अंतर्गत स्थापित न्यायालय जिसका प्रधान वाणिज्यदूत होता है और जिसका स्वीकर्त्ता राज्य मे रह रहे प्रेषक राज्य के नागरिकों के ऐसे दीवानी और फौजदारी मामलों में क्षेत्राधिकार ह ता है जो स्थानीय क्षेत्राधिकार में न आते हों ।


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