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Definitional Dictionary of International Law (English-Hindi)
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anti - apartheid movement
रंगभेद विरोधी आंदोलन प्रजाति पार्थक्य विरोधी आंदोलन दक्षिण अफ्रीका मे रंगभेद और अश्वेत प्रजातियों के पृथक्वासन का विरोध करने वाला आंदोलन । संयुक्त राष्ट्र संघ में सन् 1953 से किया जा रहा रंगभेद और पृथक्वासन - विरोधी अभियान । यह उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने दक्षिण अफ्रीकी शासन की नीतियों को मानव अधिकारों का हनन और अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बताया है । सं.रा. संघ की महासभा द्वारा स्वीकृत एक अभिसमय में प्रजाति पार्थक्य को एक दंडनीय अपराध घोषित किया गया है और इसकी रोकथाम के लिए भी विस्तृत व्यवस्था की गई है ।

anti - colonialism
उपनिवेश विरोध प्रथम विश्व युद्ध के उपरांत विश्व में उपनिवेशवाद के विरूद्ध एक भावना ने जन्म लिया जिसने शनैः शनैः आंदोलन का रूप धारण कर लिया और जिसका लक्ष्य सभी लोगों के आत्म निर्णय के अधिकार की माँग करते हुए सभी उपनिवेशों को स्वतंत्र करने के लिए औपनिवेशिक शक्तियों पर दबाव डालना था । द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत सभी उपनिवेश धीरे - धीरे स्वतंत्र हो गए । साम्यवादी देश और गुट निरपेक्ष राज्य उपनिवेशवाद के कट्टर विरोधी रहे हैं ।

anti - hijacking law
विमान अपहरण विरोधी विधि दूसरे महायुद्ध के पश्चात संसार के अनेक भागों में राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों का उद्भव हुआ और इनमें से अनेक ने विमानों में हिसात्मक एवं आतंकवादी क्रियाओं का भी सहारा लिया । इससे एक नई समस्या उत्पन्न हुई जिसे विमान अपहरण का नाम दिया जाता है । इस प्रक्रिया में विमान के निर्दोष यात्रियों और कर्मियों का जीवन संकटग्रस्त हो जाता है और विमान - यात्रा जो सादारण रूप से भी जोखिमपूर्ण है, भयावह बन जाती है । अतः इस ओर ध्यान आकृष्ट हुआ कि विमान के अपहरणकर्ताओं को दंड देने की समुचित व्यवस्था की जाए, चाहे वे अपहरणकर्ता राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित क्यों न हों । दूसरे, यह भी सुनिश्चित काय जाए कि क्षेत्राधिकार के अभाव में कोई इस प्रकार का अपराधी दंड से न बच सके । तीसरे, यह भी आवश्यक समझा गया कि विमान अपहरण को प्रत्यर्णता के लिए एक साधारण फौजदारी अपराध माना जाए न कि राजनीतिक अपराध ताकि विमान - अपरहणरकर्ता इस आधार पर दंड अथवा प्रत्यर्पण से बच न सके कि वह एक राजनीतिक अपराधी है और उसके द्वारा किया गया कृत्य राजिनीतिक अपराध है । इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए जिस विधि का विकास हुआ उसे विमान अपहरण विरोधी विधि का नाम दिया जा सकता है । इस विधि के मुख्य रूप से तीन स्ततंभ हैं 1. टोकियो अभिसमय, 1963 2. हहेग अभिसमय, 1970 और 3. मांट्रियल अभिसमय, 1971 सन्म 1982 में भारतीय संसद ने एक कानून बनाकर विमान अपहरण विरोधी विषयक टोकियो और हेग अभिसमयों को अपनी राष्ट्रीय विधि में रूपांतरित कर लिया । इन अभिसमयों की विस् जानकारी के लिए संबंधित प्रविष्टियाँ देखिए ।

Arab League
अरब संघ, अरब लीग सन् 1944 के शरतकाल में अलैक्जौंडिया में आयोजित अरब एकता उपक्रम सम्मेलन के निर्णयों के परिणामस्वरूप 10 मी, 1945 को मिस्र (संयुक्त अरब गणराज्य) ईराक, जॉर्डन, लेबनान, सऊदी अरब, यमन और सीरिया द्वारा स्थापित स्वैच्छिक संघ । इसका मूल उद्देश्य अरब राष्ट्रों की एकता की भावना को दृढ़ बनाना, उपनिवेशवाद और शीतयुद्ध का विरोध, गुट निरपेक्षता का समर्थन एवं इज़रायल राज्य का विरोध करना रहा है । इस संघ में फिलिस्तनी अरबों के प्रतिनिधित्व की विशएष व्यवस्था की गई थी । अब इसकी सदस्य संख्या 22 हो गी है और पी. एल.ओ. (फिलिस्तीनी मुक्त संगठन ) इसका पूर्ण सदस्य बन गया है ।

arbitral tribunal
विवाचन न्यायाधिकरण अंतर्राष्ट्रीय विवादों के पंचनिर्णय के लिए विवादग्रस्त पक्षों की पारस्परिक सहमति से संगठित निकाय अथवा आयोग जिसमें दोनों पक्षों के बराबर संख्या में सदस्य होते हैं और अध्यक्ष सबकी सहमति से चुना जाता है । ऐसा न्यायाधिकरण एक सदस्यीय भी हो सकता है । न्यायाधिकरण को विवाचन - समझौते की शर्तें के अनुसार निर्णय करने का अधिकार होता है और इसके निर्णय को पंचाट कहा जाता है जो दोनों पक्षों के लिए बाध्यकारी होता है ।

arbitration
विवाचन, माध्यस्थम् दो या अधिक पक्षों (संस्था, व्यक्ति या राज्य) के मध्य उत्पन्न विवादों के समाधान की वह पद्धति अथवा प्रक्रिया जिसमें विवादग्रस्त पक्ष पारस्परिक समझौते से एक या अधिक परस्पर स्वीकृत व्यक्ति या व्यक्तियों को संबधित विवाद का अंतिम रूप से निर्णय करने के लिए नियुक्त करते हैं । प्रायः इस निर्णय को पंचाट कहा जाता है । निर्णय दोनों पक्षों के लिए बाध्यकारी होता है । विशिष्ट प्रकार के विवादों के समाधान के लिए विवाचन की प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया जा सकता है । इस प्रक्रिया को पंचनिर्णय की प्रक्रिया भी कहा जाता है । न्यायाधिकरण में एक या एक से अधिक सदस्य हो सकत हैं । प्रायः इस प्रकार के पंचों की नियुक्ति तद्रथ रूप से की जाती रही है । 1899 के प्रथम हेग सम्मेलन द्वारा एक स्थायी विवाचन न्यायालय की भी व्यवस्था की गई थी परन्तु व्यवहार में यह व्यवस्था अधिक उपयोगी नहीं रही ।

arbitration agreement
विवाचन समझौता दो या अधिक राज्यों के मध्य विवाह उत्पन्न होने पर विवाचन अथा पंच निर्णय की प्रक्रिया द्वारा उस विवाद को तय करने के लिए किया गया तदर्थ समझौता । इसमें पंचों के नाम, उनका क्षेत्राधिकार और पालन की जाने वाली प्रक्रिया व नियमावली का उल्लेख रहता है ।

archipelagic states
द्वीपसमूह वाले राज्य ऐसे राज्य जो पूर्णतः एक या एकाधिक द्वीपसमूहों () से मिलकर बने हों । इस प्रकार के राज्यों के जलक्षेत्रों पर अधिकार के बारे में 1982 के समुद्र - विधि संबंधी सं. रा. अभिसमय के अनुच्छेद 47 तथा 49 में व्याख्या की गई है । इन अनुच्छेदों के अनुसार कुछ शर्तों के साथ द्वीपसमूह वाले राज्यों को अपने सबसे बाहर वाले द्वापों के सबसे बाहर वाले परिधि - बिन्दुओं को जोड़ने वाली आधार रेखाओं के भीतर आने वाले जल क्षेत्र, उसके ऊपरी आकाश क्षेत्र, जल क्षेत्र के तल तथा उसके अंदर के संसाधनों के दोहन का अधिकार है । दे. archipelago भी ।

archipelago
द्वीपसमूह 10 दिसंबर, 1982, के समुद्र विधि संबंधी संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के अनुच्छेद 46 के अनुसार ऐसे द्वीपों का समूह जो समुद्री जल कें हो और जो इस प्रकार एक दूसेर से घनिष्ठ रूप से जुड़े हो कि उनको उनके चारों तरफ के समुद्री जल सहित एक भौगोलिक, आर्थिक अथवा राजनैतिक इकाई माना जा सकता है अथवा ऐतिहासिक दृष्टि से उसे एक इकाई माना जाता रहा है ।

Arctic claims
आर्कटिक दावे उत्तरी ध्रुव संबंधी दावे आर्कटिक दावे का सिद्धांत भूप्रदेश के सातत्य और सामीप्य पर आधारित है । इसीलिए इसके आस - पास के दो राज्यों अर्थात् कनाडा और भूतपूर्व सोवियत संघ ने क्षेत्रक सिद्धांत के आधार पर उत्तीर ध्रुव प्रदेश पर अपनी प्रबूसत्ता के दावे किए थे । किन्तु उस भूप्रदेश की जलवायु और पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए इन दोवों पर बाद में कोई जोर नहीं दिया गया ।


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