निरपेक्ष आदेश, निरपेक्ष नियोग
कांट के नीतिशास्त्र में, नैतिक बुद्धि का वह सर्वोच्च आदेश कि उस सिद्धांत के अनुसार कर्म करो जिसे सार्वभौम बनाया जा सकता हो। यह निरपेक्ष इसलिए है कि यह किसी भी उपाधि पर निर्भर नहीं है।
Categorical Judgement
निरूपाधिक निर्णय
वह निर्णय जिसमें कोई उपाधि या शर्त शामिल न हो।
Categorical Knowledge
निरूपाधिक ज्ञान
वह ज्ञान जो किसी दूसरे ज्ञान की अपेक्षा के बिना होता है।
Categorical Proposition
निरूपाधिक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो बिना किसी उपाधि के किसी तथ्य का विधान अथवा निषेध करें, जैसे : 'सभी मनुष्य मर्त्य हैं' या 'कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं है।'
Categorical Syllogism
निरूपाधिक न्यायवाक्य
निरपेक्ष न्यायवाक्य वह न्यायवाक्य होता है जिसकी तीनों प्रतिज्ञप्तियाँ निरूपाधिक हों।
Category
पदार्थ
1. अरस्तू के दर्शन में, विधेय के दस प्रकारों में से एक; सत्ता के सबसे आधारभूत रूपों में से एक। ये दस हैं - द्रव्य, परिमाण, गुण, संबंध, स्थान, काल, स्थिति, अवस्था, क्रिया तथा क्रियाफलभागिता।
2. कांट के दर्शन में, प्रतिपत्ति (undestanding) के बारह प्रागनुभविक आकारों (a proori forms) में से एक, जो ये हैं - 'एकता, अनेकता, साकल्प ('परिमाण' के अन्तर्गत); सत्ता, निषेध, परिच्छिन्नत्व ('गुण' के अंतर्गत); द्रव्य-गुण, कारण कार्य, पारस्परिकता ('संबंध' के अंतर्गत); संभवता-असंभवता, अस्तित्व-अनस्तित्व, अनिवार्यता-आपातिकता '(निश्चयमात्र' के अंतर्गत)
Category Mistake
कोटि-दोष, कोटि-त्रुटि
गिलबर्ट राईल के अनुसार एक श्रेणी या कोटि के शब्द को किसी दूसरी कोटि में समझ बैठने की गलती।
Catharsis
विरेचन
इस शब्द का प्रयोग यूनानी दर्शन में अरस्तू ने प्राथमिक चिकित्सा, धार्मिक शुद्धिकरण आदि के संदर्भ में किया है। इसका अर्थ शारीरिक तथा मानसिक शुद्धिकरण की क्रिया है।
Causa Ficta
कल्पित कारण
वह कारण जिसकी कल्पना कर ली गई हो।
Causal Body
कारण-शरीर
वेदान्त दर्शन में, स्थूल शरीर का मूल, अविद्या से निर्मित शरीर, जो मोक्ष पर्यन्त जीव के साथ बना रहता है।