logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Definitional Dictionary of Philosophy (English-Hindi)
A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z

Please click here to read PDF file Definitional Dictionary of Philosophy (English-Hindi)

Complementary Class
पूरक वर्ग ऐसी वस्तुओं का समुदाय जो पूर्ण समुच्चय की वस्तुओं में होकर उप-वर्ग की वस्तुओं में समाविष्ट न हो। उदाहरणार्थ : 'मानव वर्ग' का पूरक 'अमानव वर्ग' है एवं अमानव वर्ग का पूरक मानव वर्ग है।

Complete Good
पूर्ण शुभ, पूर्ण श्रेय व्यावहारिक और आध्यात्मिक स्तर पर समन्वित शुभ। कांट, हेगेल, ब्रैडले के द्वारा प्रयुक्त।

Complete Induction
सिद्ध आगमन, पर्याप्त आगमन वह आगमन जो विशेष उदाहरणों से, कारण कार्य एवं प्रकृति समरूपता के नियमों के द्वारा, किसी सामान्य निष्कर्ष की स्थापना करता है, पूर्ण आगमन कहलाता है। इसे वैज्ञानिक आगमन भी कहते है।

Complete Inversion
पूर्ण विपरिवर्तन वह विपरिवर्तन जिसमें निष्कर्ष के उद्देश्य और विधेय, आधार-वाक्य के क्रमशः उद्देश्य और विधेय के व्याघातक होते हैं।

Complete Mysticism
पूर्ण रहस्ववाद सामान्य अर्थ में आत्मा का परमात्मा से मिलन मानने वाला सिद्धांत है। बर्गसाँ के अनुसार पूर्ण रहस्यवाद वह स्थिति है, जिसमें साधक ईश्वर से तादात्म्य स्थापित करके सम्पूर्ण मानवता के प्रेम के प्रति उन्मुख होता है।

Complete Predication
पूर्ण विधेयन तर्कशास्त्र में ऐसी प्रतिज्ञप्ति जिसमें विधेय पद उद्देश्य पद को पूर्णतः अभिव्यक्त कर देता है। उदाहरण : `मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है।`

Complete Set
पूर्ण समुच्चय वर्णन की गयी सभी वस्तुओं का पूर्ण समुच्चय, यह गणित और तर्कशास्त्र में प्रयुक्त होता है। उदाहरण : सभी विषम संख्याओं का समुच्चय x = [x E सभी विषम संख्याओं ] या x = [ x E 1, 3, 5, 7......]

Completive Form
पूरक आकार वह पूरक आकार जो कलाकार के मन में है, पर वह मूर्त रूप नहीं लिया है। यह पद सौंदर्य शास्त्र में प्रयुक्त होता है।

Complex Dilemma
सम्मिश्र उभयतःपाश वह उभयतःपाश जिसका प्रथम आधार वाक्य संयोजनात्मक हेतुफलात्मक प्रतिज्ञप्ति है, दूसरा आधार वाक्य वियोजक प्रतिज्ञप्ति है एवं निष्कर्ष भी एक वियोजक प्रतिज्ञप्ति है। इसके दो रूप हैं - विधायक और निषेधात्मक। विधायक - यदि तुम आगे जाओगे तो शेर तुम्हें खा जायेगा ओर यदि तुम पीछे जाओगे तो खाई में गिर जाओगे। या तुम आगे जाओगे या तुम पीछे जाओगे। निष्कर्ष - या तो तुम्हें शेर खा जायेगा या तुम खाई में गिर जाओगे। निषेधात्मक - यदि तुम आगे जाओगे तो शेर तुम्हें खा जायेगा और यदि तुम पीछे जाओगे तो खाई में गिर जाओगे। न तो शेर तुम्हें खायेगा, न तुम खाई में गिरोगे। निष्कर्ष - न तो तुम आगे जाओगे, न तुम पीछे जाओगे।

Complex Double Epicheirema
सम्मिश्र उभयपक्षीय संक्षिप्त प्रतिगामी तर्कमाला न्यायवाक्यों की वह श्रृंखला जो उत्तर न्यायवाक्य से पूर्व न्यायवाक्य की ओर चलती है, जिसमें पूर्व न्यायवाक्यों का एक आधार-वाक्य लुप्त होता है, जिसमें उत्तर न्यायवाक्य में दोनों आधार-वाक्यों को संक्षिप्त न्याय-वाक्यों के द्वारा सिद्ध किया जाता है, तथा फिर इन संक्षिप्त न्यायवाक्यों के आधारवाक्यों को भी अन्य संक्षिप्त न्यायवाक्यों के द्वारा सिद्ध किया जाता है, उदाहरण- सभी ऋषि आदरणीय हैं, क्योंकि सभी योगी आदरणीय हैं, और सभी ऋषि योगी हैं। सभी योगी आदरणीय हैं, क्योंकि सभी दार्शनिक आदरणीय हैं, और सभी दार्शनिक आदरणीय हैं, क्योंकि सभी विद्वान आदरणीय हैं, और पुनः सभी ऋषि योगी हैं, क्योंकि सभी तत्वद्रष्टा योगी हैं, और सभी तत्वद्रष्टा योगी हैं, क्योंकि सभी परमार्थी योगी हैं।


logo