पापमोचन-संस्कार
एक ईसाई संप्रदाय-विशेष (कैथरिस्ट) में प्रचलित एक धार्मिक संस्कार जिसमें मृत्यु से पूर्व पापों के प्रायश्चित के रूप में व्यक्ति को आध्यात्मिक बपतिस्मा के द्वारा मुक्ति दी जाती है।
Constant
अचर, स्थिरांक
प्रतीकात्मक, तर्कशास्त्र में, कोई भी ऐसा प्रतीक जो किसी निश्चित व्यष्टि, गुणधर्म या संबंध का द्योतक।
Constatation
प्रत्यक्षबोधक वाक्य
वह वाक्य जो प्रत्यक्ष पर आधारित हो।
Constitutive Conditions
अंगगत निर्धारक, उपादानात्मक निर्धारक
विशेषतः जॉनसन के तर्कशास्त्र में, अनुमान के सत्य होने की वे शर्तें जिनका संबंध प्रतिज्ञप्तियों और उनके संबंधों से होता है और जो अनुमानकर्ता पर निर्भर नहीं होती। देखिये `epistemic conditions`
Constitutive Dilemma
रचनात्मक उभयतः पाश
वह उभयतःपाश जिसमें पक्ष आधारवाक्य में साध्य आधारवाक्य में, समाविष्ट हेतुओं का विकल्पतः विधान किया जाता है और निष्कर्ष में उसके फलों का विकल्पतः विधान किया जाता है।
उदाहरण : यदि मनुष्य अपनी इच्छानुसार कार्य करता है तो उसकी आलोचना होती है और यदि वह दूसरों की इच्छानुसार कार्य करता है तो भी उसकी आलोचन होती है।
मनुष्य या तो अपनी इच्छानुसार कार्य करता है या दूसरों की इच्छानुसार। अतः प्रत्येक दशा में उसकी आलोचना होती है।
Consubstantiation
समद्रव्यवाद (ईसाईमत)
शाब्दिक अर्थ में, एक द्रव्य बन जाना। ईसाई धर्म में वह मान्यता कि यूरवरिस्ट या प्रभु के रात्रिभोज में रोटी तथा शराब के साथ ईसा का वास्तविक भौतिक शरीर तथा रक्त मिला हुआ था।
Contemplation
ध्यान
1. रहस्यवादी अर्थ में, ज्ञाता का ज्ञेय वस्तु से आंशिक या पूर्ण तादात्म्य जिसमें उसकी व्यष्टित्व की चेतना लुप्त हो जाती है।
2. सैमुएल अलेक्जेंडर (Samuel Alexander) के द्वारा आत्म-चेतना (enjoyment) के विपरीत वस्तु के ज्ञान के लिये प्रयुक्त शब्द।
Contensive
पूर्वानुभवाश्रित (प्रत्यय)
पहले के अनुभव द्वारा ज्ञात या उस पर आधारित।
Content
विषय, अंतर्वस्तु, विषयवस्तु
ब्रैडले के दर्शन के अनुसार प्रत्येक वस्तु में दो घटक तत्त्व निहित होते हैं। प्रथम अस्तित्त्व (existence) एवं द्वितीय अन्तर्वस्तु (content)। ये दोनों अवियोज्य होते हैं। साधारण भाषा में अस्तित्व का तात्पर्य द्रव्य और अन्तर्वस्तु का तात्पर्य गुणों से होता है। अतः अन्तर्वस्तु से उनका अभिप्राय उस गुण से है जो किसी वस्तु में निहित होता है।
Contentious Syllogism
वैतंडिक न्यायवाक्य
वह दोषपूर्ण न्यायवाक्य जो एक पक्ष के द्वारा बाद में विजय प्राप्ति की इच्छा मात्र से प्रयुक्त होता है।