कोरी पट्टिका
इंद्रियामुभव को ज्ञान का एकमात्र स्रोत माननेवाले जॉन लॉक के द्वारा मन के लिए प्रयुक्त और अनुभवों से पहले की उसकी अवस्था का सूचक पद : मन एक ऐसी 'कोरी पटिया' है जिस पर अनुभव से ही संस्कार अंकित होते हैं। लॉक जन्मजात प्रत्ययों को अस्वीकार करता है।
Tautology
पुनरूक्ति
1. वह तर्कदोष जिसमें निष्कर्ष किसी नवीन तथ्य का ज्ञान अथवा सूचना नहीं देता बल्कि आधारवाक्य में कही गई बात को ही शाब्दिक हेर-फेर के साथ दोहराता है।
2. प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, वह सूत्र जिसके चरों (प्रतिज्ञप्ति-चरों) को चाहे जो सत्यता-मूल्य (सत्य या असत्य) प्रदान किया जाए, संपूर्ण का सत्यता-मूल्य सदैव सत्य होता है। साधारण भाषा में, वह प्रतिज्ञप्ति जो प्रत्येक वस्तुस्थिति में सत्य होती है, जैसे `अ या तो ब है या ब नहीं`।
Teleological Argument
उद्देश्यपरक युक्ति, प्रयोजनपरक युक्ति
वह युक्ति जिसमें विश्व की सप्रयोजनता के आधार पर ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध किया जाता है। इस युक्ति के अनुसार, विश्व में हमें सर्वत्र प्रयोजन के प्रमाण प्राप्त होते हैं; प्रयोजन एक चेतन शक्ति के अस्तित्व की ओर संकेत करता है; अतः कोई चेतन शक्ति है जो किसी प्रयोजन की पूर्ति के लिए विश्व की रचना करती है; वही ईश्वर है।
Teleological Ethics
प्रयोजनवादी नीतिशास्त्र
वह नैतिक सिद्धांत जो कर्मों के शुभाशुभ, उचित-अनुचित का मूल्यांकनकर्ता के प्रयोजन, उद्देश्य के आधार पर करना चाहता है।
Teleological Idealism
प्रयोजनपरक प्रत्ययवाद
वह सिद्धांत जिसके अनुसार अनिवार्य सत्यों, तथ्यों तथा मूल्यों के तीन पृथक् जगत् मान्य हैं, जिनमें मूल्य और तर्कबुद्धि को सर्वोपरि स्वीकार्य किया गया है और वही विश्व को एक विशिष्ट योजना के अनुसार संचालित करते हैं। लोत्से (Lotze 1817-1881, जर्मन दार्शनिक)
Teleology
1. प्रयोजनवाद, उद्देश्यवाद : यंत्रवाद के विपरीत, उद्देश्यों, लक्ष्यों तथा अंतिम कारणों का अस्तित्व मानने वाला सिद्धांत। यंत्रवाद भविष्य तथा वर्तमान को भूत के परिप्रेक्ष्य में देखता है, परंतु प्रयोजनवाद भूत तथा वर्तमान को भविष्य के परिप्रेक्ष्य में देखता है।
2. प्रयोजनात्मकता : सप्रयोजन या उद्देश्वान् होने की मान्यता।
Telepathy
मनःपर्याय, परचित ज्ञान
किसी भी दूरी पर स्थित व्यक्ति के मनोभावों को जान लेने की शक्ति या क्षमता, जिसमें इन्द्रिय प्रत्यक्ष माध्यम नहीं होता।
Term
पद
तर्कशास्त्र में, वह शब्द अथवा शब्द-समूह जिसका प्रतिज्ञप्ति में उद्देश्य या विधेय के रूप में प्रयोग किया जा सके। जैसे, 'राम', 'मनुष्य', 'इंग्लेंड का राजा' इत्यादि।
Theism
ईश्वरवाद
ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखने वाला सिद्धांत।
Terminism
मूल न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसके आधारवाक्य में कोई भी पद अनावश्यक रूप से व्याप्त न हो, अर्थात् जिसका आधारवाक्यों में कोई भी ऐसा पद व्याप्त न हो जो निष्कर्ष में अव्याप्त है और हेतु-पद केवल एक बार व्याप्त हो। जैसे, बार्बाराः सभी मनुष्य मरणशील हैं; सुकरात एक मनुष्य है; अतः सुकरात मरणशील है। (यहाँ हेतु-पद `मनुष्य` केवल एक बार साध्य आधारवाक्यों में व्याप्त है और पक्ष-पद निष्कर्ष और पक्ष-आधारवाक्य दोनों में व्याप्त है।)