logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Definitional Dictionary of Philosophy (English-Hindi)
A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z

Please click here to read PDF file Definitional Dictionary of Philosophy (English-Hindi)

Dialectical Theology
द्वंद्वात्मक ईश्वरमीमांसा वह ईश्वरमीमांसीय सिद्धांत जिसके अनुसार द्वंद्व ही ईश्वरीय ज्ञान का मुख्य साधन है। इसके लिए किसी प्रकार की दार्शनिक विवेचन की आवश्यकता नहीं होती है।

Dialectic Syllogism
द्वंद्व-न्यायवाक्य अरस्तू के अनुसार, निश्चयात्मक के विपरीत प्रसंभाव्य एवं विश्वसनीय प्रतिज्ञप्तियों वाला न्यायवाक्य।

Diallelon
चक्रक परिभाषा, परिभाषा-दुष्चक्र परिभाषा का एक दोष जो तब होता है जब एक पद 'प1' की 'प2' के द्वारा 'प2' की 'प3' के द्वारा और इस प्रकार अंत में 'पन ' का 'प1' के द्वारा परिभाषा दी जाती है।

Diallalus
चक्रक-युक्ति, युक्ति-दुष्चक्र युक्ति का एक दोष जो तब होता है जब एक युक्ति 'य1' को 'य2' से प्रमाणित किया जाता है, 'य2' को 'य3' से और अंत में 'यन' को 'य1' से प्रमाणित किया जाता है।

Dialogism
विकल्पानुमान एक ही आधारवाक्य से एक वियोजक निष्कर्ष का अनुमान, जैसे: `गुरूत्वाकर्षण संपर्क के बिना प्रभाव डाल सकता है, ` से यह अनुमान कि `या तो कोई शक्ति संपर्क के बिना प्रभाव डाल सकती है या गुरूत्वाकर्षण कोई शक्ति नहीं है।`

Dianoetic Theory
अंतःप्रज्ञातर्कवाद एक सिद्धांत जो अंतःप्रज्ञा-शक्ति को इंद्रियाकल्प न मानकर तर्कबुद्धि से अभिन्न मानता है। तदनुसार हमारी तर्कबुद्धि शाश्वत नैतिक नियमों का साक्षात् ज्ञान कराती है और उनसे विशेष कर्मों के औचित्य का अनुमान करती है।

Dianoetic Virtues
प्रज्ञात्मक सद्गुण अरस्तू के नीतिशास्त्र में, बौद्धिक सद्गुण, अर्थात् वे सद्गुण जो बुद्धि, तर्क-शक्ति और विचार के प्रकर्ष से उत्पन्न होते हैं, तथा जिनका लक्ष्य बौद्धिक नियमों, सिद्धांतों और तत्वों का ज्ञान होता है।

Dianoia
प्रज्ञा अरस्तू के दर्शन में, विचार या चिंतन करना अथवा ऐसा करने की शक्ति, जो विवेचन में तथा संप्रत्ययों को संयुक्त या वियुक्त करने में प्रकट होती है।

Dictum De Diverso
व्यावर्तक अभ्युक्ति तर्कशास्त्र में, लैम्बर्ट के अनुसार, द्वितीय आकृति का वह आधारभूत नियम कि यदि कोई पद एक दूसरे पद के अन्तर्गत है और एक अन्य पद उसी दूसरे पद के बाहर है, तो पहला और तीसरा पद एक-दूसरे के बाहर होते हैं।

Dictum De Exemplo
निदर्शन-अभ्युक्ति तर्कशास्त्र में, लैम्बर्ट के अनुसार, तृतीय आकृति का वह आधारभूत नियम कि यदि दो पदों में कुछ अंश समान हों तो वे अंशतः एक दूसरे से मेल रखते हैं, किन्तु यदि एक पद का कुछ अंश दूसरे से भिन्न हो तो वे अंशतः भिन्न होते हैं।


logo