बौद्धिक सन्मात्र
वह सत्त्ता जिसका केवल मानसिक अस्तित्व हो, बाह्य जगत् में नहीं।
Entailment
अनुलाग
दो प्रतिज्ञप्तियों के मध्य ऐसा संबंध कि एक का दूसरी से निगमन किया जा सके।
Entelechy
ऐंटेलिकी, अंतस्तत्व
विशेषतः जर्मन दार्शनिक ड्रीश (Driesch) के अनुसार, वह अतिभौतिक शक्ति जो जीवित देह में व्याप्त रहते हुए उसके अंदर की भौतिक और रासायनिक क्रियाओं को एक प्रयोजन के अनुसार चलाती है तथा उसे एक पूर्ण अवयवी के रूप में विकसित करती है।
Entheism
अंतरीश्वरवाद
जर्मन दार्शनिक कारूस (Carus) का मत जिसके अनुसार प्रकृति में व्याप्त दिव्य सर्जनात्मक शक्ति (ईश्वर) संगठन, संरचन तथा आंगिक एकता के रूप में स्वयं को व्यक्त करती है।
Enthymeme
लुप्तावयव न्यायवाक्य
तर्कशास्त्र में, वह न्यायवाक्य जिसकी एक प्रतिज्ञप्ति (आधारवाक्य या निष्कर्ष) व्यक्त न की गई हो। जैसे ; 'राम मरणशील है, क्योंकि वह मनुष्य है।' इसमें आधारवाक्य 'सभी मनुष्य मरणशील हैं' लुप्त है।
Enthymeme Of The First Order
लुप्तसाध्य न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य व्यक्त न किया गया हो। जैसे : 'रवीन्द्र भारतीय है, क्योंकि वह बंगाली है'।
Enthymem Of The Fourth Order
एकवाक्य न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें केवल एक ही प्रतिज्ञप्ति व्यक्त की गई हो और शेष दो अव्यक्त हों। जैसे : 'राम आदमी ही तो है' (शेष दो, संदर्भ के अनुसार 'सभी आदमी गलती करते हैं' तथा 'राम ने गलती की है', हो सकती है)।
Enthymem Of The Second Order
लुप्तपक्ष न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें पक्ष-आधारवाक्य अव्यक्त हो। जैसे : 'सभी मनुष्य मरणशील है, इसलिए वह भी मरणशील है'।
Enthymem Of The Third Order
लुप्तनिष्कर्ष न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका निष्कर्ष अव्यक्त हो। जैसे : 'सभी दार्शनिक चिंतनशील होते हैं और रसल दार्शनिक है'।
Entity
वस्तु पदार्थ
कोई भी वस्तु जिसके बारे में विचार किया जा सके, चाहे वह मानसिक हो या भौतिक।