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Definitional Dictionary of Philosophy (English-Hindi)
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Fallacy Of Accent
पदाघात-दोष, स्वराघात-दोष वाक्य में गलत शब्दों के ऊपर बल देने से उत्पन्न होने वाला दोष। जैसे ; `तुम अपने पड़ोसी के विरूद्ध झूठी गवाही नहीं दोगे`, इस वाक्य में `पड़ोसी` के ऊपर जोर देने से यह अर्थ निकलता है कि जो पड़ोसी नहीं है उसके विरूद्ध झूठी गवाही दी जा सकती है, जो की मूल वाक्य की दोषपूर्ण व्याख्या होगी।

Fallacy Of Accident
उपलक्षण-दोष, उपाधि-दोष यह दोष तब होता है जब किसी सामान्य रूप से सत्य कथन को किन्हीं आकस्मिक या विशिष्ट परिस्थितियों में भी सत्य मान लिया जाता है। उदाहरण : पानी तरल होता है; बर्ष पानी है; इसलिए बर्फ तरल है। [`fallacy of converse accident` से भेद करने के लिए इसे `direct fallacy of accident` भी कहते है।]

Fallacy Of Affirming The Consequent
फलवाक्य-विधान-दोष पक्ष-आधारवाक्य में फलवाक्य का विधान करके निष्कर्ष में हेतुवाक्य का विधान करने का दोष। जैसे : `यदि अ है तो ब है; ब है अतः अ है, 'या' यदि कोई राजस्थानी है तो वह भारतीय है; अप्पास्वामी भारतीय है इसीलिए वह राजस्थानी है`।

Fallacy Of Ambiguous Major
द्वयर्थक-साध्य-दोष, संदिग्ध साध्य-दोष साध्य-पद की द्वयर्थकता से युक्ति में उत्पन्न होने वाला दोष। उदाहरण : कन्नोज में रहने वाले कनौजिया हैं; रामसिंह क्षत्री कन्नौज का रहने वाला है; अतः रामसिंह क्षत्री कनौजिया (ब्राह्मण) है।

Fallacy Of Ambiguous Middle
द्वयर्थक-हेतु-दोष, संदिग्ध हेतु-दोष हेतु-पद की द्वयर्थकता से युक्ति में उत्पन्न होने वाला दोष। उदाहरण : सभी द्विज जनेऊ पहनते हैं; सभी पक्षी द्विज हैं; अतः, सभी पक्षी जनेऊ पहनते हैं।

Fallacy Of Ambiguous Minor
द्वयर्थक-पक्ष-दोष, संदिग्ध पक्ष-दोष पक्ष-पद की द्वयर्थकता से युक्ति में उत्पन्न होने वाला दोष। उदाहरण : सभी जलाशय मछलियों के निवास हैं; चश्मा जलाशय है; अतः चश्मा (पहनने का) मछलियों का निवास है।

Fallacy Of Amphiboly (Or Amphilology)
वाक्यछल दोष वह दोष जो किसी शब्द की अनेकार्थकता से नहीं बल्कि वाक्य की भ्रामक रचना के कारण उसमें अनेकार्थकता आने से पैदा होता है। जैसे : `मैं स्वयं को साथियों से भिन्न दिखाने के लिए ऐसे कपड़े नहीं पहनूँगा।`

Fallacy Of Begging The Question
आत्माश्रय दोष देखिए `fallacy of petitio principii`।

Fallacy Of Category Mixing
कोटि-संकरण-दोष एक दोष जो किसी युक्ति में तब पैदा होता है जब उसमें एक कोटि के शब्द को ज्ञात अथवा अज्ञात रूप में एक भिन्न कोटि के शब्द की तरह इस्तेमाल किया गया होता है, अर्थात् जब उसमें एक शब्द कोटि-परिवर्तन के कारण अर्थहीन हो जाता है। उदाहरण : मैं काल की गति को नहीं रोक सकता, अतः मैं बलवान नहीं हूँ। (यहाँ काल को मोटर जैसी गतिमान् वस्तु के रूप में लिया गया है जो कि एक भिन्न कोटि की वस्तु है।)

Fallacy Of Circular Argument
चक्रक-युक्ति दोष आत्माश्रय-दोष का एक जटिल रूप जिसमें एक प्रतिज्ञप्ति एक अन्य प्रतिज्ञप्ति के द्वारा सिद्ध की जाती है और फिर इस अन्य प्रतिज्ञप्ति को सिद्ध करने के लिए पिछली प्रतिज्ञप्ति को आधार बनाया जाता है। उदाहरण :` ईश्वर है क्योंकि धर्मग्रंथ ऐसा कहते हैं।` `पर धर्मग्रंथों की बात क्यों मानी जाए?` `इसलिए कि वे ईश्वर के वचन हैं।`


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