व्यावर्तक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें विधेय का उद्देश्य के लिए अनन्य रूप से प्रयोग हो। जिस वाक्य में 'केवल' या '.......... के अलावा कोई नहीं' आदि शब्दों का प्रयोग होता है वह ऐसी प्रतिज्ञप्ति को प्रकट करता है।
उदाहरण : 'केवल भक्त ही मुक्ति के अधिकारी है', 'राम के अलावा कोई अन्दर नहीं जा सकता' इत्यादि।
Exegesis
शास्त्रतात्पर्य-निरूपण
किसी भी ग्रंथ के अर्थ का निर्णय करना। विशेष रूप से, किसी धर्मग्रंथ के अर्थ का निश्चय करना।
Exemplarism
प्रतिमानवाद
वह सिद्धांत कि ईश्वर के मन में रहने वाले प्रत्यय मूल हैं और इस परिच्छिन्न जगत् की वस्तुएँ उनकी प्रतिकृतियाँ (नकल) हैं।
Exemplary Cause
आदर्श-कारण
वैसा कारण जैसा प्लेटो के प्रत्यय हैं, जिनके अनुकरण पर मर्त्यलोक की वस्तुओं का निर्माण हुआ है। ईश्वरीय योजना भी इस प्रकार का कारण है क्योंकि (मध्ययुगीन दर्शन के अनुसार) विश्व की सृष्टि उसी योजना के अनुसार की गई है।
Exemplification
दृष्टान्तीकरण
किसी बात का उदाहरण या दृष्टांत देना। विशेष रूप से, भारतीय पंचावयव न्यायवाक्य में तीसरा अवयव, उदाहरण।
Exemplum
दृष्टांतकथा
किसी नैतिक शिक्षा को बल देने के लिए सुनाई गई कोई सच्ची या कल्पित कहानी, जैसी कि पंचतंत्र में मिलती है।
Exhaustive Judgement
सर्वसमावेशी निर्णय
बोसांके (Bosanquet) के अनुसार, वह निर्णय जिसका विधेय उद्देश्य के द्वारा व्यक्त वर्ग में शामिल प्रत्येक व्यष्टि पर लागू हो। जैसे : 'सभी मनुष्य मरणशील हैं'।
Exient
अतिरेकी
डिमॉर्गन की शब्दावली में, वह वर्ग जो एक अन्य वर्ग के अंशतः बाहर हो।
उदाहरण : 'कुछ क ख नहीं हैं', में क, ख की तुलना में ऐसा है।
Existence
अस्तित्व
सत्य या वास्तविक होने की अवस्था जिसमें वस्तु अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया-प्रतिक्रियाशील होती है।
Existence Theory (Of Truth)
अस्तित्व-सिद्धांत (सत्यता का)
प्लेटो के 'सोफिस्ट' में सत्यता का एक वैकल्पिक सिद्धांत जिसके अनुसार सत्य विश्वास वह है जिसका विषय कोई अस्तित्व रखने वाली वस्तु होता है और मिथ्या वह है जिसका विषय कोई अस्तित्व न रखने वाली वस्तु होता है।