ज्ञान-वस्तु, ज्ञान-विषय
वह वस्तु जो ज्ञान-क्रिया का कर्म अथवा विषय होती है। ज्ञान का विषय वास्तविक एवं अवास्तविक दोनों ही हो सकता है।
Epistemological Realism
ज्ञानमीमांसीय यथार्थवाद
वह सिद्धांत कि प्रत्यक्ष इत्यादि में जिस वस्तु का ज्ञान होता है उसका अस्तित्व ज्ञाता के मन से स्वतन्त्र और बाह्य होता है।
Epistemology
ज्ञानमीमांसा
दर्शन की वह शाखा जो ज्ञान की उत्पत्ति, संरचना, प्रणालियों, सीमा तथा सत्यता और उसकी कसौटियों का विवेचन करती है।
Episyllogism
उत्तर-न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका आधारवाक्य (प्रायः एक) किसी अन्य न्यायवाक्य का निष्कर्ष होता है। (वह अन्य न्यायवाक्य इसकी तुलना में पूर्व-न्यायवाक्य (pro-syllogism) कहलाता है)।
Epochalism
कालाणुवाद
ह्वाइटहेड के अनुसार, वह मत कि काल एक अविच्छिन्न सत्ता नहीं, बल्कि अणुवत् इकाइयों का समूह है।
Epoche
कोष्ठकीकरण
मनोवैज्ञानिक, मूर्तिकल्पी एवं अतींद्रिय अपचयन के उपरान्त जो वस्तुनिष्ठ तत्त्व शेष रहता है, उस पर ध्यान केन्द्रित करना, क्योंकि हुसर्ल के अनुसार यही दर्शनशास्त्र का प्रमुख विषय है।
E' - Proposition
ए'- प्रतिज्ञप्ति
सर्वव्यापी निषेधक प्रतिज्ञप्ति (जैसे : ' कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है') का प्रतीकात्मक नाम।
Equalitarianism
समतावाद
वह मत कि सभी मनुष्य राजनीतिक या सामाजिक दृष्टि से समान हैं।
Equanimity
समचित्तता
अनुकूल और प्रतिकूल हर प्रकार की परिस्थिति में मन के शांत बने रहने की अवस्था।