भावव्यंजक अर्थ, अभिव्यंजक अर्थ
किसी पद या वाक्य का वह अर्थ जो किसी वस्तुस्थिति को नहीं बताता बल्कि वक्ता के मन की अवस्था या उसके भाव या संवेग को व्यक्त करता है।
Extension
वस्त्वर्थ
तर्कशास्त्र में, वे सभी वस्तुएँ जो किसी पद के अंतर्गत आती हैं, अर्थात् जिन पर वह पद लागू होता है या जिनका वह नाम होता है।
Extensive Abstraction
विस्तारी अपाकर्षण
ह्वाइटहेड (Whitehead) के द्वारा बिंदु, रेखा इत्यादि गणितीय संप्रत्ययों को संवेद्य वस्तुओं से जोड़ने के लिए अपनाई गई एक प्रणाली।
जैसे : इसके द्वारा हम एक वृत के अंदर दूसरे वृत की कल्पना करते हुए उत्तरोत्तर अधिक छोटे वृत में पहुँचते जाते हैं और इस तरह बिंदु का संप्रत्यय हमारे लिए बोधगम्य हो जाता है।
Extensive Quality
विस्तारशील गुण
वह गुण जिसकी मात्रा को संख्या के द्वारा सही-सही बताया जा सकता हो। जैसे : भार, लम्बाई इत्यादि। कोहेन और नेगेल के 'तर्कशास्त्र' में इसका 'intensive quality' से भेद किया गया है, जिसकी न्यूनता या अधिकता तो बताई जा 'सकती है परंतु कितनी ?' का सही-सही उत्तर नहीं दिया जा सकता।
Exterroity
बाह्यता
विशेष रूप से ज्ञाता के मन से बाहर होने का गुण।
Externalism
बाह्यादानवाद
शिक्षा-दर्शन में, वह सिद्धांत कि मनस् प्रारम्भ में बिल्कुल कोरा होता है और फलतः बाहर से वस्तुओं को ग्रहण करके ही उसका विकास होता है। देखिये `tabula-rasa`
Externalization
बाह्यीकरण
ज्ञानमीमांसा का वह सिद्धांत जिसके अनुसार बाह्य वस्तुएँ आन्तरिक संस्कारों की ही बाह्य अभिव्यक्तियाँ है। उदाहरण के लिए भारतीय दर्शन में बौद्ध दर्शन का योगाचार विज्ञानवाद।
External Law
बाह्य नियम
वह नियम जो व्यक्ति की अंतरात्मा का अपना नहीं होता बल्कि किसी बाह्य शक्ति के द्वारा उस पर आरोपित किया (थोपा) जाता है।
External Sanction
बाह्य अनुशास्ति
वे बाहरी शक्तियाँ जो व्यक्ति को नीतिनिष्ठ बनाती हैं अर्थात् उसे नैतिकता के मार्ग पर आरूढ़ करती हैं। जैसे : दंड का भय, ईश्वर का भय इत्यादि।
(Theory Of) External Relations
बाह्य-संबंध-सिद्धांत
नव्य-यथार्थवादियों का वह मत कि संबंध संबंधित पदों से स्वतंत्र होते हैं, अर्थात् वे जिन वस्तुओं को जोड़ते हैं उनके स्वरूप को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करते।