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Definitional Dictionary of Archaeology (English-Hindi)
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बाण ऋजुक, शर ऋजुक तीर के दंड को सीधा करने की नवपाषाणकालीन युक्ति। इसके अनुसार बाण के टेढे दंड को अस्थि, काष्ठ या शृंग में बने छिद्र के अंदर डाल तथा आँच से तपाकर सीधा किया जाता था।

artifact (=artefact)
हस्तकृति, मानवकृति प्राचीन मानव द्वारा गढ़े हुए अथवा अपरिष्कृत पत्थर आदि के बने औजार, हथियार या मिट्टी के पात्र आदि।

art mobilier
सुवाह्य कला पुरापाषाणकालीन खुले स्थलों, गुफाओं तथा शैलाश्रयों मे प्राप्त वे लघु मूर्तियाँ, अलंकरण सामग्री, पट्ट, अलंकृत बल्लम और अस्थि उपकरण आदि, जिन्हे एक स्थान से दूसरे स्थान तक सरलता से स्थानांतरित किया जा सकता हो। प्रायः पुरातात्विक स्तरों से प्राप्त इन कला-अवशेषों को लगभग ई. पू. 35,000 तथा ई. पू. 10,000 के बीच आँका गया है।

art-treasure
कलात्मक निधि, बहुमूल्य कलाकृति कला या सौंदर्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण कलाकृति। भारत सरकार के 'पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972' के अनुसार कम-से-कम 75 वर्षों से विद्यमान ऐतिहासिक अथवा कलात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण पांडुलिपी, अभिलेख या दस्तावेज आदि इसी कोटि में रखे गए हैं।

Aryan Civilisation
आर्य सभ्यता ऋग्वेद में उल्लिखित आर्य-सभ्यता। आर्य ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि में ईरान तथा पश्चिमी भारत में विद्यमान थे। इनकी भाषा प्राचीन संस्कृत थी, जो वेदों में मिलती है। इनकी सभ्यता को जानने का मुख्य स्रोत वैदिक साहित्य है। आर्यों का राजनीतिक संगठन, विकास की प्रारंभिक अवस्था में रहा। सभा और समिति नाम की इनकी दो प्रमुख संस्थाएं थी। इनका सैनिक संगठन और न्याय-प्रबंध व्यवस्थित था। परिवार व्यवस्था पितृ-सत्तात्मक थी और समाज वर्ण-व्यवस्था पर आधारित था। इनमें सामाजिक नियमों का विकास भी हो चुका था। इनकी सभ्यता ग्रामीण थी। इनका प्रमुख उद्योग कृषि तथा पशुपालन था। साहित्यिक क्षेत्र में, इन्होंने अभूतपूर्व दक्षता प्राप्त की। साहित्यिक क्षेत्रों, विशेषतया अभिव्यक्ति की सार्थकता और भावाभिव्यंजन में इन्होंने अभूतपूर्व दक्षता प्राप्त की थी।

aryballus
सुराही अरिबेलस प्राचीन यूनानी लोगों द्वारा तेल, मरहम इत्यादि रखने का अलंकृत पात्र। इस पात्र की ग्रीवा छोटी और उसके नीचे का भाग गोल है। पात्र को पकड़ने के लिए एक हत्था भी बना होता है। इंका लोगों ने भी इस प्रकार के मृद्भांड बनाए, जो विशाल मर्तबान के रूप में हैं। इसका आधार शंक्वाकार तथा ग्रीवा लंबी एवं संकरी होती थी। इंका लोग इसे पीठ पर रस्सी की सहायता से बांधते थे।

ash mound
भस्म टीला, राख टीला दक्षिण भारतीय नवपाषाणकालीन संस्कृति के प्रारंभिक चरण (ई. पू. 3000 -- ई. पू. 2000) से सम्बद्ध राख के टीले, जो गाय-बैल, बकरी तथा भेड़ के बड़ी संख्या में पाले जाने के द्योतक हैं। समझा जाता है कि गोबर के ढेर को समय-समय पर जलाने के परिणामस्वरूप निर्मित राख के टीलों के स्थल वास्तव में, मवेशियों के बांधने के प्राचीन स्थान हैं। इनके प्रमाण मुख्य रूप से कर्नाटक राज्य के उतनूर, कुपगल तथा कोडेकल स्थलों से प्राप्त हुए हैं।

askos
एस्कोस बतख की आकृति से मिलता-जुलता एक हत्थेवाला टेढ़े-मेढ़े आकार का पात्र, जिसका मुख, केन्द्र स्थल से हट कर अलग बना होता था। इस प्रकार के पात्र इजियन क्षेत्र में, प्रारंभिक हेलाडिक काल से श्रेण्यकाल (क्लासिकी युग) तक प्रयोग में लाए जाते थे। समय-समय पर हुए उत्खनन कार्यों से अन्य स्थानों में इस प्रकार के पात्रों का प्रयोग और प्रचलन मिलता हैं।

assemblage
समुच्चय एक ही स्थान से एक साथ प्राप्त विविध पुरातात्विक वस्तुओं (यथा उपकरण, मृद्भांड, शस्त्र, आभूषण आदि) का समूह जिसे सामान्यतः एक ही सांस्कृतिक वर्ग के लोगों की कृति माना जाता है। यह समुच्चय एक ही प्रकार की वस्तुओं का भी हो सकता है। यदि एक ही प्रकार की विशिष्ट वस्तुएँ अनेक स्थलों में मिलती हैं तो वे प्रायः एक ही संस्कृति की विशिष्टताएँ मानी जाती हैं।

association
साहचर्य एक ही पुरातात्विक संदर्भ में वस्तुओं या उपकरणों का साथ-साथ पाया जाना। इसके महत्वपूर्ण नमूने भारतीय महाश्म-शवाधानों, भवन की नीवों, निधियों तथा सभ्यता के ध्वंसावशेषों में प्राप्त होते हैं।


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