बसारबी संस्कृति
रूमानिया के विस्तृत क्षेत्र में फैली वह प्रसिद्ध लौहयुगीन संस्कृति जिसके अवशेष, तत्कालीन कब्रिस्तानों और आवास-स्थलों में मिले हैं। इस संस्कृति के प्ररूप-स्थल (type site) डेन्यूब में विद्यमान हैं, जिनका काल ई. पू. 800-650 माना गया है। यह संस्कृति हाल्स्टाट संस्कृति का स्थानीय रूप है।
base
आधार, पीठ
किसी वास्तु या मूर्ति संरचना का निचला भाग, जो उसका अवलंब हो। इसे आलंबक भी कहा जाता है।
basilica
बैसिलिका, सभागार
मूलतः रोमनकालीन विशालद्वयस्र या वृत्ताकार सभागार जिसके दोनों या चारों और स्तंभ-युक्त पार्श्व-विथियाँ बनी हों। ऐसी संरचना प्रशासनिक कार्यों के प्रयोग में लाई जाती थीं।
basin
1. द्रोणी
जल रखने का पात्र।
2. पात्र
खूला वलयाकार पात्र या ऐसी रकाबी, जिसके किनारे ढलवाँ या वक्राकार हों और जिसकी गहराई की अपेक्षा चौड़ाई अधिक हो। हाथ मुँह धोने के लिए प्रायः इस प्रकार के पात्र प्रयोग मे लाए जाते थे।
Basketmaker
करंडसाज़
दक्षिण पश्चिम अमरीका की टोकरी बनाने वालों की एक संस्कृति। ई. 1927 के पिकास सम्मेलन में इस संस्कृति की तीन प्रावस्थाएँ मानी हैं। प्रथम प्रावस्था अस्पष्ट है। दूसरी प्रावस्था का काल लगभग ई. 1 से ई. 450 निर्धारित किया गया और तीसरी का ई. 450 से ई. 700 अथवा ई. 750 निर्धारित किया गया। दूसरी प्रावस्था में मक्के की खेती तथा अपरिष्कृत मृद्भांडों का निर्माण और तीसरी में स्थायी रूप से गर्त-निवास इस संस्कृति की प्रमुख विशेषता थी।
bas-relief (basso-relievo)
निम्नउद्भृत
तराश कर बनाई गई कम उभारवाली आकृतियाँ और नक्काशी। ऐसी नक्काशी किसी भी माध्यम जैसे, काष्ठ, पाषाण, धातु आदि में की जा सकती है।
baton de commandement
शृंगवेत्र, शृंगदंड
पश्चिमी यूरोप में उत्तर-पुरापाषाणकालीन संस्कृतियों के अवशेषों में प्राप्त रेंडियर-शृंग का बना आदिम उपकरण। इसका प्रयोग अभी तक अज्ञात है। इसका आकार-प्रकार दंड की तरह होता था। इसके शीर्ष के स्थूल भाग में एक छिद्र बना होता था। इस प्रकार के शृंगदंड के सुन्दरतम नमूने मग्दाली संस्कृतिकालीन उपकरणों में मिले हैं। इसके प्राचीनतम नमूने आज से 30,000 वर्ष पूर्व अरिग्नेसी संस्कृति के हैं।
battered backed blade
निप्रवण फलक
नीचे से चौड़ी और ऊपर से पतले विशिष्ट फलक।
battle-axe
1. युद्ध-कुठार
युद्ध में प्रयुक्त एक विशिष्ट आयुध जिसकी धार का पृष्ठ भाग हथौड़ेनुमा होता था, जिसमें काष्ठ या धातु-दंड फँसाने के लिए छिद्र होता था। यूरोप में उत्तर-पाषाण काल तथा ताम्र-युग में यह अधिक प्रचलित था। इस प्रकार के परशु बाद में, धातुओं के, विशेषकर ताम्र तथा लोहे के बनाए जाने लगे। भारत में, प्राचीन काल के अंत तक इसका प्रचलन रहा।
2. फरसा, परशु
कुल्हाड़ी के आकार का, परन्तु उससे कुछ बड़ा और चपटा अस्त्र जिसे प्राचीन काल में योद्धा धारण करते थे। परशु धारण करने वाले योद्धा को 'परशुधर' कहा जाता था।
BC
(1) ईसा पूर्व, ई. पू.
ईसा के जन्म से पहले की घटनाओं की गणना करने के लिए ई. पू. का प्रयोग किया जाता है।
(2) अंशशोधित तिथि, BC
अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षरों में लिखा गया (BC) किसी वस्तु या संस्कृति की अंशशोधित रेडियो कार्बन तिथि अथवा इतिहास सम्मत तिथि का द्योतक।