logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Definitional Dictionary of Archaeology (English-Hindi)
A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z

obelisk
सूच्याकार स्तंभ चौकोर शुंडाकार खंभा, जिसका शीर्ष भाग पिरामिड की तरह होता है। प्राचीन मिस्री लोग कदाचित इसे धार्मिक प्रयोजनों या अलंकरण हेतु बनाते रहे होंगे। यह प्रायः एक ही विशाल पत्थर से बना होता था जिनपर चित्रलेख भी अंकित किए जाते थे। इसी प्रकार के युग्म स्तंभ हेलियोपोलिस तथा करनक में विद्यमान हैं जिन्हें सूर्य-पूजा के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया जाता है।

object card
वस्तु-पत्रक पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त-स्थल, स्तर विवरण, प्राप्ति-तिथि, सामग्री तथा माप आदि का विस्तृत लेखा-जोखा रखने के लिए बनाया गया चिट्ठा। संख्यांकित पत्रक में, प्राप्त वस्तु का संख्यांकन कर तत्संबंधी विस्तृत सूचना लिपिबद्ध की जाती है। पुरातत्ववेत्ता प्राप्त वस्तुओं का क्रमबद्ध अध्ययन करते समय अपेक्षीत जानकारी, वस्तु-पत्रक में उल्लिखित विस्तृत विवरण से प्राप्त करता है। सामान्यतः यह पत्रक इस प्रकार बनाया जाता है :- क्रमांक तिथि स्थिति स्तर-विवरण माप वस्तु या सामग्री टिप्पणी

oblates
लध्वक्ष उपकरण निम्न पूर्वपाषाणकालीन समतल बटिकाश्म उपकरण, जो अंडाकार बटिकाश्म उपकरणों की अपेक्षा पतले, समतल तथा चपटे किनारों वाले होते हैं। इन उपकरणों का निर्माण एकपक्षीय फलकीकरण (unifacial flaking) द्वारा किया जाता था। बटिकाश्मों के अपेक्षाकृत पतले होने के कारण फलक नीचे के चौरस तल से उपर की ओर बहुत संकरा कोण बनाते हुए निकाले जाते हैं। लध्वक्ष उपकरण दो प्रकार के होते हैं :- (i) उत्तल कार्यांग लध्वक्ष (convex oblate) (ii) नुकीला कार्यांग लध्वक्ष (pointed oblate)

obliquely retouched point
तिर्यक परिष्कृत बेधनी प्रागैतिहासिक पाषाण वेधनी का एक प्रकार। इस वेधनी के फलक संकरे, तिरछे और कुंठित (blunt) होते हैं जिनमें एक ओर नोक बनाने के लिए तिरछी दिशा में परिष्करण किया जाता है, जो बाएँ या दाएँ किसी भी ओर हो सकता है।

obsidian
आब्सीडी एक ज्वालामुखीय अल्प पारदर्शी काँच, जो सामान्यतः काला और पट्टित होता है। इसका उपयोग प्रागैतिहासिक काल में उपकरण निर्माण के लिए होता था।

Obsidian hydration dating
आब्सीडी जलयोजन काल-निर्धारण आब्सीडी उपकरणों के काल-निर्धारण की एक प्रणाली। शल्कन के अपरांत जब आब्सीडी की एक नई सतह अनावृत होती है तो अंतः जलप्रवाह के कारण उसमें धीरे-धीरे कुछ रासायनिक परिवर्तन होगे लगते हैं। जलयोजन की दर, तापमान और आब्सीडी के रासायनिक संघटन द्वारा नियंत्रित होती है। यदि जलयोजन की दर ज्ञात हो तो जलयोजित स्तर की मोटाई के आधार पर उसकी तिथि जानी जा सकती है। हर क्षेत्र की जलयोजन दर जानने के बाद उसका अंशशोधन विखंडन पथ-तैथिकी (fission Track Dating) द्वारा किया जा सकता है। इस विधि द्वारा अभी तक लगभग ई. पू. 25000 तक की तिथि जापान में मापी जा सकी है ।

ochre
गैरिक, गेरू मटियारा और आमतौर पर लाल या पीले रंग का अशुद्ध लोह अयस्क जो वर्णक (pigment) के रूप में व्यापक रूप में प्रयुक्त होता है। गेरूए प्राकृतिक रंगों का प्रयोग प्रागैतिहासिक गुफा-चित्रों तथा वैयक्तिक अलंकरण में मिलता है। पाषाण काल में इन रंगों से मृत शरीर को भी रंगा जाता था।

ochre coloured pottery (=O.C.P.)
गैरिक मृद्भांड गेरूए रंग के मिट्टी के बर्तन। मुख्यतः गंगा-जमुना घाटी में प्राप्त ये मोटे भांड प्रायः जर्जर अवस्था में मिले हैं। प्रो. लाल यह मानते हैं कि ये मृद्भांड काफी समय तक जलमग्न रहे होंगे। इसी आस्था पर बी. बी. लाल इस मृद्भांड संस्कृति के विनाश के कारण जलप्लावन मानते हैं। अब तक अनेक महत्वपूर्ण पुरास्थलों से उत्खनन के फलस्वरूप ये मृद्भांड निश्चित स्तरों में प्राप्त हो चुके हैं। प्रमुख पुरास्थलों में बहादराबाद (हरिद्वार), आम्बखेडी (सहारनपुर), अत्रंजीखेड़ा (एटा), लालकिला (बुलन्दशहर) और सैवाई (इटावा) हैं। प्रमुख पात्र-प्रकारों में भंडारण जार, मटके, द्रोणी, कटोरे, ढक्कन, साधार तश्तरियाँ आदि हैं। सैवाई में इसके साथ-साथ ताम्रनिधि उपकरण (कांटेदार भाला) भी मिला है जिससे इस ताम्रनिधि संस्कृति से पूर्वकथित संबंध स्पष्टतया प्रमाणित हो गया। लालकिला के उत्खनन् में प्राप्त पूर्णरूपेण सुरक्षित लाल भांडों के मिलने से यह भी पूर्वकल्पना, विकसित ताम्रऔद्योगिकी से परिचित लोग निम्नकोटि के गेरूए भांड निर्मित करते थे, असत्य सिद्ध हुई। शृंगवेरपुर से भी उत्कृष्ट लाल रंग के भांड मिले हैं। उत्खनन् से प्राप्त इन भांडों के साथ अन्य अवशेषों से अब हमें यह ज्ञात है कि ये न केवल ताम्र उपकरणों के निर्माता ही थे अपितु कच्ची-पकी ईंटों के मकानों का निर्माण करते थे (लालकिला) तथा चावल और जौ की खेती भी करते थे (लालकिला, अंत्रजीखेड़ा)। अंत्रजीखेड़ा, लालकिला, झिनझिना तथा नसीरपुर से प्राप्त इस मृद्भांड की जो तिथियाँ आक्सफोर्ड के पुरातत्व अनुसंधान प्रयोगशाला से उष्मादीप्ति विधि द्वारा प्राप्त हुई हैं वह इसे ई. पू. 2600 से ई. पू. 1200 के मध्य निश्चित करती हैं।

oculus
नेत्राकृति अलंकरण एक अलंकरण अभिप्राय जिसमें दो वृत्तों अथवा कुंडलो को संयुक्त कर आँख की तरह की आकृति निर्मित है। यह अलंकरण अभिप्राय ई. पू. तृतीय सहस्राब्दी में पश्चिमी यूरोप में बहुप्रचलित था।

Odderade interstadial
ओडिरेड उपअंतर /हिमानी वाइशेलियन शीत काल की उप-अंतराहिमानी अवस्था। इसकी अधिकतम शोधित रेडियोकार्बन तिथि लगभग 58,000 वo पूo (वर्ष पूर्व) आँकी गई है।


logo