लहरियादार-मृद्भांड
वे मिट्टी के बर्तन, जिनमें अलंकरण के लिए तरंगाकार रेखाएँ बनाई जाती थी।
weathering
अपक्षय, अपक्षयण
रासायनिक प्रक्रिया, जलवायु-परिवर्तन, धूप तथा समय के प्रभाव के परिणामस्वरूप हुआ क्षय या विघटन। विघटन की स्थिति से उस वस्तु अथवा वास्तु की प्राचीनता का अनुमान किया जा सकता है।
Wessex culture
वेसेक्स संस्कृति
दक्षिणी इंग्लैंड के प्रारंभिक कांस्य युग की संस्कृति, जिसका ज्ञान उत्खनन के परिणामस्वरूप अनावृत हुए लगभग 100 शवाधानों से हुआ है। इस संस्कृति की दो प्रावस्थाएँ हैं, जिनका काल ई. पू. 1650 से ई. पू. 1400 तक माना जाता है। इस सभ्यता के लोग तांबे तथा कांसे के उपकरणों का प्रयोग करते थे। इन लोगों का निकटवर्ती अनेक देशों से व्यापारिक संबंध रहा होगा, क्योंकि शव-पेटिकाओं में दूसरे स्थानों की अनेक वस्तुएँ रखी मिली हैं। यूनान की माइसिनी तथा क्रीट की सभ्यताओं के साथ इनका संबंध ऐंबर की बनी प्राप्त वस्तुओं के आधार पर प्रमाणित होता है। इन समृद्ध शवाधानों में तांबे और कांसे के अतिरिक्त सोने और चाँदी की बनी वस्तुएँ ऐंबर, फायन्स, शैल तथा अस्थि निर्मित वस्तुएँ भी प्राप्त हुई हैं। इनमें प्राप्त विशिष्ट प्रकार के मृद्भांड इंग्लैंड की देशज विशिष्टता हैं।
wheel
चक्र,पहिया
गोल आकार की ऐसी वस्तु, जो अपनी धुरी पर घूमती हो अथवा धूमने के लिए बनी हो, जैसे- मिट्टी के बर्तनों को बनाने के काम में प्रयुक्त चाक, किसी गाड़ी का पहिया या आटा पीसने की चक्की।
प्राचीन मानव के द्वारा आविष्कृत प्रमुख वस्तुओं में चाक भी एक था। कहा जाता है कि लगभग ई. पू. 3400 में, मेसोपोतामिया में, मिट्टी के बर्तन बनाने के चाक का अन्वेषण हो चुका था। उर के शाही ध्वज में चाक की आकृति अंकित की गई थी।
चाक प्रायः ठोस होते थे और एक ही लकड़ी के बने होते थे। मिस्र में इनका प्रयोग हिक्सास (लगभग ई. पू. 1640-ई. पू. 1570) लोगों ने किया था। पहिए के अन्वेषण के फलस्वरूप हल्के और कम भारवाले युद्ध-रथों का आविष्कार हुआ। यह माना जाता है कि चाक और पहिए का प्रयोग सिंधु नदी की घाटी में पल्लवित सभ्यता में हो चुका था। मिनोआई, चीन की अन्यांग अनेक सभ्यताओं में भी चाक एवं चक्र का प्रयोग मिलता है।
चक्र के आविष्कार के साथ ही मानव सभ्यता में एक क्रांतिकारी परिवर्तन दिखाई पड़ने लगता है। यातायात की गति में तीव्रता आने से व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ गई तथा विभिन्न संस्कृतियों का पारस्परिक संबंध भी बढ़ा। घूर्णन गतिक प्रविधि का उपयोग मानव समाज के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी सिद्ध हुआ, यथा- पात्रों का निर्माण अनाज पीसने की चक्की आदि।
willow leaf point
विलो पत्राकार वेधनी
उत्तर-पूर्व पाषाणकालीन लंबा त्रिकोणाकार नोकदार उपकरण। यूरोप के विलो वृक्ष की पत्तियों से इसका आकार काफी मिलता है- इसीलिए इसका यह नामकरण हुआ।
यह वेधनी आकार तथा निर्माण प्रविधि की दृष्टि से भिन्न है। इस उपकरण का निर्माण फलक के एक सतह से शल्क लिकाल कर किया जाता है जबकि लारेल पत्राकार वेधनी में शल्क दोनों सतहों से निकाले जाते हैं। इस वेधनी की दूसरी सतह समतल होती है और उस पर किसी प्रकार का फलकीकरण नहीं किया जाता था। यह यूरोप की सोल्यूत्री संस्कृति का विशिष्ट उपकरण है।