1. अधिक पीतक वाले अंडों में विदलन के फलस्वरुप बनने वाली कोशिकाओं का सतही आस्तर या आवरण। कशेरुकियों (जैसे मुर्गी) के अंडों में यह पीतक ध्रुव की तरफ कोशिकाओं की चपटी बिंब होती है। कीटों के अंडों में यह ऐसी कोशिकाओं का स्तर होती है जो पीतक के चारों तरफ रहता है।
2. कंदुकन से पहले कोरक की कोशिकाओं का पृष्ठीय स्तर। जब काफ़ी संख्या में विदलन कोशिकाएँ बन जाती हैं, तब उनमें से अधिकतर अंडे के परिसरीय भाग में चली जाती हैं और वहाँ सतत कोशिकीय स्तर अतवा पीतक के चारों और घेरने वाले कोरक चर्म को बनाने के लिए परिद्रव्य (periplasm) के साथ समाविष्ट हो जाती हैं।
Blastokinesis
कोरक-गतिक्रम
अधिक पीतकयुक्त अंडों में बढ़ते हुए भ्रूण की गति, जिससे शरीर का आंशिक घूर्णन हो जाता है; जैसे कुछ कीटों व सेफ़ैलोपॉड प्राणियों में।
Blastomere
कोरकखंड, ब्लास्टोमियर
निषेचित अंडों में विदलन की क्रिया के फलस्वरुप बनने वाली कोशिकाओं में से एक।
Blastopore
कोरकरंध्र, ब्लास्टोपोर
कंदुक (गैस्ट्रुला) अवस्था में भ्रूण की सतह पर पाए जाने वाला अस्थाई रंध्र, जिसके द्वारा आंतरिक गुहा अर्थात् आद्रयंत्र (आर्केन्टेरोन) बाहर को खुलती है।
Blastostyle
कोरकस्तंभ
कुछ सीलेन्टेरेट प्राणियों में खोखले दंड-जैसी संरचना वाला जीवक (zooid) जिससे मेड्यूसाभ मुकुल उत्पन्न होता है।
Blastula
कोरक, ब्लैस्टुला
भ्रूण परिवर्धन में गैस्ट्रुला से पहले की अवसथा। यह प्राय: कोशिकाओं के स्तर से बनी खोखली गेंद-जैसी संरचना होती है। कोरक दो प्रकार के होते हैः एक भीतर गुहा वाला (सीलोब्लैस्टुला) और दूसरा गुहारहित या ठोस (स्टीरिओ ब्लैस्टुला)।
Blepharoplast
ब्लैफैरोप्लास्ट
सुकेंद्रकी प्राणियों के पक्ष्माभों और कशाभिकाओं के अक्ष सूत्र के आधार पर स्थित बेलनाकार संरचना जो सूक्ष्मनलिकाओं से बनी होती है। यह संरचना अक्षसूत्र की सूक्ष्मनलिकाओं के एकत्रण और विन्यास का संचालन करती है।
Blind spot (eye)
अधबिंदु
कशेरुकी आँख में प्रकाश के प्रति असंवेदी दृष्टिपटल का भाग, जहाँ पर दृक् तंत्रिका प्रवेश करती है।
Blister beetle
फफोला भृंग
तेल भृंग के नाम से प्रसिद्ध इस भृंग से एक तरल पदार्थ निकलता है जिसका प्रमुख घटक कैन्थेरिडिन है। इस तरल में उत्तेजक गुण होता है और मानव शरीर यदि इसके संपर्क में आए तो छाले पड़ जोते हैं। उदाहरण-माइलेब्रिस जाति और एपीकोंटा।
Blood
रुधिर, रक्त
प्राणियों की वाहिकाओं और कोटरों में बहने वाला तरल संयोजी ऊतक, जो पोषण पदार्थ, ऑक्सीजन, हॉरमोन आदि पदार्थों को शरीर के विभिन्न अंगों में तथा वर्ज्य पदार्थों को उत्सर्गी अंगों तक पहुँचाता है। इसके तरल भाग यानी प्लाज्मा में वर्णकयुक्त या वर्णकहीन अथवा दोनों प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं। कशेरुकियों का रुधिर हीमोग्लोबिन नामक श्वसन-वर्णक के कारण लाल होता है किंतु क्रस्टेशिया, सेफ़ैलोपॉड आदि प्राणियों में हीमोसाएनिन नामक वर्णक के कारण रुधिर का रंग नीला होता है।