1. आहार-नाल से निकली हुई बंद सिरे वाली कोई नली या नली जैसी संरचना। स्तनियों में यह क्षुद्रांत्र और बृहदांत्र के संगम से निकलती है और इसके दूरस्थ सिरे पर कृमिरुप परिशेषिका होती है। शाकाहारी स्तनियों में अंधनाल बहुत लंबी, किंतु मांसाहारियों में या तो छोटी या फिर बिल्कुल ही नहीं होती।
2.कीटों में इनकी संख्या प्रायः 6 या कम-ज्यादा भी हो सकती है और ये मध्यांत्र के अग्रभाग से निकले रहते हैं।
Calcaneus
पार्ष्णिका, कैल्केनियस
कई कशेरुकियों में अंतःगुल्फ़िका (फ़ीब्युलेर) या एड़ी की हड्डी। पक्षियों में पश्चगुल्फ़िका (मेटाटार्सस) का एक प्रवर्ध।
Calcarea
कैल्केरिया
पोरीफेरा संघ (फाइलम) में ऐसे स्पंजों का वर्ग जिनके कंकाल में केवल कैल्शियम कार्बोनेट से बनी कंटिकाएं होती हैं। उदा. साइकॉन, एस्कॉन आदि।
Callus
कैलस
अनियंत्रित समसूत्रण के फलस्वरुप बनने वाला अविभेदित कोशिकाओं का समूह।
Calyx
चषक, केलिक्स
प्याले या कीप से मिलती-जुलती आकृति की कोई संरचना; जैसे कुछ स्तनियों में वृक्क-द्रोणि का भाग या कुछ हाइड्रोजोअनों में हाइड्रॉइड के चारों तरफ की बाह्यकंकाली संरचना।
Cambrian period
कैम्ब्रियन कल्प
पृथ्वी के ऐतिहासिक कालक्रम में कैम्ब्रियनपूर्व महाकल्प के बाद तथा आर्डोविशन कल्प से पहले 8 करोड़ वर्ष का समय। प्राणियों में इस समय तक प्रोटोजोआ, स्पंज और मोलस्क काफी विकसित हो चुके थे।
Camouflage
छद्मावरण, कैमोफ्लाज
अपनी रक्षा या पर पक्षी प्राणियों का शिकार होने से बचने के उद्धेश्य से कुछ प्राणियों में पाये जाने वाला स्वांग, छल या पर्यावरण से मिलती-जुलती आकृतति या रुप-रंग।
Campaniform
घंटीरुप
समुद्री सूत्रकृमियों में चूषक-जैसे गर्त जिसमें संवेदी कोशिका-युक्त क्यूटिकल की पतली परत निकली रहती है।
Campodeiform larva
कैम्पोडियारुप लारवा
कैम्पोडिया जैसे होने के कारण कैम्पोडियारुप डिंभक कहलाने वाले इन डिंभकों का शरीर लंबा, कुछ-कुछ तर्कुरुप, लगभग अवनमित (depressed) और प्रायः अच्छी तरह दृढ़ीकृत होता है। ये डिंभक परभक्षी होते हैं और इनमें संवेदी तंत्र भलीभांति परिवर्धित होता है। ये डिंभक न्यूरोप्टेरा, स्ट्रेप्सिप्टेरा, ट्रिकोप्टेरा और कुछ कोलियोप्टेरा (विशेषतः एडीफैगा) गणों में पाए जाते हैं।
Canal system
नाल-तंत्र
स्पंजों में ऐसी बहुत-सी नलियों या नलिकाओं का समूह, जिसके द्वारा अंतर्वाही छिद्रों का बहिर्वाही छिद्रों से संपर्क बना रहता है। इन नालों में कीपकोशिकाओं के अस्तर वाली कई गुहाएं होती हैं। नाल-तंत्र द्वारा शरीर में पानी आता-जाता रहता है और इस तरह जंतु पानी से छानकर भोज्य पदार्थ ले लेते हैं।