अति प्राचीन काल से ही ‘निरगुन’ की अपनी अलग स्थापना है। भारतीय चिन्तकों ने धर्म और दर्शन को जीवन का अभिन्न अंग मानकर पर्याप्त कार्य किया है। ब्रह्म के दो रूप भारतीय जन मानस में परिव्याप्त हैं - सगुण और निर्गुण। यही निर्गुण ब्रह्म की उपासना ही निर्गुण उपासना कहलाती है। इस सन्दर्भ में जो गीत गाये गये वे निरगुन कहलाये। ये भक्ति के गीत हैं। इनका वर्ण्य विषय- ज्ञान, वैराग्य, जप-जोग आदि हैं। इन गीतों का प्रचार-प्रसार ग्राम्यांचलों में अधिक रहा है। अवधी जनकाव्य में निरगुन गीतों की विपुल राशि है।
निरमोही बाप
यह कृष्णमणि चतुर्वेदी द्वारा सृजित अवधी उपन्यास है। यह दो खण्डों में विभक्त है। शेष विवरण अप्राप्त है।
निर्जर
निर्जर जी का पूरा नाम एवं विस्तृत विवरण प्राप्त नहीं हो सका है, किन्तु इन्होंने अवधी साहित्य को जो अपनी सेवा अर्पित की है वह स्वयं में अवधी प्रेम का प्रतीक है।
निसार (शेख)
इनका जन्म १७वीं शती में हुआ था। ये शेखपुर नामक ग्राम के निवासी थे। इनके पिता का नाम गुलाम मोहम्मद था। इन्होंने सम्वत् १७९० में ३५० युसुफ जुलेखा नामक काव्य का प्रणयन किया। युसुफ जुलेखा के अतिरिक्त मेहरनिगार, रस मनोज, दीवान आदि इनके ग्रन्थ उल्लेखनीय हैं।
नीलम बालकृष्ण
रायबरेली के निवासी अवधी साहित्य के रचनाकार हैं।
नूर मोहम्मद
इनका जन्म सं. १७७० के लगभग और मृत्यु लगभग १८३० में हुई। ये जायसी के परवर्ती हिन्दी सूफी कवि हैं। इनकी प्रेमाख्यानक काव्य कृति है - इन्द्रावती, नलदमन, अनुराग-बाँसुरी। ये कृतियाँ अवधी भाषा में सृजित हैं। इस प्रकार सन् ११५७ हि. और ११७८ हिजरी सन् के मध्य कवि ने ‘नल-दमन’ की रचना की होगी। अतएव नूर मोहम्मद का रचना काल ११०७ और ११९३ हिजरी सन् के मध्य ठहरता है। अनुराग बाँसुरी के सम्पादक डॉ. चन्दबली पाण्डेय के अनुसार इनका निवास स्थान सबरहद शाहगंज जौनपुर था। यह सबरहद गाँव जौनपुर जिले के शाहगंज तहसील में स्थित है, किन्तु यहाँ इसके पूर्व किसी नसीरुद्दीन का स्थान होने की सूचना नहीं है। श्री चन्द्रबली पाण्डेय की एक और मान्यता है कि कवि अपने अंतिम दिनों में फूलपुर, आजमगढ़ में रहने लगे थे। यहीं इनकी ससुराल थी। ये कट्टर मुसलमान तथा शिया सम्प्रदाय से सम्बद्ध थे। इन्होंने अपनी रचना में इसके पुष्ट प्रमाण प्रस्तुत किये हैं।
नेताजी कहिन
यह मनोहरश्याम जोशी कृत अवधी प्रधान उपन्यास है।
नौकरी की झाड़-झोंका
यह पं. वंशीधर शुक्ल कृत अवधी कहानी है, जिसका सृजन सन् १९५४ में हुआ था। इसका प्रकाशन ‘स्वतंत्र भारत’ दैनिक पत्र में हुआ था।
न्यू टेस्टामेंट
यह एक अनूदित कृति है। इसमें ब्रिटिश म्यूजियम रायपुर में सुरक्षित बाइबिल का अनुवाद सन् १८१८ में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें अन्य क्षेत्रीय बोलियों के साथ-साथ अवधी भाषा का पर्याप्त प्रयोग हुआ है।
पंचनामा
यह टोडरमल कृत १७वीं शती की पद्यबद्ध रचना है। इसमें अवधी का प्रारम्भिक रूप से स्पष्ट रूप से झलक उठा है।