logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Awadhi Sahitya-Kosh

Please click here to read PDF file Awadhi Sahitya-Kosh

सत्यनारायण द्विवेदी ‘श्रीश’
जन्मस्थान-सेठवा, जनपद- फैजाबाद, इन्होंने अवधी भाषा में फुटकर साहित्य सृर्जना की है। इनका कंठ बड़ा मोहक है। कविताओं में बेधक वेदना प्राप्त होती है।

सत्यनारायण मिश्र
इनका जन्म कसहर, प्रतापगढ़ में १९३६ में हुआ था। इनकी अवधी कविताओं में किसानों की समस्या, राष्ट्रीय भावनाओं का चित्रांकन बड़ा ही सटीक हुआ है।

सत्यनारायण मिश्र
इनका जन्म हिलोर, रायबरेली में १९४२ में हुआ था। ‘सायकिल चालीसा’, ‘पटवारीनामा’ इनकी हास्यरस प्रधान कृतियाँ हैं, जो अवधी में रचित हैं।

सत्यभामा मंगल
यह ब्रजनंदन सहाय द्वारा प्रणीत ग्रंथ है, जिसमें अवधी भाषा का प्रचुर मात्रा में प्रयोग हुआ है। इसका प्रणयन सन् १९९० में हुआ था।

सत्यवती कथा
यह कवि ईश्वरदास रचित प्रेमाख्यानक काव्य है, जिसका रचना-काल सन् १५०१ (सं. १५५८ वि.) है। कतिपय विद्वानों के अनुसार इसकी रचना मसनवी शैली में हुई है। कुछ इसे सामान्य प्रेम-कथा मानते हैं। सत्यवती की कथा वस्तुतः भारत की सती नारी अनुसूया, सावित्री, दमयन्ती, सीता आदि आदर्श नारियों के शील तथा सत्य निरूपण करने वाली कथा से साम्य रखती है। इस कृति की भाषा अवधी है, किन्तु इसकी भाषा का स्वरूप सूफी कवियों जैसी भाषा का (जनभाषा का) नहीं है। हिन्दू प्रेमाख्यानक कवियों ने संस्कृत का आधार लेकर तत्सम् शब्दों का प्रयोग अपनी भाषा में स्वच्छंदतापूर्वक किया है।

सदना
एक किंवदंती के अनुसार ‘सदना’ कसाई रूप में प्रसिद्ध है। इनका समय १४वीं शती का उत्तरार्द्ध माना जाता है। ‘आदि ग्रन्थ’ में इनकी रचनाएँ संगृहीत हैं, जो इनकी आध्यात्मिक शक्ति की परिचायक हैं। सदना की रचनाओं में अवधी भाषा बहुशः प्रयुक्त हुई है।

सदाशिव अवस्थी
अवस्थी ग्राम बम्हौरा जिला सीतापुर के निवासी हैं। इनका जन्म २६ अगस्त १९२० ई. को हुआ था। इनके पिता बैजनाथ अवस्थी थे। सदाशिव जी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं। इन्होंने साहित्य विभाग में नौकरी कर ली। अब सेवामुक्त होकर साहित्य साधना करते हैं। इन्होंने खड़ी बोली और अवधी दोनों में ही रचनायें की है। अवधी की इनकी पहली पुस्तक ‘किसान हितैषी’ सन् १९४० में प्रकाशित हुई। रचनाओं में प्रेरणा शक्ति है। इनकी अवधी कविताओं में राष्ट्रीय-भावना मुखाग्र हुई है। इनकी अवधी बैसवारी से प्रभावित है।

सन्तोष कुमार मिश्र ‘चक्रवाक’
इनका जन्म सन् १९५४ ई. में सीतापुर जनपद के बरगावाँ ग्राम में हुआ था। पं. कृष्णपाल मिश्र इनके पिताजी थे। इन्होंने लगभग सम्पूर्ण शिक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। संस्कृत भाषा और ज्योतिष का अच्छा ज्ञान था। ‘विरही पक्ष’, ‘सबनवाँ’, ‘पनिया भरैबे’, ‘मनई हतेउ कि देउता’ इनकी प्रसिद्ध अवधी रचनाएँ हैं।

सन्देश रासक
सन्देश रासक की रचना अदहमाण नामक कवि ने की थी, जिनका समय १३वीं शती का माना जाता है। इस सन्देश काव्य में ऋतु वर्णन तथा विरह वर्णन का विस्तृत उल्लेख है। ‘सन्देश रासक’ में अवधी के विकसित रूप के दर्शन होते है।

सबलस्याम्
ये कृष्णकाव्य परम्परा के काव्यकार हैं। इन्होंने अवधी में ‘भगवत दशम स्कंध’, की रचना करके अपनी अवधी निष्ठा अभिव्यक्त की है।


logo