इनका जन्म लम्बापुर, जिला प्रताप्रगढ़ में हुआ। आरंभिक शिक्षा प्राप्त करके ये अध्यापक नियुक्त हुए और साथ ही साहित्य क्षेत्र में भी प्रविष्ट हुए। इनकी रचनाएँ ग्रामीण व्यवस्था से जुड़ी हुई हैं। इनकी कविताओं में क्रांति का प्रखर स्वर सुनाई देता है। इनकी भाषा पूर्वी अवधी है। इनके प्रयोग परिमार्जित और परिनिष्ठ हैं।
श्रीराम सिंह ‘शील’
जन्मस्थल-रामनगर, बाराबंकी, रचना- ‘बाजी रनभेरिया।’
श्रीसीताराम श्रृंगाररस
यह अयोध्या के महंत महावीरदास ‘जनमहाराज’ द्वारा प्रणीत रचना है। इसका सृजन सन् १९१५ में हुआ था।
श्रृंगार सुमन
यह ओंकार नाथ द्वारा रचित अवधी कविताओं का एक लोकप्रिय संग्रह है। इस कृति में पूर्वी अवधी भाषा और पुरबी गीतों का एकत्र समाहार किया गया है।