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Awadhi Sahitya-Kosh

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शिवमोहन ‘भोला’ बैसवारी
सन् १९३७ में जन्मे भोला जी रामपुर के निवासी एवं अवधी साहित्यकार है।

शिवरत्न मिश्र
ये आधुनिक काल के ख्यातिप्राप्त अवधी रचनाकार हैं।

शिवरत्न शुक्ल ‘सिरस’
इनका जन्म बछरावाँ तहसील महराजगंज, जनपद रायबरेली में सं. १९३६ में हुआ था। श्री बचान आचारी इनके पिता थे। इन्होनें रेलवे विभाग में स्टेशन मास्टर के पद पर सेवा करते हुए साहित्य सेवा भी की। ये धार्मिक वृत्ति एवं आस्तिक प्रकृति के व्यक्ति थे। ये हिन्दी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेजी के अच्छे ज्ञाता थे। रचना संसार इस प्रकार है- भरत भक्ति (महाकाव्य), श्री राम तिलकोत्सव (महाकाव्य), सिरस नीति सतसई, परिहास प्रमोद (अवधी व ब्रज का मिश्रित प्रयोग), आर्य सनातनी संवाद, श्री रामायण भाष्य (किष्किन्धा काण्ड), प्रभु चरित्र, श्री रामावतार, शिवरत्न संग्रह, प्रभु प्रार्थना, स्वदेशार्थ अभ्यर्थना, भिक्षा देहि, शिवाजी (महाकाव्य), उद्धव ब्रजांगना, शांत रसालकार, विनीत विजय, राम रोचिष, परशुराम, सिरस सरोज, गीत गान, अन्योक्ति आनन्द, जयसिंह और शिवा। (पत्र व्यवहार), स्वामी विवेकानंद लेखानुवाद, शोडषाष्टक विशेष उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त ’बैसवारी बोली और उसका व्याकरण’ ‘भाषा-विज्ञान’ के क्षेत्र में सिरस जी की महत्वपूर्ण पुस्तक है। इन्होंने रामचरित मानस का महाभाष्य भी किया है, जो अभी तक अप्रकाशित है। इनका निधन २०३९ में हुआ था।

शिवलाल दुबै
दुबे जी डौडियाखेरा के निवासी भारतेन्दु युग के प्रसिद्ध अवधी साहित्यकार रहे है।

शिवलोचन
ये बनारस के निवासी एवं अल्पख्यात अवधी रचनाकार हैं।

शिव सम्पत्ति
इनका जन्म सन् १८८३ में ग्राम उदिगाँव जनपद आजमगढ़ में हुआ था। ये पं. रामनरेश त्रिपाठी के गुरू थे। इन्होंने अवधी के साथ-साथ ब्रजभाषा में भी रचनाएँ की हैं। इन्होंने नीतिपरक दोहों का सृजन किया, जिनका संकलन ‘शिवसम्पत्ति नीतिशतक’ एवं ‘नीति चंद्रिका’ में हुआ है।

शिवसिंह ‘सरोज’
जनपद बाराबंकी में जन्मे सरोज जी अधिकांशतः लखनऊ में रहते हैं। ये अवधी के उदीयमान कवि हैं। इनकी ‘पुरवाई’ शीर्षक कविता में अवधी का बड़ा सुन्दर प्रयोग हुआ है।

शिवसिंह सेंगर
सेंगर साहब कांथा के निवासी हैं, जो बैसवाड़ा क्षेत्र में स्थित है। इन्होंने अवधी भाषा के माध्यम से भी काफी सृजन किया है। इनका अवधी साहित्य अभी प्रकाशित नहीं हो पाया है।

शिवस्वरूप अग्निहोत्री
खसौरा, हरदोई के निवासी अग्निहोत्री जी उच्चकोटि के अवधी साहित्यकार हैं। इन्होंने अपनी रचनाओं में जनसामान्य की भाषा प्रयुक्त की है।

शीतल सिंह गहरवार
ये बिहार प्रदेश के गया क्षेत्र के निवासी एवं अवधी प्रेमी साहित्यकार रहे हैं। इन्होंने श्रीरामचरितमानस की तर्ज पर ‘श्रीरामचरितायन’ नामक अवधी प्रबन्ध-काव्य का सृजन किया है।


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