इनका जन्म बछरावाँ तहसील महराजगंज, जनपद रायबरेली में सं. १९३६ में हुआ था। श्री बचान आचारी इनके पिता थे। इन्होनें रेलवे विभाग में स्टेशन मास्टर के पद पर सेवा करते हुए साहित्य सेवा भी की। ये धार्मिक वृत्ति एवं आस्तिक प्रकृति के व्यक्ति थे। ये हिन्दी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेजी के अच्छे ज्ञाता थे। रचना संसार इस प्रकार है- भरत भक्ति (महाकाव्य), श्री राम तिलकोत्सव (महाकाव्य), सिरस नीति सतसई, परिहास प्रमोद (अवधी व ब्रज का मिश्रित प्रयोग), आर्य सनातनी संवाद, श्री रामायण भाष्य (किष्किन्धा काण्ड), प्रभु चरित्र, श्री रामावतार, शिवरत्न संग्रह, प्रभु प्रार्थना, स्वदेशार्थ अभ्यर्थना, भिक्षा देहि, शिवाजी (महाकाव्य), उद्धव ब्रजांगना, शांत रसालकार, विनीत विजय, राम रोचिष, परशुराम, सिरस सरोज, गीत गान, अन्योक्ति आनन्द, जयसिंह और शिवा। (पत्र व्यवहार), स्वामी विवेकानंद लेखानुवाद, शोडषाष्टक विशेष उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त ’बैसवारी बोली और उसका व्याकरण’ ‘भाषा-विज्ञान’ के क्षेत्र में सिरस जी की महत्वपूर्ण पुस्तक है। इन्होंने रामचरित मानस का महाभाष्य भी किया है, जो अभी तक अप्रकाशित है। इनका निधन २०३९ में हुआ था।
इनका जन्म सन् १८८३ में ग्राम उदिगाँव जनपद आजमगढ़ में हुआ था। ये पं. रामनरेश त्रिपाठी के गुरू थे। इन्होंने अवधी के साथ-साथ ब्रजभाषा में भी रचनाएँ की हैं। इन्होंने नीतिपरक दोहों का सृजन किया, जिनका संकलन ‘शिवसम्पत्ति नीतिशतक’ एवं ‘नीति चंद्रिका’ में हुआ है।