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Awadhi Sahitya-Kosh

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रामप्रकाश त्रिपाठी
संदना, सीतापुर के निवासी त्रिपाठी जी उच्च स्तर के अवधी कवि हैं। इन्होंने सन् १९५२ में पंचायत का प्रपंच’ नामक कृति का सृजन किया।

रामप्रकाश यादद ‘निर्झर
निर्झर जी का जन्म सन् १९४८ में रायबरेली जनपद के ग्राम पूरे कालिका (सेमरपहा) में हुआ था। ये एम. ए., बी.एड. की शिक्षा प्राप्त कर अध्यापन कार्य में लग गए। इनकी रचनायें देश-प्रेम से पूरित हैं, इनमें आधुनिक विकास का स्वर है। इन्होंने अपनी कवितायें लोकगीत शैली पर लिखा हैं। अवधी में बैसवारी का पुट है।

रामप्रताप पाठक
ये ग्राम पाठक पल्ली (पटकौली), पो. मुस्तफाबाद जिला फैजाबाद के निवासी हैं। इनकी जन्म तिथि है - अगहन संवत् १९६७ वि.। इनकी विद्यालयीय शिक्षा केवल कक्षा-५ तक हो पाई, किंतु इन्होंने स्वाध्याय से हिन्दी साहित्य, भारतीय दर्शन और पुराणों का पुष्कल ज्ञान प्राप्त कर लिया। व्यवसाय से ये कृषि कार्य में प्रवृत्त हैं। इनकी अवधी रचनाएँ अभी अप्रकाशित हैं। इनमें दोहे और लोकगीत सर्वाधिक हैं।

रामप्रसाद यादव
ये फतेहपुर के निवासी एवं अवधी भाषा के सर्जक साहित्यकार हैं।

रामप्रिया शरण
ये जनकपुर के महंत थे। इनका आविर्भाव काल सं. १७६० है। इन्होंने अवधी साहित्य के परिवर्द्धन में काफी योगदान किया है। इनका ‘सीतायन’ नामक अवधी ग्रंथ बहुत महत्वपूर्ण है।

रामबल्लभ शरण
ये १९वीं शताब्दी के रसिक सम्प्रदाय के उत्कृष्ट रामभक्त हैं। इनका जन्म सन् १८५८ में एवं मृत्यु सन् १९३२ में हुई। थी ‘युगलविहार पदावली’ इनका अवधी काव्य-संग्रह है।

रामबहादुर सिंह ‘भदौरिया’
ये मूलतः खड़ी बोली के कवि हैं। अवधी मातृभाषा होने के कारण इन्होंने अवधी के प्रति भी आस्था एवं मोह का प्रदर्शन किया है। इनका लोकगीत-‘जिया मा धधकई होरी’ बहुश्रुत है।

राम मनोहर
ये द्विवेदी युग के अवधी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अवधी काव्यधारा को अक्षुण्ण बनाये रखने में सराहनीय कार्य किया।

रामरक्षा त्रिपाठी निर्मिक
ये फैजाबाद के निवासी एवं अल्पख्यात कवि हैं।

राम रसायन
सन् १८८२ में रसिक बिहारी द्वारा रचित अवधी ग्रंथ है। इसकी कथा १५ अध्यायों में विभक्त हैं। मूलभाषा अवधी होने के साथ-साथ इसमें यत्र-तत्र ब्रजी का प्रयोग हुआ हैं। इसमें दोह, चौपाई, सोरठा, सवैया, गीतिका, घनाक्षरी आदि छंदों का प्रयोग हुआ है।


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