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Awadhi Sahitya-Kosh

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रामदत्त तिवारी ‘कुलीन’
इनका जन्म सन् १९०७ ई. में ग्राम रौसिंगपुर (निकट मिश्रिख तीर्थ) जिला सीतापुर में हुआ था। इनकी शिक्षा हाईस्कूल तक रही। ये गन्ना विभाग में सुपरवाइजर हो गये। इनकी अवधी की प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं- कुलीनता का नंगा नाच, नारद मोह, काग भुसुण्डि-गरुड़ संवाद, दुर्गादर्शन, गंगा गौरव, अंगद-रावण-संवाद, लंका-दहन, गन्ना गाथा, गुदगुदी, बंगलादेश की लड़ाई आदि। इनकी अवधी रचनायें ‘सुकवि’ में निरन्तर प्रकाशित होती रही हैं। इनकी भाषा में लोकजीवन और लोकभाषा की सरलता है। हिन्दी सभा, सीतापुर इन्हें सम्मानित भी कर चुकी है। भाषा ठेठ अवधी है।

रामदुलारे ‘विद्याकर’
इनका जन्म रायबरेली में सन् १९५१ में हुआ था। वर्तमान में ये अवधी भाषा के प्रति समर्पित भाव से कवि-कर्म में रत हैं।

राम दोहावली
यह रसिक सम्प्रदाय के रामभक्त हनुमान शरण ‘मधुर अलि’ द्वारा प्रणीत अवधी रचना है, जिसका सृजन सन् १९८७ में हुआ था।

रामनयन सिंह काका’
इनका स्थान अवधी साहित्य में अति प्रशंसनीय है। इन्होंने ‘मंगरू कै अखबार सावन कै फुहार’, के साथ-साथ लगभग एक दर्जन लोकगीतों की पुस्तकें अवधी लोक-साहित्य की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए सृजित की हैं। ‘अवध अध्यात्म रामायन’ शीर्षक से महाकाव्य की सर्जना भी की है। फलस्वरूप सन् १९८२ एवं १९८७ में ‘जायसी सम्मान’ से सम्मानित किये गये।

रामनरेश त्रिपाठी
त्रिपाठी जी का जन्म १८८९ ई. में और निधन १९६२ ई. में हुआ। अपने खड़ी बोली प्रबन्धों-पथिक, स्वप्न मिलन आदि के लिए तो त्रिपाठी जी को अपरिमित यश मिला ही है, अवधी लोक साहित्य के सर्वेक्षण कार्य में इनकी पहल प्रशंसनीय है। इन्होंने आठ खण्डों में प्रकाशित ‘कविता कौमुदी’ के भाग ४ में लोकगीतों का दुर्लभ संग्रह प्रकाशित किया है। इसके अतिरिक्त सोहर ‘घाघ और भड्डरी’ जैसी कृतियों का प्रकाशन अवधी साहित्य-सेवा की दृष्टि से उल्लेखनीय है।

रामनरेश मिश्र ‘कात्यायन’
खीरी जनपद के गोला गोकर्णनाथ क्षेत्र के निवासी कात्यायन जी एक भावुक रचनाकार हैं। इनकी रचनाओं में संवेदना अधिक अभिव्यक्त हुई है। इनकी प्रिय भाषा अवधी है।

रामनाथ शर्मा
जन्मस्थान- सिधौली, सीतापुर। रचना-‘भारत माँ दुनिया ते न्यारी’।

रामनारायण त्रिपाठी
त्रिपाठी जी का जन्म सन् १८९७ में ग्राम भेलावाँ चतुरैया, जिला सीतापुर में हुआ था। इनके पिता का नाम भूधर लाल त्रिपाठी था। त्रिपाठी जी में देश के प्रति अनुराग था। ये कांग्रेसी कार्यकर्ता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। अपने जीवन काल में ये कई बार राष्ट्रीय आन्दोलनों के संदर्भ में जेल गये तथा अनेक यातनायें भी सहीं। इनका जीवन एक कृषक का था। इन्होंने अपनी, अवधी कविताओं में अपने युग-बोध का मार्मिक परिचय दिया है। पराधीन देश की दुरवस्था ही इनके लेखन का उपजीव्य बना। इनकी अवधी रचनायें इस प्रकार हैं- किसान सन्देश - १९३३ ई. में प्रकाशित, दादनि और हरगंगा, जवानी, बुढ़ापा, आदर्श भारत, गजेन्द्र मोक्ष, त्रिपुर दहन, द्रोपदी दुकूल, तथा जरासंध-वध आदि। इनकी रचनाओं में लोकजीवन और लोकभाषा की सहजता विद्यमान है। लक्षणा के सुन्दर प्रयोग हैं। भाषा में बैसवारी अवधी का रूप परिलक्षित होता है।

रामनारायण त्रिपाठी ‘मित्र’
मित्र जी सीतापुर जनपद के चतुरैया भिलावाँ के निवासी एवं महत्वपूर्ण अवधी साहित्यकार हैं। इन्होंने अपना अवधी प्रेम १९३६ ई. में प्रकाशित ‘किसान संदेश’ के माध्यम से प्रकट किया है। ‘हरग गंगा’, ‘दादनि’ इनकी विशिष्ट अवधी रचनाएँ है।

रामनारायण सिंह
इनका निवास स्थान था- फैजाबाद एवं अवधी फाग (काव्य-सृजन)।


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