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Awadhi Sahitya-Kosh

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मुक्तिभद्र दीक्षित ‘मत‍ई काका’
इनका जन्म १९२९ में सीतापुर जनपद के सिधौली नामक कस्बे में हुआ था। ये पढ़ीस जी के ज्येष्ठ पुत्र हैं। ‘चेतु रे माली फुल बगिया’, इनकी प्रसिद्ध अवधी कविता है। इनकी कविता में देश-प्रेम, प्रकृति चित्रण और श्रृंगार वर्णन प्रमुखतः परिलक्षित होते हैं।

मुनीशदत्त शर्मा ‘मुनीश’
इनका विस्तृत विवरण तो प्राप्त नहीं है, किंतु इनका अवधी काव्‍य-सृजन अपने में महत्वपूर्ण है। साहित्य अधिकतर अप्रकाशित है।

मुल्ला दाऊद
इतर स्रोत तथा अन्तः साक्ष्य के आधार पर मुल्ला दाऊद उ.प्र. के रायबरेली जिले के ‘डलमऊ’ नामक ग्राम के निवासी थे। अवध गजोटियर्स तथा रायबरेली गजोटियर्स में मुल्ला दाऊद के डलमऊ निवासी होने का उल्लेख हुआ है। इनके अनुसार डलमऊ के मुल्ला दाऊद नामक कवि ने हिजरी ७७९ में भाषा में ‘चन्दैनी’ नामक ग्रन्थ का सम्पादन किया। कवि का रचना काल हिजरी ७८१ है तथा शाहे वक्त के रूप में कवि ने फिरोजशाह तुगलक का वर्णन किया है। डा. माताप्रसाद गुप्त के अनुसार दाऊद की जन्म-तिथि १४०० विक्रमी के आस-पास तथा मृत्यु-तिथि १४७५ वि. के आस-पास हैं। अन्तः साक्ष्य के आधार पर मुल्ला दाऊद का जीवन काल १४वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध है। दाऊद ने फिरोजशाह तुगलक का शासनकाल तथा जूनाशाह का मंत्रित्व काल स्वयं देखा था और अपनी कृति का प्रणयन जूनाशाह के सम्मान में किया था। इनके गुरू जैनुद्दीन थे। मुल्ला दाऊद ने अपनी अवधी कृति चांदायन की रचना दोहा-चौपाई छन्दों में किया है। दाऊद की भाषा साहित्यिक परिष्कार से दूर जन भाषा है। अवध के केन्द्र बैसवारा की लोक संस्कृति, लोक जीवन के विविध आयाम इनकी रचना में जीवन्त हुए हैं।

मूनू कावि
ये अवधी भाषा के प्रसिद्ध कवि रहे। हैं। इनका निवास स्थान बैसवारा क्षेत्र का असोकर क्षेत्र है। इनका आविर्भाव-काल भारतेन्दु युग रहा है।

मृगावती
अभी तक उपलब्ध हिन्दी सूफी प्रेमाख्यानों में मृगावती का स्थान प्रथम आता है। इसके प्रणयनकर्ता कुतबन है। इसका रचना काल सन् १५०३ ई. है। इसकी भाषा अवधी है। मृगावती को आधार बनाकर इस प्रेमाख्यान की रचना हुई है। इसकी कथा दुखांत है।

मेले का मजा
यह सन् १९५४ में रचित पं. वंशीधर शुक्ल की अवधी कहानी है। यह दैनिक ‘स्वतंत्र भारत’ में प्रकाशित हो चुकी है।

मैनासत
यह साधन कृत एक लोकाख्यान काव्य है। इसका उल्लेख इतिहास ग्रन्थों में किया गया है। वस्तुतः सतवन्ती मैंना की कथा की वाचिक अभिव्यक्ति भारत में बहुत प्राचीन है। इसी कथा की साहित्यिक परिणति है- साधन रचित ‘मैनासत’। इसमें मैंना नामक रूपसी के सतीत्व की कहानी है, इसकी कथा सुखांत है। कथानक बड़ा मार्मिक और सुगठित है। संयम और मध्यम मार्ग के मैनासत का मूल तत्व हैं। ‘साधन ने पुरुष और प्रकृति के संयोग को ही योग की निष्पत्ति माना है। वस्तुतः इस कृति में योग और भोग का सुन्दर समन्वय है। नारी की मनोदशा का तथा उसके अन्तर्द्वन्द्व की बड़ी सूक्ष्म, सरस और प्रभावपूर्ण अभिव्यंजना है। यह दोहा-चौपाई और सोरठा छंद में रचित अवधी काव्य-ग्रन्थ है। इसकी रचना १४८० के आस-पास हुई मानी जाती है।

मोहनदास
ये कृष्णकाव्य परम्परा के अवधी साहित्यकार हैं। इन्होंने ‘भागवत दशम स्कंध’ नामक अवधी ग्रंथ का सृजन किया है।

मोहनदास दफ्तरी
ये संत दादूदयाल के शिष्य थे। ‘ब्रह्मलीला’ नामक इनका ग्रन्थ हैं, जो प्रकाशित हो चुका है। भाषा अवधी है। चौपाई छंद का प्रयोग है।

मौन
ये बैसवारी अवधी के प्रतिनिधि कवि हैं। इनका आविर्भाव काल भारतेन्दु युग है।


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